भलाई करने वालों को मिलती हैं खुशियां

Sirsa:  पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि ऐसे इन्सान इस कलियुग में हैं तो सही, पर जनसंख्या के अनुसार बहुत कम हैं जिनके अंदर यह भावना रहती है कि ईश्वर जब मेरा भला कर रहे हैं वो सबका भला करें। किसी को रोता देखकर, किसी को तड़पता देखकर वो मालिक से दुआ करने बैठ जाते हैं, उसके दु:ख-दर्द में शरीक हो जाते हैं, बात करते हैं, राह दिखाते हैं और मालिक से यही मांगते हैं कि हे मालिक! जैसे तूने मुझ पर रहमो-करम किया है ये भी तेरी औलाद हंै, जाने-अनजाने में इससे कोई भयानक कर्म हुआ होगा तो उन कर्मों की सजा से इन्हें मुक्त कर दे। अपने नूरे-नजर, रहमो-करम, अपनी दया-मेहर से इसके पाप-कर्मों को हर ले। जो ऐसी भावना रखते हैं, दूसरों के प्रति हमदर्दी रखते हैं मालिक उन पर रहमत, दया-मेहर जरूर करता है, क्योंकि जैसी अपने पास हिम्मत होती है, जो करने योग्य होता है उसी के अनुसार दूसरे का भला करना चाहिए।
तो भाई! इस तरह से जो मालिक के मुरीद होते हैं वो मालिक से मालिक को मांगते हैं। उसके साजो-सामान में कभी नहीं उलझते। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जिनके अंदर अपने परमपिता परमात्मा को पाने की लगन होती है, जो दोनों जहां की खुशियों से एक बार रू-ब-रू हो जाते हैं, जिनको मालिक के रहमो-करम की नूरे-नजर की झलक मिल जाती है वो मालिक से दुनियावी साजो-सामान नहीं मांगते। वो ये ही मांगते हैं कि हे सतगुरु! हे अल्लाह! हे राम! तेरे रहमो-करम की नजर कभी भी मुझ पर से न उठे, तेरा साया मुझ पर पड़ा रहे। तेरे दर्श-दीदार के मैं काबिल नहीं पर तेरे रहमो-करम ने काबिल बनाया है। हे ईश्वर! हे मालिक! ऐसी रहमत, दया-मेहर करना कि तेरी औलाद का सत्कार करूं, अच्छे, नेक कर्म करूं और तेरी राह पर चलता हुआ तेरे दर्श-दीदार से मालामाल हो जाऊं।
आप जी फरमाते हैं कि किसी फकीर के पास कोई गया और कहने लगा कि मैं बड़ा भाग्यशाली हूं। फकीर कहने लगा कि भाई, ऐसा क्या कर दिया तूने? वो कहने लगा कि मेरे पास दो बेटे हैं, पूरा पैसा है, घर है, आराम है, सब कुछ है। तो आगे से फकीर ने कहा कि भगवान मिला? वह आदमी कहता कि नहीं। फकीर ने कहा कि कैसा भाग्यशाली जिसे न भगवान मिला। तो तू काहे का भाग्यशाली है? भाग्यशाली तो वो होते हैं जो सुप्रीम पावर, दोनों जहां की शक्ति के दर्श-दीदार कर लिया करते हैं और जिससे फिर ऐसी खुशियां मिलती हैं, ऐसी शांति मिलती है जो लिखने-बोलने से परे की बात है। तो भाई! मालिक का सुमिरन करें, भक्ति-इबादत करें। उसके नाम का जाप करते हुए आप अपने गम, चिंता, अंदर की परेशानियों को खत्म कर सकते हैं और फिर आत्मिक शांति, परमानन्द से दोनों जहां की खुशियों से आपका जीवन महक उठेगा, आपके जीवन में बहारें छा जाएंगी।