मरीन इंजीनियर

  • समुद्री वातावरण में काम करने का पेशा

दुनिया भर में बड़ी व्यावसायिक गतिविधियां समुद्री मार्गों से ही की जा रही हैं। यह मुमकिन हुआ है मरीन इंजीनियर के बनाए उन्नत जलपोतों, बंदरगाहों और इसी तरह के तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल से। यह पेशेवर अपने कार्यक्षेत्र में मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग सहित कंप्यूटर विज्ञान के सिद्धांतों का इस्तेमाल कर जल से जुड़े उपकरणों और संसाधनों के निर्माण से लेकर उनके रख-रखाव और संचालन का कार्य करते हैं। इन्हें समुद्री वातावरण झेल सकने वाले जहाजों, बंदरगाहों सहित उनके पावर प्लांट, समुद्र से तेल निकालने वाले उपकरणों या ऐसी ही किसी संरचना को बनाने और इनके संचालन की जिम्मेदारी दी जाती है।

कैसे रखें कदम: मरीन इंजीनियर बनने के लिए इच्छुक युवाओं को मान्यता प्राप्त संस्थान से मरीन इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री अर्जित करनी होगी। देशभर में कई सरकारी और निजी संस्थान इसमें कोर्स कराते हैं, बारहवीं विज्ञान 60 फीसदी अंकों से पास करने वाले छात्र इसकी प्रवेश परीक्षा में बैठ सकते हैं।

छात्रों को इंटरव्यू और साइकोमेट्रिक टेस्ट के बाद प्रवेश दिया जाता है। चूंकि समुद्री वातावरण में काम करना इतना आसान नहीं होता है, इसलिए उम्मीदवारों को प्रवेश पाने के लिए चिकित्सा जांच से होकर गुजरना पड़ता है।

कुछ प्रचलित कोर्स

  • बीटेक इन मरीन इंजीनियरिंग.
  • बीटेक इन नेवल आर्किटेक्ट एंड ओशन इंजीनियरिंग .
  • डिप्लोमा इन मरीन इंजीनियरिंग
  • मास्टर स्तर पर अध्ययन का दायरा बढ़ जाता है। इस स्तर पर नेवल आर्किटेक्ट जैसे विषयों को विस्तार से पढ़ाया जाता है।

कैसे होती है शुरूआत
मरीन इंजीनियरिंग का सिलेबस काफी कुछ मैकेनिकल इंजीनियरिंग से मिलता-जुलता है। इसमें चयनित छात्रों को हर तरह के जलपोत के इंजन और उनके सहायक उपकरणों को बनाना और चलाना सिखाया जाता है। एक प्रशिक्षित युवा इंजीनियरिंग कैडेट के पद से नौकरी की शुरूआत करता है। आखिर में अपने अनुभव और क्षमता के अनुसार चीफ इंजीनियर के पद तक पहुंचता है। इन पेशेवरों को नौकरी के स्तर पर संबंधित लाइसेंस आगे बढ़ने में मदद करता है। लाइसेंस का लेवल बढ़ने के साथ जिम्मेदारियों का स्तर भी बढ़ने लगता है।

चीफ इंजीनियर बनने के लिए एक उम्मीदवार को लगातार पढ़ते रहने और परीक्षाओं में शामिल होते रहने की जरूरत होती है। सर्वेयर बनने के लिए थोड़ा और पढ़ने की जरूरत होती है। जहाज को बेहतर हालात में रखने के लिए इंजीनियर को अच्छी सैलरी दी जाती है।

डिप्लोमा इन मरीन इंजीनियरिंग

मास्टर स्तर पर अध्ययन का दायरा बढ़ जाता है। इस स्तर पर नेवल आर्किटेक्ट जैसे विषयों को विस्तार से पढ़ाया जाता है।
रोजगार के अवसर: इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं मरीन इंजीनियरिंग और नेवल आर्किटेक्ट बनने तक ही सीमित नहीं हैं। यहां साइट मैनेजर, शिप बिल्डर, मेटल वर्कर और कार्बन फाइबर टेक्नीशियन तक के लिए मौके हैं। मरीन इंजीनियर की लगातार मांग बनी हुई है। पारंपरिक काम जैसे शिप डिजाइन के साथ-साथ वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में इन पेशेवरों की मांग बढ़ी है। अब ऐसे उपकरणों और मशीन के निर्माण को तरजीह मिल रही है, जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाने वाले हों। अब जब तेल कंपनियां तटीय इलाकों से दूर तेल के स्रोत खोज रही हैं, मरीन इंजीनियर को ऐसी मशीनें डिजाइन करने की जरूरत महसूस हो रही है, जो उन स्थितियों में सफल हो सकें।

मरीन इंजीनियरिंग युवाओं के लिए एक बेहतर करियर विकल्प साबित हुआ है। अनुभव बढ़ने के साथ इन पेशेवरों को मैनेजमेंट स्तर के पदों की जिम्मेदारी निभाने के मौके मिलते हैं। कुछ मरीन इंजीनियर सेल्स में अपने लिए मौके तलाशते हैं। वह अपनी समझ से क्लाइंट को उनकी योजनाएं बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।

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