जज्बे को सलाम : दोनों हाथ न होने के बावजूद भी 11 वर्षों से सच-कहूँ वितरण की सेवा कर रहा ‘जसपाल इन्सां’

Jaspal Insan

दिव्यांगता भी हो गई हौसले के समक्ष नतमस्तक

ओढां(राजू)। कहावत है कि अगर हौसला बुलंद हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो विकट परिस्थितियों में भी हौसला रखते हुए इन परिस्थितियों को घुटने टेकने पर विवश कर देते हैं। ऐसा ही एक प्रत्यक्ष उदाहरण देखा जा सकता है सरसा जिला के गाँव मलिकपुरा में। जहां 40 वर्षीय एक व्यक्ति के हौसले के समक्ष उसकी दिव्यांगता भी नतमस्तक हो गई। ये व्यक्ति उन लोगों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है जो विकट परिस्थितियां आने पर हौसला खोकर कई बार अनुचित कदम तक उठा लेते हैं। आत्मविश्वास से लबरेज इस शख्स ने सच-कहूँ संवाददाता राजू ओढां से विशेष बातचीत की।

गाँव मलिकपुरा निवासी जसपाल इन्सां ने एक हादसे में अपने दोनों हाथ खो दिए थे। हादसे के बाद उसे जिंदगी बोझ लगने लगी थी। उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि वह हाथों के बगैर अब कैसे जिएगा। पूज्य गुरु जी द्वारा फरमाए गए वचनों को जसपाल ने अपने जीवन में धारण करते हुए हौसले के साथ इन परिस्थितियों से लड़ने का फैसला लिया। गाँव में सच-कहूँ वितरण सुबह देर से होने के चलते नामचर्चा के दौरान साध-संगत इस पर विचार-विमर्श कर रही थी। इसी दौरान जसपाल ने खड़े होकर सच-कहूँ वितरण की सेवा करने की बात कहते हुए नारा लगा दिया। ये देखकर उपस्थित साध-संगत आश्चर्यचकित रह गई। उन्होंने जसपाल से कहा कि वह बगैर हाथों के ये सेवा कार्य कैसे करेगा। लेकिन जसपाल के जज्बे के आगे सभी ने सहमति जता दी।

11 वर्षों से दे रहा है निरंतर सेवा, बना रखा है स्पेशल थैला 

जसपाल ने जिस दिन से गाँव में सच-कहूँ वितरण की सेवा संभाली है तब से वह पिछले निरंतर 11 वर्षों से सराहनीय सेवा दे रहा है। जसपाल ने अपनी सुविधा के अनुसार स्पेशल थैला बना रहा है। सुबह करीब 5 बजे जसपाल के पास सच-कहूँ का बंडल पहुंच जाता है। जिसके बाद वह अखबार लेकर गाँव में पैदल वितरण के लिए निकल जाता है। जसपाल करीब एक घंटे में ये सेवा पूरी कर लेता है। जसपाल में गले में डाले गए स्पेशल थैले से मुँह से अखबार निकालता है और कटे हुए हाथ पर रखकर सत्कार से पाठक को दे देता है।

कोई परेशानी नहीं 

जसपाल एक अलग ही जोश के साथ सच-कहूँ वितरण की सेवा करता है। जसपाल ने पूछे जाने पर बताया कि उसे सच-कहूँ वितरण में कोई परेशानी नहीं। उसे ये हौसला उसके पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने दिया है। उसने कहा कि वह जो भी कुछ कर रहा है वो पूज्य गुरु जी की रहमत से ही संभव हो पा रहा है। सच-कहूँ के पाठकों के मुताबिक गाँव में सुबह समय पर अखबार का वितरण हो रहा है। पाठकों ने जसपाल के जज्बे की सराहना की है। जसपाल ने कुछ समय पूर्व गांव नुहियांवाली में आश्रम में निर्माण कार्य के दौरान कृत्रिम हाथों से रंग-रोगन की सेवा कर सभी को दांतों से तले उंगली दबाने को मजबूर कर दिया था।

18 वर्ष पूर्व खो दिए थे दोनों हाथ 

जसपाल ने करीब 18 वर्ष पूर्व एक हादसे में अपने दोनों हाथ खो दिए थे। उसे घर के निकट ट्रांसफार्मर पर फ्यूज लगाते समय अचानक करंट लग गया था। इस हादसे ने उसकी जिंदगी में उथल-पुथल मचा दी। हादसे में उसने दोनों हाथ खो दिए। हादसे के 2 दिन बाद परिजनों ने जसपाल की शादी की बातचीत करने जाना था। लेकिन शायद किस्मत को ये मंजूर नहीं था। जसपाल दोनों हाथ न होने के बावजूद भी जिंदगी से संतुष्ट है। जो लोग कई बार विकट परिस्थितियां आने के बाद हौसला छोड़ देते हैं उन लोगोंं से जसपाल ने अपील करते हुए कहा कि हौसला न छोड़ें। हौसला है तो सब-कुछ है।

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