Interpol Red Notice: 13,000 करोड़ के ड्रग तस्करी मामले में बड़ी कार्रवाई, इंटरपोल का ऋषभ बैसोया पर रेड नोटिस जारी

Interpol Red Notice
Interpol Red Notice: 13,000 करोड़ के ड्रग तस्करी मामले में बड़ी कार्रवाई, इंटरपोल का ऋषभ बैसोया पर रेड नोटिस जारी

Rishabh Baisoya Red Notice: नई दिल्ली। इंटरपोल ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा उजागर किए गए ₹13,000 करोड़ के कोकीन तस्करी मामले में वांछित आरोपी ऋषभ बैसोया के खिलाफ रेड नोटिस जारी कर दिया है। यह मामला देश में पकड़ी गई सबसे बड़ी नशीली खेपों में से एक माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि बैसोया लंबे समय से फरार है और उसके मध्य पूर्व में छिपे होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। Interpol Red Notice

भारतीय न्यायालयों द्वारा पहले ही उसे भगोड़ा और घोषित अपराधी घोषित किया जा चुका है। इंटरपोल द्वारा जारी रेड नोटिस का उद्देश्य है कि सदस्य देश उसे ढूंढकर अस्थायी तौर पर हिरासत में लें, ताकि आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा सके। रेड नोटिस किसी देश को बाध्यकारी गिरफ्तारी आदेश नहीं देता, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय अनुरोध होता है, जिसमें कानून प्रवर्तन एजेंसियों से आरोपी का पता लगाने और उसे प्रत्यर्पण तक रोककर रखने का आग्रह किया जाता है। भारतीय एजेंसियाँ बैसोया पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के उन प्रावधानों के तहत भी कार्यवाही कर रही हैं, जिनमें अभियुक्त के लंबे समय तक फरार रहने पर उसकी अनुपस्थिति में मुकदमे को आगे बढ़ाया जा सकता है।

कौन है ऋषभ बैसोया?

ऋषभ बैसोया, कथित अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क चलाने वाले वीरेंद्र सिंह बैसोया का पुत्र बताया जाता है। जांच में सामने आया है कि वह अपने पिता के गिरोह के लिए रसद व्यवस्था, सप्लाई चैन और बड़े शहरों में कोकीन की खेप पहुँचाने का काम संभालता था। अधिकारियों के अनुसार, वह फर्जी कंपनियों और नकली दवा वितरक चैनलों के माध्यम से नशीली खेपों की आवाजाही को छिपाता था। जांचकर्ताओं ने बताया कि उसके तार दिल्ली, पंजाब, मुंबई, हैदराबाद और गोवा तक फैले हुए हैं और धनशोधन के लिए विदेशी खातों तथा हवाला नेटवर्क का उपयोग किया गया था।

दिल्ली पुलिस के अनुसार, अक्टूबर 2024 में ऋषभ ने एक सह-आरोपी को ड्रग परिवहन के लिए वाहन उपलब्ध कराया था। बाद में पंजाब क्षेत्र में जब उस वाहन को रोका गया, तो उससे कोकीन और मेफेड्रोन बरामद किए गए। सीसीटीवी फुटेज ने भी उसके संबंधित व्यक्तियों से संपर्क और मुलाकात की पुष्टि की। उसे एनडीपीएस अधिनियम की कई धाराओं के तहत नामजद किया गया है।

गिरोह का नेटवर्क

जांच से पता चला है कि यह तस्करी सिंडिकेट दक्षिण अमेरिका से दुबई के माध्यम से भारत में नशीली दवाएँ भेजता था। खेपों को वैध आयात कागज़ात के पीछे छिपाकर भेजा जाता था और भुगतान हवाला तथा विदेशी बैंक खातों के जरिए किया जाता था। सिंडिकेट के सदस्य पाकिस्तान, दुबई, थाईलैंड, मलेशिया और ब्रिटेन में सक्रिय बताए गए हैं।

रेड नोटिस जारी होने के बाद बैसोया किसी भी इंटरपोल सदस्य देश में पकड़ा जा सकता है। हालांकि उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया संबंधित देशों के कानूनी औपचारिकताओं पर निर्भर करेगी। भारतीय एजेंसियों ने साफ किया है कि अभियुक्त की अनुपस्थिति में भी मुकदमा आगे बढ़ेगा।

यह मामला दिखाता है कि वैश्विक स्तर पर संगठित ड्रग नेटवर्क किस प्रकार भारत का इस्तेमाल एक बड़े पारगमन मार्ग के रूप में कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियाँ मानती हैं कि ऐसे गिरोह तकनीक, फर्जी कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्र का सूक्ष्म उपयोग करते हैं, जिससे इन्हें पकड़ना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ भारत और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के बीच मजबूत सहयोग का उदाहरण है। Interpol Red Notice