Khaleda Zia Passed away: सुबह-सुबह बांग्लादेश से आई बुरी खबर

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Khaleda Zia Passed away: सुबह-सुबह बांग्लादेश से आई बुरी खबर

पूर्व महिला प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया का निधन

Khaleda Zia Passed away: ढाका। बांग्लादेश की राजनीति की प्रमुख हस्ती और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा ज़िया का मंगलवार, 30 दिसंबर को दीर्घकालिक अस्वस्थता के बाद निधन हो गया। वे 80 वर्ष की थीं। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की ओर से जारी सूचना के अनुसार, उन्होंने प्रातः लगभग छह बजे अंतिम सांस ली। Bangladesh News

दो बार देश का नेतृत्व कर चुकीं खालिदा ज़िया का निधन ऐसे समय हुआ है, जब बांग्लादेश एक महत्वपूर्ण राजनीतिक दौर से गुजर रहा है। उनके पुत्र तारिक रहमान, जिन्हें अगला प्रधानमंत्री बनने का मजबूत दावेदार माना जा रहा है, लंबे निर्वासन के बाद स्वदेश लौट चुके हैं। लगभग 17 वर्षों तक लंदन में रहने के बाद उनकी वापसी को आगामी आम चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। यदि बीएनपी बहुमत प्राप्त करती है, तो तारिक रहमान के सत्ता संभालने की संभावना जताई जा रही है।

तारिक रहमान की यह वापसी उस राजनीतिक परिवर्तन के बाद हुई है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटना पड़ा था। वर्तमान में शेख हसीना भारत में निर्वासन का जीवन व्यतीत कर रही हैं और उनकी पार्टी के चुनाव में भाग लेने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

बेगम खालिदा ज़िया का राजनीतिक परिचय | Bangladesh News

बेगम खालिदा ज़िया बांग्लादेश की सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिनी जाती थीं। उन्होंने 1991 से 1996 और पुनः 2001 से 2006 तक प्रधानमंत्री पद का दायित्व संभाला। वे बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं तथा मुस्लिम देशों में पाकिस्तान की बेनज़ीर भुट्टो के बाद दूसरी महिला नेता थीं, जिन्होंने लोकतांत्रिक सरकार का नेतृत्व किया। उनके पहले कार्यकाल को सैन्य शासन के बाद संसदीय लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के रूप में देखा जाता है।

खालिदा ज़िया का जन्म 15 अगस्त 1945 को तत्कालीन पूर्वी बंगाल के दिनाजपुर में हुआ था। उनके पिता विभाजन के बाद पश्चिमी पाकिस्तान चले गए थे, जहाँ वे चाय व्यवसाय से जुड़े रहे। उनकी शिक्षा दिनाजपुर गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल और सुरेंद्रनाथ कॉलेज में हुई। वर्ष 1960 में उनका विवाह जियाउर रहमान से हुआ, जो आगे चलकर बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने।

राजनीतिक संघर्ष और नेतृत्व | Bangladesh News

1981 में राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या के बाद खालिदा ज़िया राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हुईं। उनके पति स्वतंत्रता संग्राम के नायक और बीएनपी के संस्थापक थे। बाद के वर्षों में सैन्य शासक हुसैन मुहम्मद इरशाद के विरुद्ध आंदोलन में खालिदा ज़िया एक केंद्रीय चेहरा बनीं। इस संघर्ष के दौरान उन्हें कई बार हिरासत में भी लिया गया।

उन्होंने पार्टी संगठन को मजबूत किया और छात्र राजनीति में भी बीएनपी की सशक्त उपस्थिति स्थापित की। 1990 में इरशाद शासन के पतन के बाद हुए चुनावों में बीएनपी को सफलता मिली और खालिदा ज़िया प्रधानमंत्री बनीं।

शेख हसीना के साथ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता | Bangladesh News

खालिदा ज़िया और अवामी लीग की नेता शेख हसीना के बीच की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बांग्लादेश की राजनीति का स्थायी विषय रही है। दोनों नेताओं के टकराव ने कई बार शासन व्यवस्था को प्रभावित किया, सड़कों पर व्यापक आंदोलन हुए और चुनावी बहिष्कार की स्थितियाँ भी बनीं।

बेगम खालिदा ज़िया के निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया। उनका जीवन संघर्ष, सत्ता, विरोध और लोकतांत्रिक आंदोलनों की गाथा के रूप में लंबे समय तक स्मरण किया जाएगा।