छछरौली (सच कहूँ/राजेंद्र कुमार)। Chhachhrauli News: महर्षि वाल्मीकि जैसे संत-महापुरुषों के जीवन से नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और मर्यादा के धर्म का ज्ञान होता है। इस प्रकार के आयोजन हमारी भावी पीढ़ी को नई दिशा देने में अहम हैं। यह बात पूर्व कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कही। पूर्व कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर मंगलवार को राजकीय महाविद्यालय छछरौली में उपमंडल प्रशासन, सूचना, जनसंपर्क, भाषा विभाग हरियाणा द्वारा आयोजित किए गए महर्षि वाल्मीकि जयंती समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता छछरौली के एसडीएम रोहित कुमार ने की। Chhachhrauli News
पूर्व कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मार्गदर्शन में हरियाणा सरकार द्वारा संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना चलाई जा रही है। इस परंपरा के शुरू होने से सामाजिक समरसता और महान संतों की गौरव गाथा को जन-जन तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने समाज के महापुरुषों को याद नहीं करेंगे तो हमारी सभ्यता के महत्वपूर्ण पहलू इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएंगे। इसलिए सरकार की ओर से धन्ना भगत, कबीरदास जी, महात्मा ज्योतिबा फुले, संत रविदास आदि महापुरुषों की याद में उनकी जयंती पर राज्य व जिला स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर करवाया जा रहा है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि आर्यव्रत देश के आदि कवि माने जाते हैं। उनके जीवन से वर्तमान पीढ़ी को कड़ी मेहनत और शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा लेनी चाहिए। हजारों साल पहले उन्होंने संस्कृत भाषा में रामायण को सबसे पहले लिखा, जिसका आज भी श्रद्धा भाव से मनन किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन हमें जीवन में महान विभूतियों के आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरणा देते हैं। रामायण की रचना कर महर्षि वाल्मीकि ने ही सीता के पतिव्रता धर्म, भगवान राम के मर्यादित आचरण, लक्ष्मण की सेवा आदि गुणों का सुंदर बखान किया।
उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के महान ऋषि, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक थे। वाल्मीकि जी ने न केवल रामायण की रचना की, बल्कि मानवता, धर्म, सत्य और करुणा का अद्भुत संदेश दिया। समाज में समानता, मानवता और सत्य की भावना को बढ़ावा दिया। उनकी प्रसिद्ध पंक्तियां इस प्रकार से है- कोई भी व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता, कर्म और चरित्र से महान बनता है। सत्य, धर्म और अहिंसा ही मानव जीवन के आधार हैं। ज्ञान और भक्ति से व्यक्ति का अंधकार मिट सकता है। कर्म ही मनुष्य का सच्चा धर्म है। महर्षि वाल्मीकि जी की स्मृति में वाल्मीकि जयंती हर वर्ष आश्विन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। उनका जीवन आज भी इस बात का प्रतीक है कि सुधार, समर्पण और साधना से मनुष्य दिव्यता प्राप्त कर सकता है। Chhachhrauli News
राजकीय महाविद्यालय आहड़वाला व्यासपुर के प्रोफेसर डॉ. रमेश धारीवाल ने महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन के समग्र पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने समाज को नई दिशा देने का काम किया और उन्होंने खगोल, विज्ञान, साहित्य, संस्कृति, दर्शन, इतिहास सभी का समावेश महान ग्रंथ रामायण में किया। रामायण वह ग्रंथ है जो सदियों से हमारा मार्गदर्शन कर रहा है। इस प्रकार के ग्रंथ कालातीत होते हैं। महर्षि वाल्मीकि द्वारा श्रीराम जी के चरित्र को इतनी खूबसूरती के साथ उकेरा है कि वह अद्भुत है। इसी को आधार बनाकर संत तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की और अनेक साहित्य लिखा गया।
सरस्वती सीनियर सैकेण्डरी स्कूल छछरौली की छात्राओं ने महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन अनामिका वालिया व अनिल कुमार ने किया।
इस अवसर पर बीडीपीओ छछरौली कार्तिक चौहान, बीडीपीओ प्रतापनगर अभिषेक आनंद, राजकीय महाविद्यालय छछरौली के प्रिंसिपल डॉ. संजीव कुमार, सचिव मार्केट कमेटी छछरौली ऋषि राज, भाजपा मंडल अध्यक्ष छछरौली गौरव गोयल, जगदीश धीमान, सुनीता शर्मा, गुलशन अरोड़ा, विनोद शास्त्री सहित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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