किसी भी ब्रांड नाम में ‘ओआरएस’ शब्द का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित
FSSAI New Rules India: नई दिल्ली। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अब किसी भी खाद्य या पेय उत्पाद के नाम, ब्रांड या लेबल पर ‘ओआरएस’ (ORS) शब्द का प्रयोग पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। यह निर्देश सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य आयुक्तों को भेजा गया है। FSSAI News
एफएसएसएआई ने कहा है कि यह आदेश 14 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2024 को जारी किए गए पुराने आदेशों को रद्द (Supersede) करता है। पहले इन आदेशों के तहत कुछ निर्माताओं को इस शर्त पर “ओआरएस” शब्द के प्रयोग की अनुमति दी गई थी कि वे पैकिंग पर स्पष्ट चेतावनी देंगे — “यह उत्पाद डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित ओआरएस फॉर्मूला नहीं है।” लेकिन अब प्राधिकरण ने कहा है कि किसी भी खाद्य उत्पाद — चाहे वह फल-आधारित पेय, नॉन-कार्बोनेटेड ड्रिंक या रेडी-टू-ड्रिंक बेवरेज क्यों न हो — के नाम या लेबल में “ओआरएस” शब्द का इस्तेमाल वर्जित है, भले ही वह किसी अन्य शब्द के साथ जोड़ा गया हो।
नाम या लेबल उपभोक्ताओं को भ्रमित करते हैं
एफएसएसएआई ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रकार के नाम या लेबल उपभोक्ताओं को भ्रमित करते हैं और यह खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 तथा इसके अंतर्गत बने विनियमों का उल्लंघन है। ऐसे उत्पादों को “मिसब्रांडेड” और “भ्रामक” की श्रेणी में रखा जाएगा। FSSAI News
इस आदेश के अनुसार, “ओआरएस” नाम या उसके किसी रूप में उपयोग करने वाले उत्पाद धारा 23 और 24 (खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006), उप-विनियमन 4(3) और 5(1) (लेबलिंग एवं प्रदर्शन विनियम 2020), तथा विज्ञापन और दावे विनियम 2018 की धाराओं का उल्लंघन करते हैं। एफएसएसएआई ने चेतावनी दी है कि इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ धारा 52 और 53 के तहत जुर्माना और दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि यद्यपि 2022 और 2024 के पुराने आदेश रद्द किए जा रहे हैं, परंतु 8 अप्रैल 2022 को धारा 16(5) के तहत जारी वह दिशा-निर्देश यथावत रहेगा, जिसमें “ओआरएस के विकल्प” के भ्रामक विज्ञापनों और विपणन पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। एफएसएसएआई ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए, ताकि उपभोक्ताओं को गलत दावों, भ्रामक प्रचार और मिथ्या ब्रांडिंग से सुरक्षित रखा जा सके। FSSAI News