
चेन्नई (एजेंसी)। Isro News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब चांद पर मिशन के साथ ही अंतरिक्ष में मानव भेजने की भी तैयारी कर रहा है। गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे। इसके अलावा, निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने और नए लॉन्च व्हीकल्स के विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। इसरो चंद्रयान, गगनयान और भारत-अमेरिका निसार मिशन सहित कई सफल प्रक्षेपण के साथ ही एक्सिओम-4 मिशन पर देश के पहले अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस)पर भेजने के लिए प्रतिबद्ध है। इसरो ने पिछले वर्ष की उपलब्धियों को गिनाते हुए अपनी वेबसाइट में यह नवीनतम जानकारी साक्षा की। Isro News
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से पांच प्रक्षेपण सफल रहे हैं जिनमें आठ भारतीय अंतरिक्ष यान, एक विदेशी उपग्रह और पीओईएम 3 और 4 सहित छह रॉकेट निकायों का सटीक प्रक्षेपण शामिल है।इनमें पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसैट, पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3, पीएसएलवी-सी60/एसपीएडेक्स डॉकिंग प्रायोगिक मिशन, जीएसएलवी-एफ14/इनसैट-3डीएस और एसएसएलवी-डी3/ईओएस-08 मिशन शामिल थे। इन सभी ने अपनी निर्धारित कक्षा में पेलोड को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। Isro News
वर्ष 2024 की अपनी उपलब्धियों को दशार्ते हुए इसरो ने बताया कि संगठन के जीसैट-20 को स्पेसएक्स के फाल्कन-9 ब्लॉक 5 द्वारा केप कैनावेरल से लॉन्च किया गया। टीएसएटी- 1 ए को भी फाल्कन-9 द्वारा ही लॉन्च किया गया जिसके परिणामस्वरूप कुल आठ भारतीय उपग्रहों, एक विदेशी उपग्रह, और छह रॉकेट निकाय (पोयम -3 और पोयम – 4 सहित) को उनकी इच्छित कक्षाओं में प्रक्षेपित किया गया।
वेबसाइट के मुताबिक पिछले साल 31 दिसंबर तक निजी आपरेटरों/शैक्षणिक संस्थानों सहित कुल 36 भारतीय अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किये गये। इस दौरान भारत सरकार के स्वामित्व वाले परिचालन उपग्रहों की संख्या लियो (निम्न पृथ्वी कक्षा) में 22 और जियो (भू-समकालिक पृथ्वी कक्षा) में 31 है। इसरो इन उपग्रहों का संचालन और प्रबंधन करता है, जो देश के विकास और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा दो भारतीय अंतरिक्ष मिशन -अर्थात् चंद्रयान-2 आॅर्बिटर (सीएच 2ड) और सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु पर आदित्य-एल1 भी सक्रिय थे। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान के प्रणोदन मॉड्यूल ने नवंबर 2023 से अपनी चंद्र कक्षा से स्थानांतरित होने के बाद उच्च पृथ्वी की कक्षा (1 लाख किमी से अधिक दूर) में काम करना जारी रखा। Isro News
इस बीच इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने वर्ष 2024 के लिए ‘इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस आॅपरेशंस मैनेजमेंटह्ण (आईएसफौरओएम) द्वारा संकलित भारतीय अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट (आईएसएसएआर) जारी करते हुए कहा कि पीएसएलवी -सी 3 का ऊपरी चरण वर्ष 2001 में आकस्मिक रूप से टूट गया था जिससे 371 टुकड़े हुए थे। इनमें से अधिकांश टुकड़े हालांकि फिर से वायुमंडल में प्रवेश कर गए हैं। वर्ष 2024 के अंत तक 41 पीएसएलवी – सी 3 का मलबा अभी भी कक्षा में ही है। Isro News
उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 के अंत तक 34 रॉकेट निकायों ने पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश किया और उस समय ऐसे पांच पुन:प्रवेश हुए।वायुमंडलीय पुन: प्रवेश में 34 रॉकेट निकायों ने 2024 के अंत तक पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश किया। इसरो की वेबसाइट के मुताबिक सभी एलवीएम 3 रॉकेट निकाय क्षय हो चुके हैं और केवल एलवीएम 3 एम 2 वन वेब इंडिया- मिशन से एक ही राकेट कक्षा में बचा हुआ है। जीएसएलवी रॉकेट निकायों में से केवल जीएसएलवी -एफ 12 और जीएसएलवी- एफ 14 रॉकेट निकाय कक्षा में हैं। वर्ष 2024 के अंत तक कुल 31 भारतीय उपग्रह वायुमंडल में पुन: प्रवेश कर चुके हैं। वर्ष 2024 में नौ भारतीय उपग्रह वायुमंडल में पुन: प्रवेश कर चुके हैं। इनमें काटोर्सैट-2 भी शामिल है, जो 14 फरवरी को वायुमंडल में पुन: प्रवेश कर गया।
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