Kisan News: कैथल /सीवन, सच कहूं /कुलदीप नैन| बदलते समय के साथ किसान भी खेती और खेती के तरीको में बदलाव कर रहे हैं | आज किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नई नई तकनीक के साथ नई नई फसले उगाकर मुनाफा कमा रहे है | कैथल जिले के सीवन क्षेत्र में ऐसे अनेक किसान है जो हर साल गर्मियों में खरबूजे से लाखो रूपये की कमाई कर रहे है | ये किसान अलग तरीके से खरबूजे की खेती करते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते है |
सीवन क्षेत्र में ज्यादातर गोल्डन ग्लोरी किस्म का खरबूजा लगाया जाता है | इसकी ख़ास बात यह है कि यह मीठा बहुत होता है और यही कारण है कि आज इसकी मिठास हर ओर फैल रही है। अब खरबूजे की फसल सीजन के अपने अंतिम पड़ाव में है | अगेती बिजाई जिन किसानो ने कि थी उनका सीजन पूरा होने को है लेकिन जिन्होंने लेट बिजाई की थी उनका खरबूजा अभी अच्छी मात्रा में बिक रहा है | यह फसल अब इतनी प्रसिद्ध हो चुकी है कि किसान अपनी उपज को मंडी तक नहीं ले जाते बल्कि खरीदार खुद खेतों में आकर खरबूजे की बोली लगाते हैं और एडवांस बुकिंग कर लेते हैं
28500 रूपये प्रति किलो बीज का रेट | Kisan News
किसानों का कहना है कि इस तकनीक से शुरुआत में लागत थोड़ी अधिक आती है, लेकिन इसके लाभ कई गुना ज्यादा हैं। गोल्डन ग्लोरी किस्म का बीज 28 हजार 500 रुपये प्रति किलो तक आता है, और एक किलो बीज में 3 एकड़ की बिजाई होती है | एक एकड़ में डेढ़ से दो लाख के बीच की फसल होती है और 70 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से लागत आ जाती है जिसमे 12 से 13 हजार रूपये के करीब की मल्चिंग सीट बिछाई जाती है | 15 हजार के करीब दवाइयों पर खर्च आ जाता है | इसके अलावा खाद, लेबर व अन्य खर्चे शामिल होते है |
दूसरे राज्यों में बढती मांग ः इस समय सीवन, गोबिंदपुरा, फिरोजपुर, मलिकपुर, खानपुर और आस-पास के क्षेत्रों में करीब 1500 से 2000 एकड़ में खरबूजे की खेती हो रही है। स्थानीय किसानो ने बताया कि कि यहाँ का खरबूजा अब दूर दूर अन्य राज्यों के लोगो के मुह में भी मिठास भर रहा है | लोगो की बढती मांग को देखते हुए अन्य राज्यों के व्यापारी पहले से ही खेतों में आकर खरबूजा बुक कर लेते है। गाड़ी भी व्यापारी खुद ही भेजते है |
मल्चिंग तकनीक का उपयोग: सीवन में किसानो ने मल्चिंग तकनीक का उपयोग करते हुए अधिक उपज प्राप्त की है। इस तकनीक में पॉलीथीन की परत मिट्टी पर बिछाई जाती है, जिससे नमी बरकरार रहती है, खरपतवारों को नियंत्रित करने, मिट्टी के कटाव को रोकने और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने के लिए उपयोगी है।
बारिश से हुआ नुकसान
पिछले दिनों हुई बारिश से किसानो को काफी नुकसान हुआ | खरबूजा खेतो में पककर तैयार हो चूका था | ऐसे में अचानक से आये तूफ़ान और बारिश ने किसानो को प्रति एकड़ 30 से 40 हजार रूपये का घाटा कर दिया | किसानो ने बताया कि मौसम की मार के चलते कई बार खेती मुनाफे से ज्यादा घाटे का सौदा बन जाती है |