पाकिस्तान में अल्पसंख्यक असुरक्षित

Pakistan

जम्मू-कश्मीर में मानवीय अधिकारों के हनन की दोहाई देने वाले पाकिस्तान में दिनदहाड़े हिंसक घटनाएं हो रही हैं। पेशावर में दो सिखों की हत्या की घटना ने पाकिस्तान की ड्रामेबाजी को एक बार फिर उजागर किया है। दरअसल, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक कभी भी सुरक्षित नहीं रहे। लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन और आए दिन धार्मिक स्थानों पर हमले हो रहे हैं। इस्लामाबाद प्रशासन मामले की जांच करने और दोषियों को सजा देने की रटी-रटाई भाषा बोलकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देता है। जब भी कोई मामला मीडिया में आ जाता है तब सरकार केवल औपचारिकता के तौर पर कार्रवाई करती है अन्यथा अधिकतर मामलों में सुनवाई ही नहीं होती। पुलिस फरियादी की बात ही नहीं सुनती। इसी तरह ईसाई भाईचारे के लोग भी दहशत में जीवन जी रहे हैं। भारत सरकार ने पेशावर की घटना पर सख्त रवैया अपनाया है लेकिन पाक का रवैये में कोई बदलाव नजर नहीं दिख रहा।

इससे पहले भी अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हमला करने की घटनाएं चर्चा का विषय बनती रही हैं लेकिन धीरे-धीरे वहां से सिख लोग पलायन कर गए। पिछले साल कुछ सिख परिवार स्थायी तौर पर भारत आए। वास्तव में पाकिस्तान की नीतियों में अल्पसंख्यकों के लिए कोई चिंता नजर नहीं दिखती। कागजों में सुरक्षा के दावे जरूर किए जाते हैं लेकिन अमली रूप में कुछ भी नहीं होता। वास्तव में अल्पसंख्यकों की हालत पाकिस्तान के राजनीतिक, सामाजिक और सांप्रदायिक हालातों पर ही निर्भर करती है। राजनीति में कट्टरपंथियों का दबदबा होने के कारण गैर-मुस्लिम लोगों की सुरक्षा को अनदेखा किया जाता है। भले ही एकआध व्यक्ति न्यायपालिका और सेना के उच्च पदों पर पहुंच गए हैं लेकिन आम जनता का जीवन स्तर और सुरक्षा बदहाल है। पाकिस्तान में राजनीति अनिश्चितता भी अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के लिए जिम्मेवार है। प्रधानमंत्री तो केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए जोर-अजमाईश करते रहे।

अल्पसंख्यकों की छोड़ों, वो तो मुस्लिम लोगों को भी सुरक्षित माहौल नहीं दे सके। भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट पास कर दिया, जिसके अंतर्गत पाकिस्तान, अफगानिस्तान से उजड़ कर आए हिंदू, सिखों और ईसाईयों को भारत सरकार नागरिकता देगी। उजड़े लोगों के पुर्नवास का रास्ता भारत ने खोल दिया है। नए नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान में बदहाल जीवन व्यत्तीत कर रहे लोगों को सुरक्षा मुहैया करवाने के लिए भारत सरकार को और कदम उठाने चाहिए। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा ने यह साबित कर दिया है कि आतंकवाद किसी भी धर्म का सगा नहीं होता। आतंकवादियों को किसी धर्म विशेष के समर्थन में होने का प्रचार करने वालों के पास अब कोई बहाना नहीं रह गया।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।