गुरुगद्दी बख्शिश: आत्मा से परमात्मा

सच्चे पातशाह साईं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने सरेआम संगत में वचन फरमाया कि ‘‘सरदार हरबंस सिंह जी को आज से सरदार सतनाम सिंह जी पूजनीय (परम पिता शाह सतनाम जी) किया। उन्हें आत्मा से परमात्मा बना दिया है। सतनाम वो ताकत, जो खंडों, ब्रह्मांडो को सहारा दिये खड़ी है। सारे खंड-ब्रह्मंड जिनके सहारे हंै ये वो ही सतनाम हैं।’’ दिनांक 28 फरवरी 1960 को बेपरवाह साईं जी ने आपजी को पूर्ण गुरु मर्यादा पूर्वक डेरा सच्चा सौदा में दूसरे पातशाह के रूप में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। आपजी को सिर से पांवों तक नोटों के लम्बे-लम्बे हार पहनाए गए और एक सुंदर गाड़ी (जीप) में विराजमान कर पूरे सरसा शहर में प्रभावशाली जुलूस के रूप में घुमाया।

तमाम साध-संगत उस बेपरवाही जुलूस में साथ थी ताकि दुनिया को भी पता चले कि पूजनीय बेपरवाह जी ने पूजनीय परम पिता जी को गुरूगद्दी प्रदान कर डेरा सच्चा सौदा में बतौर दूसरे पातशाह विराजमान किया है। उपरांत पूज्य बेपरवाह जी ने आपजी को डेरा सच्चा सौदा में विशेष तौर पर बनाई गई तीन मंजिला शहनशाही ‘अनामी गुफा’ में सुशोभित कर वचन फरमाये कि ‘न ये हिल सके और न ही कोई हिला सके। साईं जी ने फरमाया, असीं अपने प्यारे मुर्शिद साईं सावण शाह दातार के हुकुम से सरदार सतनाम सिंह जी को आत्मा से परमात्मा कर दिया है। ये अनामी गुफा सरदार सतनाम सिंह जी को असीं इनकी कुर्बानी के बदले ईनाम में दी है, वरना हर कोई यहां रहने का अधिकारी नहीं है और उसी दिन से बेपरवाह जी ने आपजी को अपने साथ ही शाही स्टेज पर बिठाया।

ज्योति-जोत: बदला चोला

पूर्ण पीर फकीर की ज्योति अजर-अमर होती है और पूर्ण संत महात्मा जन्म-मरण के बंधन से आजाद होते हैं। वह स्वयं इस काल के देश में रहकर भी उसके बंधन में नहीं होते क्योंकि वे खुद ही खुदा का रूप होते हैं। काल को बनाने वाला भी वह परम पिता परमात्मा है। चोला बदलने से एक दिन पहले पूज्य परम पिता जी ने सभी सत ब्रह्मचारी सेवादारों को गुफा में बुलाया। जहां पूजनीय परम पिता जी कुर्सी पर खूबसूरत कंबल ओढ़कर शांतमय तरीके से विराजमान थे। आप जी के पास ही कुर्सी पर पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां विराजमान थे। सभी सेवादार अपने पूर्ण मुर्शिद के बड़े ही शांत भाव से दर्शन कर रहे थे।

सभी सेवादारों के मन में एक अटूट वियोग सा पैदा हो रहा था क्योंकि पूज्य गुरु जी का दो दिन पहले इशारा हो चुका था। जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि पूजनीय परम पिता जी हमारे बीच अब शारीरिक स्वरूप में कुछ ही दिन हैं और हुआ भी ऐसा ही। अगले ही दिन 13 दिसम्बर-1991 दिन शुक्रवार समय 12 बजकर 13 मिनट पर पूजनीय परम पिता जी ने अपनी रूहानी यात्रा पूरी करके चोला बदला।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।