Dog Bite: घाव को साबुन से धोने पर कितना घटता है रेबीज का खतरा? WHO विशेषज्ञों की अहम चेतावनी और सलाह

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Dog Bite: घाव को साबुन से धोने पर कितना घटता है रेबीज का खतरा? WHO विशेषज्ञों की अहम चेतावनी और सलाह

Dog Bite:  अनु सैनी। भारत में हर साल हजारों लोग कुत्ते, बिल्ली, बंदर या अन्य जानवरों के काटने की घटनाओं का शिकार होते हैं। इनमें सबसे खतरनाक खतरा होता है रेबीज—एक ऐसी बीमारी, जो एक बार लक्षण आने के बाद लगभग हमेशा जानलेवा साबित होती है। अक्सर लोग यह मान लेते हैं कि अगर काटने के तुरंत बाद घाव को साबुन और पानी से धो लिया जाए, तो खतरा टल जाता है। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विशेषज्ञों ने इस पर साफ और सटीक जवाब दिया है।

साबुन और पानी से धोना – पहला और सबसे जरूरी कदम | Dog Bite

WHO का कहना है कि अगर किसी जानवर ने काटा या खरोंचा है, तो सबसे पहले घाव को तुरंत और अच्छी तरह धोना चाहिए। घाव को कम से कम 15 मिनट तक बहते पानी और साबुन से धोना अनिवार्य है। धोते समय झाग बनाना जरूरी है, क्योंकि साबुन वायरस को कमजोर करता है। धोने के बाद घाव पर एंटीसेप्टिक घोल (जैसे आयोडीन या अल्कोहल) लगाया जा सकता है।

WHO विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रक्रिया वायरस की संख्या को काफी हद तक कम कर देती है। इसका मतलब है कि अगर घाव में रेबीज वायरस मौजूद है, तो उसका असर घट सकता है और संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।

क्या इतना करना काफी है? जवाब – बिल्कुल नहीं

यहीं सबसे बड़ी गलती होती है—लोग मान लेते हैं कि साबुन-पानी से धोना ही इलाज है। WHO की चेतावनी है कि सिर्फ घाव धोना पर्याप्त नहीं है। यह केवल पहले कदम के तौर पर जरूरी है, लेकिन इसके बाद भी मेडिकल ट्रीटमेंट लेना अनिवार्य है।

विशेषज्ञ कहते हैं:-

घाव धोने के बाद तुरंत नजदीकी अस्पताल या क्लिनिक जाएं।
डॉक्टर मरीज की स्थिति देखकर रेबीज वैक्सीन का कोर्स शुरू करेंगे।
गंभीर मामलों में रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन (RIG) का इंजेक्शन भी लगाया जाता है, जो वायरस को शुरुआती स्तर पर ही खत्म कर देता है।

रेबीज क्यों है इतना खतरनाक?

  • रेबीज एक वायरल बीमारी है जो आमतौर पर संक्रमित जानवर की लार से फैलती है।
  • यह वायरस काटने, खरोंचने या खुले घाव में चाटने से शरीर में प्रवेश कर सकता है।
  • रुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान और काटे की जगह पर झुनझुनी या जलन शामिल हैं।
  • कुछ दिनों बाद गंभीर लक्षण जैसे पानी से डर (Hydrophobia), तेज बेचैनी, मांसपेशियों में ऐंठन, लकवा और मौत हो सकती है।
  • सबसे खतरनाक बात यह है कि एक बार लक्षण शुरू हो जाने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं है। यही वजह है कि WHO समय रहते इलाज लेने पर जोर देता है।
  • भारत में रेबीज का खतरा क्यों ज्यादा है?

भारत में आवारा कुत्तों की संख्या बहुत अधिक है, और ग्रामीण क्षेत्रों में रेबीज के बारे में जागरूकता की कमी है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार:-

  • हर साल भारत में लगभग 20,000 लोग रेबीज से मरते हैं।
  • ज्यादातर मामले ग्रामीण इलाकों से आते हैं, जहां समय पर वैक्सीन नहीं लग पाती।
  • कई लोग घरेलू नुस्खों पर भरोसा करके इलाज में देरी कर देते हैं।

WHO की गाइडलाइन – काटने के बाद क्या करें?

क्या करें (Do’s):-
1. घाव को तुरंत बहते पानी और साबुन से कम से कम 15 मिनट तक धोएं।
2. धोने के बाद एंटीसेप्टिक लगाएं।
3. तुरंत डॉक्टर या अस्पताल जाएं और रेबीज वैक्सीन शुरू करें।
4. अगर काटने वाला जानवर पालतू है, तो उसकी वैक्सीनेशन हिस्ट्री पता करें।
5. डॉक्टर की सलाह के अनुसार पूरा वैक्सीन कोर्स लें।
क्या न करें (Don’ts):-
1. घाव पर गंदा कपड़ा या मिट्टी न लगाएं।
2. बिना डॉक्टर की सलाह के घाव को सिलाई न करें।
3. घरेलू नुस्खों जैसे हल्दी, तेल या राख का इस्तेमाल न करें।
4. इलाज में देरी न करें—हर मिनट कीमती है।

बीज से बचाव के 5 जरूरी कदम (WHO के अनुसार)

1. तुरंत घाव धोना – साबुन और पानी से 15 मिनट तक।
2. एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल – आयोडीन या अल्कोहल से साफ करना।
3. वैक्सीन लेना – डॉक्टर द्वारा सुझाए गए पूरे कोर्स के अनुसार।
4. RIG इंजेक्शन (जरूरत पड़ने पर) – वायरस को तुरंत रोकने के लिए।
5. निगरानी – काटने वाले जानवर को 10 दिनों तक देखें (अगर संभव हो)।

WHO विशेषज्ञ का बयान

WHO के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है –
“साबुन और पानी से घाव को धोना जरूरी है, लेकिन यह सिर्फ पहला कदम है। रेबीज से बचने के लिए समय पर वैक्सीन और जरूरत पड़ने पर इम्यूनोग्लोबुलिन लेना अनिवार्य है। इलाज में देरी मौत का कारण बन सकती है।”

नजागरूकता क्यों जरूरी है?

रेबीज से बचाव पूरी तरह संभव है, अगर लोग समय पर सही कदम उठाएं। ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे कस्बों में लोगों को यह जानकारी देना जरूरी है कि:-
काटने के तुरंत बाद क्या करना है।
इलाज में देरी कितनी खतरनाक हो सकती है।
घरेलू नुस्खों से बचने की जरूरत क्यों है।
सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को चाहिए कि गांव-गांव में रेबीज से बचाव के पोस्टर, कैंप और जागरूकता कार्यक्रम चलाएं।
रेबीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है। साबुन और पानी से घाव धोना वायरस को कमजोर करने का पहला कदम है, लेकिन इससे पूरी तरह बचाव नहीं होता। WHO के अनुसार, तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट लेना, वैक्सीन और इम्यूनोग्लोबुलिन का इस्तेमाल ही जान बचाने का पक्का तरीका है।