ITR Filing 2025: नई दिल्ली। देशभर में अब तक 6.7 करोड़ से अधिक करदाता अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल कर चुके हैं। इनमें से बड़ी संख्या में लोग रिफंड की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अक्सर समय पर आईटीआर भरने के बावजूद रिफंड में देरी होती है। इसके पीछे कई प्रमुख कारण हो सकते हैं— ITR Filing
1. ई-वेरिफिकेशन न करना | ITR Filing
आईटीआर दाखिल करने के बाद इसे 30 दिनों के भीतर ई-वेरिफाई करना अनिवार्य है। यदि यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती तो रिफंड रुक सकता है। कई मामलों में देरी होने पर करदाताओं को जुर्माना भी भरना पड़ता है।
2. एआईएस (Annual Information Statement) से अंतर
एआईएस में करदाता की आय, बैंक खातों और निवेश से जुड़ी पूरी जानकारी होती है। यदि आईटीआर में दी गई जानकारी और एआईएस में दर्ज आंकड़ों में अंतर पाया जाता है तो रिफंड रोका जा सकता है। साथ ही, आयकर विभाग नोटिस भी भेज सकता है। इसलिए आईटीआर भरते समय एआईएस से मिलान करना आवश्यक है।
3. गलत आईटीआर फॉर्म का चयन | ITR Filing
आयकर विभाग ने आय और व्यवसाय की प्रकृति के आधार पर अलग-अलग फॉर्म निर्धारित किए हैं।
50 लाख रुपये तक वेतन पाने वालों के लिए आईटीआर-1
व्यवसाय अथवा पेशे से 50 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए आईटीआर-4
यदि करदाता गलत फॉर्म का चयन करता है, तो रिफंड की प्रक्रिया बाधित हो सकती है।