Freelancer Tax Rules: नई दिल्ली। आयकर रिटर्न (आईटीआर) 2025 दाखिल करने का समय निकट आते ही अनेक स्वतंत्र पेशेवर (फ्रीलांसर) और परामर्शदाता (कंसल्टेंट) इस उलझन में हैं कि उनकी आय पर कर की गणना वेतनभोगी कर्मचारियों से किस प्रकार भिन्न होती है। मुख्य अंतर केवल आईटीआर फार्म के चयन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आय का आकलन, अनुमत कटौतियाँ, और दाखिल करने की अंतिम तिथियाँ भी अलग-अलग होती हैं। ITR Filing 2025
वेतनभोगी कर्मचारियों की आय “वेतन” शीर्षक के अंतर्गत कर योग्य होती है, जबकि फ्रीलांसर या कंसल्टेंसी कार्य से होने वाली आय “व्यवसाय अथवा पेशे से लाभ” शीर्षक के अंतर्गत आती है। यह वर्गीकरण ही तय करता है कि कौन-सी कटौतियाँ उपलब्ध होंगी और अभिलेख किस प्रकार संधारित करने होंगे।
स्रोत पर कर कटौती (TDS) में अंतर
वेतनभोगी व्यक्ति अपने नियोक्ता द्वारा जारी फॉर्म 16 के आधार पर कर रिटर्न दाखिल करते हैं, क्योंकि नियोक्ता वेतन देने से पूर्व आवश्यक कर की कटौती कर देता है। दूसरी ओर, फ्रीलांसरों को अपने करों का आकलन और भुगतान स्वयं करना पड़ता है। प्रायः ग्राहक, भुगतान करते समय, 10% टीडीएस काटकर सरकार के पास जमा करते हैं। फ्रीलांसरों को फॉर्म 16A ग्राहकों से लेना चाहिए और इसे फॉर्म 26AS से मिलान कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कर का क्रेडिट सही प्रकार से दर्ज हो।
कटौतियों में भिन्नता
वेतनभोगी कर्मचारी पुरानी कर व्यवस्था में ₹50,000 तक और नई व्यवस्था में ₹75,000 तक की मानक कटौती बिना किसी प्रमाण के प्राप्त कर सकते हैं। फ्रीलांसर मानक कटौती के पात्र नहीं होते, लेकिन वे अपने वास्तविक व्यवसाय-संबंधी खर्चों को घटा सकते हैं, जैसे—
- इंटरनेट और मोबाइल बिल
- स्टेशनरी एवं मुद्रण व्यय
- यात्रा व्यय
- कार्यस्थल के किराये और बिजली का अनुपातिक हिस्सा
- कंप्यूटर, प्रिंटर एवं अन्य कार्यालय उपकरणों पर मूल्यह्रास
- व्यक्तिगत खर्चों पर कोई कटौती नहीं मिलती, किन्तु यदि घर का कोई भाग कार्य हेतु उपयोग हो रहा हो तो उससे जुड़े किराये, बिजली, रखरखाव और मूल्यह्रास का अनुपातिक दावा किया जा सकता है।
शुद्ध कर योग्य आय की गणना
फ्रीलांसर की शुद्ध कर योग्य आय =
कुल प्राप्तियां – अनुमत व्यवसायिक खर्च
अन्य आय (जैसे ब्याज, किराया, पूंजीगत लाभ) अपने-अपने शीर्षकों में जोड़ी जाती है और कुल आय के अंतर्गत कर योग्य होती है।
पुरानी कर व्यवस्था में फ्रीलांसरों के लिए कटौती विकल्प
धारा 80C – पीपीएफ, ईएलएसएस, जीवन बीमा इत्यादि में निवेश
धारा 80CCD – राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में योगदान
धारा 80D – स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम
धारा 80TTA – बचत खाते पर ब्याज
धारा 80GG – किराये पर कटौती (₹5,000 प्रति माह तक), यदि एचआरए प्राप्त न हो
फ्रीलांसरों के लिए आईटीआर फार्म
जो फ्रीलांसर अनुमानित कराधान योजना के पात्र नहीं हैं, उन्हें आईटीआर-3 भरना अनिवार्य है।
धारा 44AD के अंतर्गत 2 करोड़ रुपये तक की व्यावसायिक आय पर अनुमानित कराधान की सुविधा उपलब्ध है, और यदि नकद प्राप्तियां कुल राजस्व का 5% से कम हों तो यह सीमा 3 करोड़ रुपये तक बढ़ जाती है। ITR Filing 2025