Mother’s day 2025: मातृत्व सुख ईश्वर का वरदान, नींद तक करनी पड़ती कुर्बान

Mother's day 2025
Mother's day 2025: मातृत्व सुख ईश्वर का वरदान, नींद तक करनी पड़ती कुर्बान

Happy Mother’s day: नई दिल्ली। मातृत्व स्त्री के जीवन का सबसे अनमोल अनुभव होता है। यह केवल एक भावनात्मक यात्रा नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से गहरे बदलावों का समय भी होता है। जैसे ही कोई स्त्री माँ बनती है, उसकी दिनचर्या, प्राथमिकताएँ और विशेषकर नींद का रिश्ता पूरी तरह बदल जाता है। ऐसे में यह स्वाभाविक प्रश्न उठता है — इस नई जिम्मेदारी के साथ स्वयं की देखभाल कैसे करें? Mother’s day 2025

माँ बनने के बाद महिलाओं को “पोस्टपार्टम डिप्रेशन” या प्रसवोत्तर अवसाद की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इसमें चिड़चिड़ापन, थकान, और बेचैनी जैसे लक्षण उभरते हैं, जिनमें सबसे बड़ी भूमिका नींद की कमी निभाती है। रात भर शिशु की देखभाल करना—उसे उठाना, दूध पिलाना, डायपर बदलना—और कभी-कभी मोबाइल पर जानकारी खोजना कि कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा, यह सब मिलकर मानसिक थकावट को जन्म देता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझें

“नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन” में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, प्रसवकालीन अवसाद एक आम किंतु गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो प्रत्येक सात में से एक महिला को गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के एक वर्ष के भीतर प्रभावित करती है। इसके पीछे हार्मोनल परिवर्तन, अनुवांशिक प्रवृत्तियाँ और वातावरण से जुड़ी स्थितियाँ प्रमुख कारक होते हैं।

आयुर्वेद का दृष्टिकोण

आयुर्वेद में प्रसव के बाद की अवधि को ‘सूतिका काल’ कहा गया है। यह समय माँ के स्वास्थ्य और भविष्य की भलाई के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। प्रसव के बाद के पहले 42 दिन माँ के शरीर को पुनः संतुलित करने, शक्ति अर्जित करने और वात दोष को शांत करने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। यदि इस काल में उपयुक्त विश्राम और पौष्टिक आहार न मिले, तो दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

नींद: सबसे ज़रूरी औषधि

नींद केवल शरीर की थकावट मिटाने का माध्यम नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन का मूल आधार भी है। दिल्ली स्थित एक प्रसिद्ध अस्पताल की वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. मंजूषा गोयल कहती हैं कि नींद की कमी केवल थकावट ही नहीं बढ़ाती, यह माँ के संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी, मूड में उतार-चढ़ाव, प्रतिरक्षा क्षमता में गिरावट और यहाँ तक कि हृदय स्वास्थ्य और पाचन प्रक्रिया भी इससे प्रभावित होती है।

क्या करें नई माताएँ? | Mother’s day 2025

जब भी अवसर मिले, थोड़ी देर के लिए विश्राम करें।

पारंपरिक घरेलू उपायों जैसे हल्दी वाला दूध, सादा भोजन, सिर पर तेल मालिश, और गर्म पानी से स्नान को दिनचर्या में शामिल करें।

घर के बुजुर्गों से मार्गदर्शन लें—दादी-नानी के परखे हुए नुस्खे कई बार चमत्कारी सिद्ध होते हैं।

डॉक्टर से नियमित परामर्श लेते रहें और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें।

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