Gold News: सोने की कीमतें बेकाबू हो गई हैं। यह रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना रहा है। आम लोगों के लिए इसे खरीद पाना अब पहुंच के बाहर है। खासतौर से उन्हें ज्यादा रोना आ रहा है जिनके घरों में शादी-ब्याह है। अगले महीने 1 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के बाद लगनों का मौसम शुरू हो जाएगा। लेकिन, सोने में जिस तरह की आग लग गई है, उससे परेशानी बढ़ गई है। हर कोई बस इसमें गिरावट की आस लगाए बैठा है। लेकिन, कीमतें हैं कि थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप होने से बढ़ी अनिश्चितता और वैश्विक स्तर पर मजबूत रुझानों के चलते सोने और चांदी के दाम लगतार बढ़त की ओर हैं। Gold News
त्योहारों और शादियों का मौसम है। आपकी बेटी की शादी होनी है और आप कुछ सोने के आभूषण बनवाने बारे सोच रहे होंगे, लेकिन बजट अनुमति नहीं देता, क्योंकि सोना आम आदमी के बजट से बाहर होता जा रहा है। दरअसल 10 ग्राम सोने के दाम 1.22 लाख रुपए तक पहुंच चुके हैं और चांदी भी 1.5 लाख रुपए के पार चली गई है। आम आदमी बेटी को सोना कैसे दे सकता है? सोने की आसमान छूती कीमतें खरीदारों की मुस्कान फीकी कर रही है। एक समय था जब नौलखा हार महिलाओं के पास होते थे। आज उतनी ही रकम से मात्र एक हल्की चेन बन पाती है।
सर्राफा बाजार की स्थिति गंभीर बनी हुई है। ग्राहकों की आवाजाही कम हो गई है। जो लोग आ भी रहे हैं, वे सिर्फ मजबूरी में खरीदारी कर रहे हैं। इसका सीधा असर व्यापारियों पर पड़ा है। दुकानदारों की बिक्री लगभग ठप हो गई है। दिनभर में गिने चुने लोग खरीदारी करने पहुंच रहे हैं। इधर एक बहस आरंभ हुई है कि सोने का बहिष्कार कर देना चाहिए। बेटी के लिए सोने का विकल्प सोचना चाहिए, लेकिन सोने के बाजार की हकीकत बिल्कुल अलग है। वहां आम आदमी का अस्तित्व ही नहीं है। बाजार के जानकारों के मुताबिक, यह उछाल अमेरिका में फाइनेंसिंग की दिक्कतों के कारण कुछ सरकारी विभागों में कामकाज रुकने (शटडाउन) से पैदा हुए भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच आया है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का मानना है कि सोने में अब भी उतना निवेश नहीं हो रहा, जितना होना चाहिए। वैश्विक निजी निवेश में सोने की हिस्सेदारी मात्र 1-2 फीसदी ही है, जबकि केंद्रीय बैंकों में सोने का रिजर्व 10-20 फीसदी के बीच रहा है। गोल्ड ईटीएफ में भी इस साल अभी तक 17 फीसदी निवेश बढ़ चुका है। सितंबर में गोल्ड ईटीएफ में 1.53 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ, जो कि एक माह में सबसे अधिक है। अंतरराष्ट्रीय, अमेरिकी बाजार में कभी सोने के दाम 20.7 डॉलर थे। Gold News
1834-1934 के बीच सोने के दाम धीरे-धीरे बढ़े और 35 डॉलर के दाम लगातार 34 साल तक स्थिर रहे। अब मौजूदा दौर में सोना इतना महंगा और अनिवार्य हो गया है कि देशों की अर्थव्यवस्था की बुनियाद है, लेकिन आम आदमी के लिए मुसीबत, परेशानी का प्रतीक बन गया है। दरअसल सोने के दाम अमेरिका से ही शुरू होते हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कारोबार डॉलर में ही होता है। जनवरी, 2025 में जब ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, तो सोना 2700 डॉलर प्रति आउंस था। उनके 8 माह के कार्यकाल में सोना महंगा ही होता गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ की बात शुरू की, तो देशों में अनिश्चितता फैलने लगी, नतीजतन सोना महंगा होता गया। देशों ने सोना खरीदना तेज किया, ताकि वे आर्थिक तौर पर सबल रहें। अमरीका में तो आजकल शटडाउन का दौर है।
सरकारी कर्मचारियों को वेतन के बिना ही छुट्टी पर भेज दिया गया है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन अमेरिकी कांग्रेस (संसद) से बजट ही पास नहीं करा पाया है। बहरहाल 1970-80 का दौर याद कीजिए, जब सोना 20 गुना से अधिक महंगा हो गया था और वित्तीय सलाहकारों ने सोना खरीदने की सलाह दी थी, लेकिन 1999 तक सोने के दाम अचानक ध्वस्त हुए, तो निवेश भी घटा। 1990-91 के दौर में भारत सरकार को सोना गिरवी रखना पड़ा था, ताकि सामान्य खर्च चलाए जा सकें। फिर उदारीकरण का दौर आया, सोना वापस ले लिया गया, भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर खुल गई। अब तो सोना आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया है।
निवेशकों के लिए यह स्थिति एक संकेत है कि जब दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है तो वे सोने जैसी सुरक्षित संपत्तियों में पैसा लगाना पसंद करते हैं। यह ट्रेंड सोने को एक भरोसेमंद निवेश विकल्प बनाती है, खासकर जब वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक माहौल अस्थिर हो। हालांकि, भारत में सीन थोड़ा अलग है। शादी-ब्याह में सोने का चलन सिर्फ एक इन्वेस्टमेंट या आभूषण नहीं है। अलबत्ता, एक गहरी सांस्कृतिक, वित्तीय और सामाजिक परंपरा का हिस्सा है। सोने को अक्सर शादी की धुरी माना जाता है, जो सदियों से भारतीय विवाहों का एक जरूरी अंग रहा है। Gold News
शादी जैसे पवित्र समारोहों में सोना पहनना या उपहार में देना बेहद शुभ माना जाता है। यह नवविवाहित जोड़े के लिए धन और सौभाग्य लाने की कामना को दर्शाता है। कई पीढ़ियों से चली आ रही रीति-रिवाजों के अनुसार, दुल्हन के लिए सोने के आभूषण (जैसे मंगलसूत्र, चूड़ियां, नथ) पहनना जरूरी होता है। लेकिन, सोने के दाम जिस कदर बढ़ गए हैं, उससे इस पर हाथ रखना भी मुश्किल हो गया है। यह शादी के बजट को पूरी तरह से गड़बड़ा सकता है।
राजेश माहेश्वरी -(यह लेखक के अपने विचार हैं)
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