
Kanwar Yatra: मुज्जफरनगर। अनु सैनी। उत्तर भारत की प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा कांवड़ यात्रा इस बार 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार) से शुरू हो रही है। हर साल सावन के महीने में लाखों शिवभक्त गंगा से पवित्र जल लेकर अपने-अपने क्षेत्रों के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। इस बार मुख्य जल चढ़ाने की तारीख 23 जुलाई (बुधवार) तय की गई है, जब श्रावण माह की चतुर्दशी तिथि है। श्रावण मास की चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई को सुबह 4:39 बजे शुरू होकर 24 जुलाई को रात 2:28 बजे तक रहेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए 23 जुलाई को भोलेनाथ को जल चढ़ाने का शुभ दिन माना गया है। Kanwar Yatra in Sawan Month:
कांवड़ यात्रा का महत्व | Kanwar Yatra
कांवड़ यात्रा में शिवभक्त गंगा नदी से जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और उसे अपने शिवालय में चढ़ाते हैं। यह यात्रा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में बहुत लोकप्रिय है। लोग इसे श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक मानते हैं। श्रद्धालु “बोल बम” और “हर-हर महादेव” के जयकारे लगाते हुए चलते हैं और कई लोग नंगे पांव या उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते हैं।
सरकार और प्रशासन की तैयारियां
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर सरकार और जिला प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं। कुछ अहम इंतज़ाम इस प्रकार हैं:
कांवड़ियों के लिए अलग रास्ते (कांवड़ मार्ग) बनाए गए हैं
सुरक्षा के लिए पुलिस बल, PAC और ड्रोन की निगरानी
चिकित्सा शिविर, एंबुलेंस और पानी की व्यवस्था
लंगर और रुकने के स्थानों की व्यवस्था सामाजिक संगठनों के सहयोग से
प्रशासन का कहना है कि हर कांवड़िए की सुरक्षा और सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
पर्यावरण और स्वच्छता का ध्यान रखें
प्रशासन और सामाजिक संस्थाएं इस बार कांवड़ यात्रियों से अपील कर रही हैं कि वे प्लास्टिक और गंदगी न फैलाएं। श्रद्धा के साथ सफाई और अनुशासन भी ज़रूरी है।
श्रद्धालुओं से अपील: Kanwar Yatra
प्लास्टिक बोतल, थैली आदि न फेंकें
गंगा में साबुन या कचरा न डालें
सफर के दौरान दूसरों को परेशान न करें
नियमों का पालन करें, ट्रैफिक में बाधा न बनें
महिलाएं भी ले रही हैं बढ़-चढ़कर हिस्सा
अब महिलाएं और लड़कियां भी बड़ी संख्या में कांवड़ यात्रा में शामिल हो रही हैं। उनके लिए विशेष सुरक्षा, टॉयलेट और विश्राम की व्यवस्था की जा रही है।
कांवड़ यात्रा उत्तर भारत की एक विशाल धार्मिक परंपरा है जो श्रद्धा, भक्ति और अनुशासन का संगम है। इस बार 11 जुलाई से शुरू होकर 23 जुलाई को जलाभिषेक के साथ इसका मुख्य पर्व मनाया जाएगा।