
ब्लाक कैथल के 24वे शरीर दानी बने कृष्ण चंद इंन्सा
- बेटी और पुत्रवधुओ ने अर्थी को कंधा देकर निभाया अपना फर्ज
कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Body Donation: डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाई गई ‘अमर सेवा’ मुहिम के तहत ब्लाक कैथल के जोन न. 2 मलिक नगर निवासी कृष्ण चंद इन्सां (77 वर्ष ) पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे। मंगलवार देर रात वे अपनी सांसारिक यात्रा पूरी कर कुल मालिक के चरणों में जा समाये। डेरा प्रेमी कृष्ण चंद इंन्सा मरणोपरांत मेडिकल रिसर्च के लिए देहदान कर अमर हो गए है। इस अवसर पर सचखंड वासी कृष्ण चंद इंन्सा के शरीर के साथ साथ आँखे भी दान की गयी जोकि सेवा संघ नेत्रदान बैंक कैथल को दी गयी। कृष्ण चंद इन्सां की अंतिम इच्छा अनुसार उनके परिजनों ने चिकित्सा रिसर्च के लिए बुधवार को श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंस एवं श्री महावत इंदरेश अस्पताल, पटेल नगर, देहरादून को दान किया गया।
बता दे कि कृष्ण चंद इंन्सा ने डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नाम दान लिया था। उन्होंने पूज्य गुरु संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंन्सा की पवन शिक्षाओ पर चलते हुए शरीर दान करने का प्रण लिया था। इस अवसर पर शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर कमेटी के सेवादारों व साध संगत ने कृष्ण चंद इन्सां अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा, कृष्ण चंद तेरा नाम रहेगा, देहदान महादान के नारों से कॉलोनी और शहर की सड़क गूंजायमान कर दी।वहीं साध संगत ने शरीर दानी कृष्ण चंद इंन्सा को सैल्यूट कर उनकी मृत देह को फूलों से सजी गाड़ी में अंतिम विदाई दी।
बेटी और पुत्रवधुओ ने दिया कंधा | Body Donation
इस दौरान बेटी व पुत्रवधुओ ने सचखंड वासी की अर्थी को कंधा देकर पूज्य गुरुजी के बेटा बेटी एक समान मुहीम का संदेश देते हुए अपना कर्तव्य पूरा किया। कंधा देने में उनकी बेटी आशा, पुत्रवधु राधिका , मीना और सोनू शामिल रही। इस अवसर पर शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर कमेटी के सेवादार, प्रेमी समिति के सेवादारों, साध संगत सहित परिवार व रिश्तेदार उपस्थित रहे। सभी ने इस महान कार्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
शरीरदान का लिया हुआ था प्रण
सचखंडवासी कृष्ण चंद इन्सां के पुत्र मनोज इंन्सा ने बताया कि उनके पिता कृष्ण चंद इंन्सा ने डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा पर चलते हुए चिकित्सा रिसर्च के लिए देहदान व नेत्रदान करने का प्रण ले रखा था। देर रात वे इस नस्वर संसार को छोड़ गये। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनका शरीर मानवता के लेखे में लगे और मेडिकल की पढाई कर रहे बच्चो के काम आये तो आज उनका शरीर दान और नेत्रदान दोनों किये गये है। Body Donation
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