India US Trade Deal: नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत को एक सभ्यतामूलक राष्ट्र, बहुलतावादी लोकतंत्र, वैश्विक प्रतिभा का केंद्र, राजनयिक सेतु और वैश्विक दक्षिण की सशक्त आवाज के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारत निकट भविष्य में अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में सफल होगा। ‘न्यूजवीक’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेव प्रगाड़ से विशेष बातचीत में डॉ. जयशंकर ने भारत की वैश्विक भूमिका, विदेश नीति, और रणनीतिक दृष्टिकोण पर विस्तार से प्रकाश डाला। India News
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा, “हम इस समय एक अत्यंत जटिल व्यापारिक चर्चा के मध्य बिंदु पर हैं। मेरी आशा है कि यह वार्ता सफल निष्कर्ष तक पहुँचेगी, यद्यपि मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता क्योंकि इसमें एक और पक्ष भी शामिल है। परंतु मुझे विश्वास है कि यह संभव है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सुदृढ़ व्यक्तिगत संबंध रहे हैं, जिसने दोनों देशों के संबंधों को मजबूती दी है।
डॉ. जयशंकर ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए क्वाड (QUAD) देशों – भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया – की संयुक्त प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “ये चारों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्होंने साझा हित में स्थायित्व और समृद्धि को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है।”
चीन और पाकिस्तान को लेकर स्पष्ट नीति | India News
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत चीन के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है, किन्तु पाकिस्तान के साथ किसी भी वार्ता का आधार आतंकवाद समाप्त होना ही होगा। उन्होंने दो टूक कहा, “भारत अब आतंकवाद को किसी भी रूप में सहन नहीं करेगा। हम यह नहीं मानते कि आतंकी केवल प्रॉक्सी हैं और राज्य की भूमिका नहीं है। पाकिस्तान इसमें सीधे तौर पर शामिल है। जब तक आतंकवाद समाप्त नहीं होता, कोई वार्ता संभव नहीं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को परमाणु हथियारों की धमकियों से डराया नहीं जा सकता। “हम अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएंगे।”
इज़राइल-ईरान संघर्ष पर भारत की मध्यस्थता की भूमिका
इज़राइल और ईरान के बीच जारी तनाव को लेकर डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत दोनों देशों से मित्रवत और पारदर्शी संबंध रखता है, और यदि आवश्यक हुआ तो वह शांति स्थापित करने में भूमिका निभाने को तैयार है। उन्होंने बताया कि भारत पहले भी ऐसे प्रयास कर चुका है और आगे भी सकारात्मक भूमिका निभाने को तत्पर है।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक राजनीति में पारंपरिक गठबंधनों की भूमिका घट रही है और देश अब अपने राष्ट्रीय हितों को स्वतंत्र रूप से प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत और चीन का उदय, रूस की पुनः सशक्त होती स्थिति और अमेरिका की नीतियों में बदलाव – ये सभी मिलकर एक नए वैश्विक संतुलन की ओर संकेत कर रहे हैं। India News
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