Haryana News: हरियाणा स्वास्थ्य विभाग का बड़ा फैसला, इन योजनाओं के तहत सरकारी अस्पतालों में हो सकेंगी अब ये सर्जरी

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Haryana News: हरियाणा स्वास्थ्य विभाग का बड़ा फैसला, इन योजनाओं के तहत सरकारी अस्पतालों में हो सकेंगी अब ये सर्जरी

16 मेडिकल-सर्जिकल पैकेज होंगे उपलब्ध

Ayushman Bharat Yojana: फरीदाबाद (सच कहूँ/सागर दहिया)। हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने एक अहम् फैसले के तहत मरीज के उपचार एवं आपरेशन संबंधी कुल 16 मेडिकल-सर्जिकल पैकेज अब केवल सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से ही लाभार्थियों को उपलब्ध होंगे। फरीदाबाद नागरिक अस्पताल के सीएमओ डॉ. जयंत आहूजा ने बताया कि विभाग ने आयुष्मान भारत और चिरायु योजना के अंतर्गत प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए ये फैसला लिया है। Haryana News

सरकार ने 5 अतिरिक्त मेडिकल एवं सर्जिकल सेवाओं को, जो पहले निजी एवं सरकारी दोनों अस्पतालों में उपलब्ध थीं, वह अब केवल सूचीबद्ध सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मिलेगी। इनमें फेको इमल्सिफिकेशन आईओएल, एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टॉमी, सीओपीडी का तीव्र प्रकोप उपचार, गंभीर निर्जलीकरण के साथ तीव्र गैस्ट्रोएंटेराइटिस तथा बिना सीबीडी एक्सप्लोरेशन के लेप्रोस्कोपिक कोलीसिस्टेकटॉमी शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि इसी क्रम में हरियाणा सरकार ने 11 सर्जिकल, आथोर्पेडिक एवं ईएनटी पैकेजों को भी केवल सूचीबद्ध सरकारी अस्पतालों के लिए सुरक्षित किया है। इनमें टोटल नी एवं हिप रिप्लेसमेंट (प्राइमरी और रिवीजन), टिम्पेनोप्लास्टी, विभिन्न प्रकार की हर्निया सर्जरी (खुली एवं लैप्रोस्कोपिक), अपेंडेक्टोमी, एडेनॉइडेक्टॉमी, टॉन्सिल्लेक्टोमी, से 8 अकेले हरियाणा के हैं।

हरियाणा के धारूहेड़ा में सबसे खराब स्थिति

हरियाणा के धारूहेड़ा में सबसे खराब स्थिति बनी हुई है, जहाँ वायु गुणवत्ता सूचकांक 434 तक पहुँच गया। यह स्तर अति खतरनाक श्रेणी में आता है और सामान्य व्यक्ति के लिए भी सांस लेना दूभर करता है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के अधिकांश शहरों की हवा भी जहरीली हो चुकी है। मेरठ का एक्यूआई 381,भिवाड़ी 376, दिल्ली 366 और गुरुग्राम 357 दर्ज किया गया। इसके अलावा गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा, हापुड़ और बागपत में भी वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी में बना हुआ है।

हरियाणा के करनाल, कुरूक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, जींद और बहादुरगढ़ जैसे औद्योगिक और शहरी क्षेत्र लगातार धुंध की परत में ढके हुए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थिति फसल अवशेष जलाने, औद्योगिक उत्सर्जन और मौसम में ठहराव के कारण और खतरनाक बन गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रदूषण स्तर फेफड़ों के रोग, सिरदर्द, आंखों में जलन, सांस की तकलीफ व हृदय संबंधी जोखिम बढ़ा सकता है। बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को घर से यथासंभव बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है। Haryana News