गुरुग्राम, संजय कुमार मेहरा। नगर निगम गुरुग्राम में मेयर राज रानी मल्होत्रा के सलाहकार नियुक्त किए गए उनके पति तिलक राज मल्होत्रा को अब इस पद से हटा दिया गया है। उनकी नियुक्ति के साथ ही विरोध के स्वर उठने लगे थे। कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे को लगातार उठाया गया। मंगलवार की रात को उन्हें पद से हटाने का पत्र सार्वजनिक हुआ।
बता दें कि गुरुग्राम नगर निगम में इस बार मेयर का चुनाव सीधे जनता ने किया है। यहां मेयर की सीट ओबीसी-ए वर्ग के लिए रिजर्व की गई थी। इस सीट पर पंजाबी वर्ग से आने वाले भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष तिलक राज मल्होत्रा ने अपनी पत्नी राज रानी मल्होत्रा को चुनाव लड़ाने की तैयारी करवाई और वे भाजपा की टिकट पत्नी को दिलाने में कामयाब भी रहे। वैसे तो वे पंजाबी समाज से आते है, लेकिन ओबीसी-ए वर्ग की सीट पर चुनाव लडऩे को लेकर शुरू से ही सवाल खड़े हो रहे हैं। राज रानी मल्होत्रा चुनाव जीतकर मेयर भी बन चुकी है। यह मामला अदालत में भी चला गया है।
इस विवाद के बीच 9 दिन पहले 21 अप्रैल 2025 को मेयर राज रानी मल्होत्रा के पति तिलक राज मल्होत्रा को मेयर का सलाहकार नियुक्त किया गया था। इसके लिए नगर निगम आयुक्त की ओर से पत्र क्रमांक एमसीजी/2025/सीएमसी/9763-64 जारी किया गया और उनकी मेयर के सलाहकार के रूप में नियुक्ति की गई। नियुक्ति के साथ ही विरोध के स्वर उठने लगे थे। कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। रोजाना इस पर बयानबाजी हो रही थी। कांगे्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज डावर ने इस नियुक्ति को लेकर भाजपा पर परिवारवाद के आरोप लगाए। डावर ने कहा कि भाजपा परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा दे रही है, लेकिन सक्रियता से काम कर रही कांग्रेस भाजपा को अपने ऐसे मंसूबों में कामयाब नहीं होने देगी।
पहले मेयर प्रत्याशी थोंपा, अब सलाहकार सौंपने का था प्रयास: डावर
पंकज डावर ने कहा कि पहले तो अनुभवहीन को गुरुग्राम की मेयर की गद्दी दी गई। भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करने का काम किया। जनता को काम करने वाले प्रतिनिधि चाहिए। थोंपे हुए प्रतिनिधि जनता का भला नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि भाजपा की क्या मजबूरी जो उन्हें मेयर के सलाहकार बनाने के लिए अपनी ही पार्टी और पार्टी की सरकार में कोई और योग्य व्यक्ति नहीं मिला। डावर ने कहा कि गुडग़ांव की मेयर को सलाहकार की जरूरत तो इसलिए पड़ेगी कि वे अनुभवहीन हैं। अब से पहले कभी भी वे ना तो राजनीति में सक्रिय रहीं अैर ना ही उन्हें किसी भी तरह से प्रशासनिक काम का अनुभव है। सलाहकार लगाने के लिए सरकार, नगर निगम प्रशासन को मेयर का पति ही मिला। इससे भाजपा ने अपने ही कार्यकर्ताओं को यह भी संदेश दिया है कि इतनी बड़ी पार्टी में गुरुग्राम में सलाहकार के योग्य और कोई नेता, व्यक्ति नहीं था। खुद भाजपा में ही कार्यकर्ता, नेता इस फैसले से खुश नहीं थे। एक ही परिवार को गुडग़ांव को सौंप देने के फैसले से भाजपा में आंतरिक कलह हुई।