पर्यावरण और विकास का स्वरूप

(Environment)
पर्यावरण और विकास का स्वरूप

पांच जून को पूरी दुनिया में पर्यावरण (Environment) दिवस मनाया गया। अधिक से अधिक पौधें लगाने का संदेश दिया गया, लेकिन धरती, हवा, पानी को शुद्ध रखने की कोई बात नहीं कही गई। हर वर्ष करोड़ों की संख्या में पौधे लगाए जा रहे हैं जो कि प्रशंसनीय है। पर्यावरण संरक्षण के लिए विकास के साथ-2 मनुष्य को जीवन शैली पर भी गंभीर चिंतन करना होगा। इसी तरह जनसंख्या में हो रही वृद्धि भी एक बड़ी समस्या है जब पांच जून को देशभर में पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा था तो पहाड़ी प्रदेशों में बाहर से आए लाखों सैलानियों के साधनों से ट्रैफिक प्रबंध बिगड़े हुए थे।

शिमला, देहरादून, नेनीताल सहित अन्य सैर सपाटा केन्द्रों की सड़कों पर वाहनों की कतारों से लगे जाम वायु प्रदूषणों में हो रही वृद्धि का सबूत पेश कर रहे थे। ट्रैफिक पुलिस का हाल तो यह है कि धुएं के कारण उनके कपड़े काले हो जाते हैं। मैदानी लोग गर्मियों की छुट्टिया मनाने पहाड़ का रुख कर रहे हैं। शुद्ध हवा वाले पहाड़ी प्रदेश भी प्रदूषित हो रहे हैं। सैलानियों की इतनी बड़ी संख्या भी अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है। दूसरी तरफ पहाड़ी प्रदेशों की आर्थिकता की रीढ़ ही पर्यटन है। पर्यटन रुकने से इन प्रदेशों के करोड़ों लोगों की रोटी का मामला खड़ा हो सकता है। Environment

पर्यटन रोका नहीं जा सकता है परंतु नियमित किया जा सकता है। ट्रैफिक प्रबंधों में सुधार करके जाम घटाए जा सकते हैं जिससे तेल की फिजूल खपत भी घट सकती है। जहां संभव हो सके इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही सार्वजनिक यातायात में सुधार किया जाना बेहद जरुरी है। अगर सार्वजनिक यातायात का प्रबंध उत्तम हो तो लोग निजी गाड़ियों का प्रयोग करने से परहेज करेंगे। कूड़ा-कर्कट को संभालने के लिए उचित प्रबंध करने पड़ेंगे और सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग मुकम्मल बंद होना चाहिए। पर्यावरण (Environment) प्रति जागरुकता भी बढ़ानी होगी। वास्तव में पर्यावरण की स्वच्छता के साथ ही मनुष्य जिदंगी का अस्तित्व है।

डेरा सच्चा सौदा द्वारा इस क्षेत्र में बेमिसाल कार्य किया जा रहा है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से जहां हर वर्ष लाखों पौधे लगाए जा रहे हैं, वहीं साफ-सफाई रखने और पॉलोथीन का प्रयोग न करने पर जोर दिया जा रहा है। बेशक सरकारें भी पर्यावरण की स्वच्छता के लिए कदम उठा रही हैं परंतु इस संबंधी आमजन को भी व्यक्तिगत तौर पर अपनी भूमिका निभानी पड़ेगी। लोगों को अपनी जीवन शैली में बदलाव करना पड़ेगा ताकि मनुष्य की गतिविधयों प्रदूषण की वृद्धि का कारण न बनें। (Environment)