मोटे अनाज के लाभ बताने को गांव-गांव चौपाल लगाएगा सरोज फाउंडेशन

coarse-grains

 अन्न यानी मोटे आनाज का उत्पादन बढ़ाएं किसान,शरीर के लिए अत्यंय गुणकारी : रितु त्यागी

गाजियाबाद(सच कहूँ न्यूज़ / रविंद्र सिंह )। खेती बाड़ी और देश के अन्नदाता ( किसान ) के हित में सराहनीय कार्य करने वाली संस्था सरोज फाउंडेशन ने किसान को मोटे अनाज (श्री अन्न) का उत्पादन करने को प्रेरित के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत की है। फाउंडेशन की अध्यक्ष रितू त्यागी ने बताया कि भारत की पहल पर 2023 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘मोटे अनाज वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। आजादी के अमृत काल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोटे अनाज को ‘ श्री अन्न’ की संज्ञा देकर एक तरह से गरीबों के अन्न को गौरवान्वित किया है। सांवा, कोदो, टांगुन, महुआ, चीना, ज्वार, बाजरा, राम दाना जैसे अनाजों को  मोटा अनाज कहा जाता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में वायरस को रोकने में मोटे अनाज की विशेष भूमिका रही।

coarse-grains

सरोज फाउंडेशन ने किसानों को मोटे अनाज के उत्पादन के तरीकों को बताने के लिए अभियान चलाया है। इसके तहत मोटे अनाज का प्रचार प्रसार किया जाएगा।कार्यक्रम के तहत फाउंडेशन की ओर से गांव-गांव में जाकर किसानों को मोटे अनाज के महत्व और इसके उत्पादन से होने वाले अनेक लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी देने की शुरुआत की है। कहा कि सरोज फाउंडेशन के जरिए   गांव-गांव   जाकर  चौपाल आयोजित कर किसानों को मोटे अनाज की जानकारी दी जाएगी।

 क्या हैं मोटा अनाज ?

हम इनके नामों से बरसों से परिचित हैं, मौसम बदलता है तो बाजरे, मक्के, और ज्वार की रोटी को शौक के साथ हम  खाते भी हैं, लेकिन उनके गुणों से परिचित नहीं  हैं। इनके अलावा जई, कोदो, कुटकी, रागी और समा आदि भी मोटे अनाज में ही  आते हैं।

 मोटे अनाज में क्या है खास ?

मोटे अनाज गुणों की खान हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत है इनमें पाया जाने वाला रेशा, जो खूब मात्रा में मौजूद होता है। इस रेशे के घुलनशील और अघुलनशील दोनों ही रूप हमारे शरीर में पाचन तंत्र के लिए वरदान की तरह काम करते हैं। घुलनशील रेशा पेट में कुदरती तौर पर मौजूद बैक्टीिरया को सहयोग करके पाचन को बेहतर बनाता है। वहीं अघुलनशील रेशा पाचन तंत्र से मल को इकट्‌ठा करने और उसकी आसान निकासी में मदद करता है। यह पानी भी खूब सोखता है यानी व्यक्ति को मोटा अनाज खाने के बाद प्यास भी खूब लगती है, जो पाचन तंत्र के लिए बहुत स्वास्थ्यकर है।इसका मतलब यह हुआ कि बारीक  अनाज (मैदा ) खाने और व्यायाम से दूर रहने के चलते जो कब्जियत और शरीर के फूलने जैसी बिन बुलाई बीमारियां हम झेलते हैं, मोटा अनाज उनका सटीक उपचार है। गेहूं में मिलने वाला प्रोटीन ग्लूटेन इन अनाजों में नहीं होता, सो इनसे पाचन तो अच्छा होगा ही।

और भी गुण हैं इनमें…

कैलोरीज और प्रोटीन की अनियमितता वाले कुपोषण के बारे में हम जानते हैं लेकिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भी एक तरह का कुपोषण उत्पन्न करती है, जिसका आसानी से पता नहीं चलता। इसका अर्थ है आयरन, कैल्शियम, विटामिन बी जैसे पोषक तत्वों की कमी। उन वयस्कों और बच्चों में यह कमी आम है जो आटा या मैदे का उपयोग करते हैं। मोटे अनाज इन सूक्ष्म तत्वों के अच्छे स्रोत हैं। अगर भोजन में मोटे अनाजों को शामिल करें, तो अनेक लाभ मिलेंगे।

आसान है उगाना…

मोटे अनाजों को घास की तरह उगने वाला अनाज भी कहा जाता है, क्योंकि ये तेजी से बढ़ जाते हैं और इनके लिए बहुत अधिक संसाधनों की भी जरूरत नहीं होती। इन पौधों में छोटे-छोटे दानों के रूप में मिलता है ये अनाज, जिसका चाहे दानों के रूप में इस्तेमाल हो या आटे के रूप में या चीला बनाने, चाहे खीर या लड्‌डू बनाने, ये हमारी सेहत के लिए सोने जेसा काम करते हैं।-

 कैसे करें शुरूआत ?…

शुरूआत  करने और आदत डालने के लिए अपने नियमित आटे में आधा मोटा अनाज मिलाकर रोटियां बनाइए। जब आदत पड़ जाए तो मोटे अनाज को तीन-चौथाई कर लीजिए और फिर पूरी तरह से इसी का इस्तेमाल करें।

दूर हो जाएंगे रोग…

बारीक  आटे जैसे मैदा की हमारे खाद्यों में भरमार है। इनके अधिक उपयोग से हृदय रोग और मधुमेह को आमंत्रण मिलता है।   मोटे अनाज इन बिमारियों से  लड़ाई में हमारी मदद कर सकते हैं। अगर नियमित रूप से ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी आदि का उपयोग किया जाए, तो हृदय व पैनक्रियाज की सेहत को संभाला जा सकता है। शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली कई वस्तुओं की निकासी के लिए ये बहुत उपयोगी हैं । ये कई प्रकार के कैंसर से बचाव के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं।

मोटे अनाज की खूबियों से परिचय कीजिए…

बाजरा,ज्वार व रागी–

बाजरा लौहलवण से भरपूर होता है, इसलिए यह खून की कमी को दूर करने में बहुत सहायक है। ज्वार हड्‌डियों के लिए अच्छी मात्रा में कैल्शियम, खून के लिए फॉलिक एसिड व कई अन्य उत्तम पोषक तत्व प्रदान करता है। इसी प्रकार से रागी एकमात्र ऐसा अनाज है जिससे कैल्शियम भरपूर मिलता है। और जो लोग दूध नहीं लेते लेकिन इसका सेवन करते हैं, उनमें कैल्शियम की कमी नहीं होती। हालांकि सभी मोटे अनाज उतनी ही मात्रा में प्रोटीन देते हैं जितना कि गेहूं-चावल से मिलता है, यानी कि 100 ग्राम कोई भी मोटा अनाज खाएंगे तो 7-12 ग्राम तक का प्रोटीन हमें मिलेगा। परंतु अंतर ये है कि प्रोटीन जो अमीनो एसिड का बना होता है इसकी गुणवत्ता गेहूं और चावल के प्रोटीन से बेहतर पाई गई है।

मक्का…

मक्के का पीला रंग ये दशार्ता है कि इसमें विटामिन-ए यानी वो विटामिन जो त्वचा और आंखों के लिए अच्छा होता है और बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है, बहुत अधिक होता है।

जौ…

ये बहुत सारे सूक्ष्म पोषक तत्वों का भंडार है। इसमें खासकर मैंगनीज और सेलेनियम पाया जाता है जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मददगार होता है। यह ब्लड शुगर नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होता है। इसी के साथ-साथ क्रोमियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, विटामिन- बी 1 जिसे थायमिन कहते हैं और नायसिन का भी अच्छा स्रोत होता है। मजबूती बेमिसालमोटे अनाजों की खेती करना बड़ा आसान है। इनके पौधों में सूखा सहन करने की क्षमता बहुत होती है। फसल पकने की अवधि कम होती है। उर्वरक, खाद की न्यूनतम मांग के कारण लागत कम व रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत होती है। बंजर भूमि व विपरीत मौसम में भी ये अनाज उगाए जा सकते हैं।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here