
नई दिल्ली। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में अनेक ऐसी जड़ी-बूटियाँ वर्णित हैं, जो शरीर से विभिन्न रोगों को दूर करने में सहायक होती हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली औषधीय वनस्पति है — अकरकरा। इसका उपयोग प्राचीन काल से ही दर्द, सूजन, दांत व मसूड़ों की समस्या सहित कई शारीरिक विकारों में किया जाता रहा है।
अकरकरा क्या है? | Benefits of Akarkara
अकरकरा को संस्कृत में अकारकरभ, और अंग्रेज़ी में Pyrethrum Root के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम है Anacyclus pyrethrum। यह एक बारहमासी (सालभर फलने-फूलने वाला) पौधा है, जो मुख्य रूप से भारत, उत्तरी अफ्रीका, और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में इसे विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। यह पौधा सूरजमुखी कुल (Asteraceae) से संबंधित है। आयुर्वेद एवं आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार, अकरकरा के जड़, बीज और पत्तियों में अनेक औषधीय गुण विद्यमान होते हैं, जिनमें मुख्यतः निम्नलिखित लाभ पाए जाते हैं:
दांत और मसूड़ों के लिए लाभकारी
अकरकरा का चूर्ण सरसों के तेल या लौंग के तेल में मिलाकर लगाने से दांतदर्द और मसूड़ों की सूजन में तुरंत राहत मिलती है।
इसके प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमण को कम करने में सहायक होते हैं।
हिचकी और कंठ विकार में लाभदायक
हिचकी आने की स्थिति में अकरकरा चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने की सलाह दी जाती है।
गुनगुने पानी में मिलाकर इसका सेवन भी लाभकारी माना जाता है।
सूजन और घाव भरने में सहायक
इसके उपयोग से शरीर की सूजन, घाव, और जलन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
चरक संहिता में भी इसे “अग्निवेश” नामक औषधियों में शामिल किया गया है जो घाव भरने और सूजन कम करने में उपयोगी हैं।
बुखार व संक्रमण में सहायक
इसमें मौजूद एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और बुखार कम करने में सहायक होते हैं।
सावधानियाँ | Benefits of Akarkara
अकरकरा की तासीर गर्म होती है, अतः इसका अधिक मात्रा में सेवन करना नुकसानदेह हो सकता है।
गर्भवती महिलाएँ, अत्यधिक गर्मी के शिकार लोग, तथा पेट के रोगों से ग्रस्त व्यक्ति इसे डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
किसी भी आयुर्वेदिक औषधि की तरह, चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही सेवन करें।