
India rejects Hague Court’s ‘illegal’ decision: नई दिल्ली। भारत सरकार ने शुक्रवार को हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration-PCA) द्वारा किशनगंगा और रैटल जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर दिए गए निर्णय को सख्ती से खारिज कर दिया है। यह दोनों परियोजनाएं जम्मू-कश्मीर में स्थित हैं। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इस निर्णय को “कथित पूरक पुरस्कार” बताते हुए अस्वीकार कर दिया और स्पष्ट किया कि भारत ने कभी भी उस प्रक्रिया या ढांचे को मान्यता नहीं दी है जिसके अंतर्गत यह मध्यस्थता की कार्यवाही हुई। Hague Court News
बयान में कहा गया कि भारत इस मध्यस्थता न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को नहीं स्वीकार करता, विशेष रूप से सिंधु जल संधि के अंतर्गत पाकिस्तान द्वारा विवाद समाधान के लिए अपनाए गए एकपक्षीय कदमों के संदर्भ में। न्यायालय के कथन के विपरीत, भारत ने यह स्पष्ट किया कि अप्रैल में सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित करने का निर्णय पूरी तरह से भारत के संप्रभु अधिकारों के अंतर्गत लिया गया था और इसका इस विवाद पर किसी मध्यस्थ संस्था की वैधता या अधिकार क्षेत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
“पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित करने पुरानी नीति
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा- “पाकिस्तान द्वारा बार-बार इस प्रकार के मंचों का दुरुपयोग कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित करने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की यह पुरानी नीति रही है। किशनगंगा और रैटल परियोजनाओं पर आपत्ति जताकर पाकिस्तान एक बार फिर से आतंकवाद के वैश्विक गढ़ के रूप में अपनी भूमिका से बचने का प्रयास कर रहा है।”
भारत ने यह भी दोहराया कि तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय का गठन सिंधु जल संधि (1960) के प्रावधानों का उल्लंघन है और इसलिए उसके समक्ष की गई कोई भी कार्यवाही, निर्णय अथवा कथित पुरस्कार अवैध और अमान्य हैं। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने परियोजनाओं के कुछ डिज़ाइन तत्वों पर आपत्ति जताई थी, लेकिन इसके समाधान के लिए उचित और सहमति-आधारित प्रक्रिया की बजाय उसने एकतरफा और अनधिकृत रूप से मध्यस्थता प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, जिसे भारत स्वीकार नहीं करता।
बयान में यह भी बताया गया कि भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल है। मंत्रालय ने कहा-“भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित किया है, जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन को पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से नहीं त्याग देता।” Hague Court News