खुद में रोचक इतिहास को समेटे है कैथल जिले का गाँव नैना

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Kaithal खुद में रोचक इतिहास को समेटे है कैथल जिले का गाँव नैना

कैथल, सच कहूँ/कुलदीप नैन। कैथल-करनाल रोड़ पर मुंदडी गाँव से लिंक मार्ग पर बसा कैथल विधानसभा का गाँव नैना (नैणा) खुद में एक रोचक इतिहास को समेटे हुए है। कैथल जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नैना गाँव स्वच्छता, खेल, सरकारी नौकरियों सहित विभिन्न मामलों में अन्या गाँवों के लिए मिसाल है। बताया जाता है कि पुराने समय में इस गाँव को कैथल के नवाब ने पूरी तरह उजाड़ दिया था, जिसे बाद में दोबारा बसाया गया। कैथल जिले में नैन खाप का यह एक बड़ा गाँव है जिसमें अन्य जातियों के साथ नैन गौत्र के लोगों की संख्या सर्वाधिक है। ये भी बताया जाता है कि बिन्ना, नैराणा और नैणु तीन भाई थे, जिनके नाम पर बिनैन खाप का नाम पड़ा है, उनमें से नेणु ने नैना गाँव की स्थापना की थी।

गाँव में नौकरियों की भी भरमार

गाँव नैना में 1954 में प्राइमरी स्कूल बना था, जो 1980 में दसवी तक का हुआ और 2002 में इसे अपग्रेड करके बारहवी तक किया गया। सरकारी नौकरी के मामले में गाँव बहुत आगे हैं। हर भर्ती में गाँव के युवाओं का किसी-न-किसी पद पर चयन होता आ रहा है। वहीं खेलों में भी गाँव के युवा देश का नाम चमका रहे हैं। नैना गाँव के कर्म सिंह नैन जॉइंट कमिश्नर रहे हैं एक्साइज एंड टैक्स विभाग में। बूटा सिंह नैन डिप्टी डायरेक्टर कृषि विभाग में, दर्शन सिंह नैन वर्तमान मेंअम्बाला जिले में बिजली बोर्ड में एसई के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। वहीं दर्शन सिंह जैन की धर्मपत्नी बिजली बोर्ड में ही एक्सईन है। अशोक नैन चुनाव आयोग में उच्च पद पर सेवाएं दे चुके हैं। युद्धवीर और कमल नैन दोनों सेना में देश सेवा कर रहे हैं। इसके अलावा मैनेजर, ईटीओ, एसडीओ सहितअन्य बड़े पदों पर यहाँ के निवासी सेवाए दे चुके हैं या दे रहे हैं।

गाँव का इतिहास

गाँव के गुरदयाल बैन ने बताया कि पुराने समय में कैथल का नवाब दिल्ली के सम्राट को टैक्स (कर) दिया करता था। उस वक्त कैथल से दिल्ली, वैना गाँव से होकर जाना पड़ता था। अकाल और मुखमरी का समय था, नवाब टैक्स में अनाज, धन दौलत भेजता था। एक बार गाँव पहुँचने पर नवाब का सामान लूट लिया गया जो दिल्ली जाना था और उसके सैनिकों और घोड़ों को गाँव के ही एक कुत्र्र में दफना दिया गया। कुछ महीने बीतने के बाद गाँव के ही एक मुखबिर ने नवाब को खबर पहुँचा दी कि उसका सारा सामान नैना गाँव के लोगों ने लूट लिया है। इस पर गुस्से में आकर नवाब ने गाँव में सैनिक भेजे और सैनिकों ने गाँव के चार दिशाओं में बने दरवाजों से प्रवेश करके तोप और बन्दूकों से वहां मौजूद लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। सिर्फ वहीं लोग बचे जो अपनी रिश्तेदारी, आसपास के गाँव या खेतों में गाए हुए थे। इसके बाद भय के चलते वे भी गाँव नहीं आए और दूसरे गाँव में रहने लगे। बताया जाता है वे लोग सोंगल, नरड, सांघन आदि गाँवों में बस गए।

दोबारा बसा गांव नैना

समय बीता और कैथल की बागड़ोर भाई उदय सिंह के हाथों में आ गई। एक दिन वे पूरी तरह उजड़ चुके गाँव नैना में पहुँचे तो उन्होंने देखा कि वहां न कोई आदमी था और न जानवर। इस दशा को देख भाई उदय सिंह ने गाँव को फिर से आबाद करने का निर्णय लिया। तब उन्होंने ऐलान किया कि इसकी बोली लगाई जाएगी। बोली के लिए तारीख तय कर दी और बोली लगाने वालों में पूंडरी का एक बनिया और एक हाबड़ी और राजौंद के दो मुसलमान चुन लिए गए। ग्योंग गाँव के एक युवा, जो भाई उदय सिंह के साथ रहते थे, ने कहा कि भाई जी ये हमारा जाटों का गाँव है और इस गाँव के लोग आस-पास के एरिया में ही रहते हैं।

इसलिए इसकी बोली न लगाई जाए। इस पर भाई उदय सिंह ने कहा कि अगर बोली की तारीख से पहले वह गाँव में 5 लोगों को बसा देगा तो वे बोली रोक देंगे। ग्योंग के उस युवा ने सारी बात ग्योंग गाँव जाकर बताई और गाँव से 5 आदमी लेकर नैना गाँव में आ गए। इनमें से चार आदमी नैन गौत्र के और एक बाल्मीकि भाई था। इसके बाद भाई उदय सिंह ने बोली रद्द कर दी और जहाँ-जहाँ भी गाँव के लोग बसे हुए थे, उन्हें गाँव लाया गया। अन्य जातियों के लोगों को भी यहाँ लाकर बसाया गया और गाँव धीरे-धीरे आबाद होता चला गया। इसी के चलते नैना और ग्यौंग गाँव का आज भी आपस में भाईचारा है।

गाँव के पास 8500 बीगे जमीन

गाँव नैना की कुल आबादी करीब चार हजार है और 2600 के करीब गाँव में वोट हैं। गाँव नैना के पास 7500 बीगे पुस्तैनी रकबा है। इसके अलावा 1300 बीगे आसपास के गाँव से खरीदा हुआ है। इस तरह करीब 8500 बीगे जमीन गाँव के पास है। ज्यादातर भूमि कृषि योग्य है और यहाँ के लोग धान, गन्ना और गेंहू की फसल के साथ-साथ सब्जी भी उगाते हैं। दो साल पहले हुए सर्वे में गाँव का लिंगानुपात करीब 910/1000 था।

गाँव में अब तक हुए सरपंच

1. कुंदन सिंह

2. कुंदन सिंह

3. मतवा नैन

4. हरफुल नेन

5. विजय नैन

6. भल्ले राम जैन

7. रामदिया नैन

8. सौरण

9. रणपत नैन

10. बलदेवा

11. कमला देवी नैन

12. धर्म सिंह नैन

13. रती राम

14. सुमन देवी नैन

15. सुषमा नेन (वर्तमान)

गाँव में मॉडर्न चौपाले
गाँव में चार पट्टी हैं, जिनमें काला पट्टी, मोपा पट्टी, मौकम पट्टी और बड़ा बगड़ है। गाँव सोंगल और सांधन में क्रमशः 50 और 110 घर इसी गाँव के लोगों के हैं। गाँव में दो मॉडर्न चौपाल है, जिनमें सभी तरह की आधुनिक सुविधाए हैं।दोनों चौपालों में एसी (एयर कंडीसनर) लगे हुए है | इसके अलावा मॉडर्न सौफे सेट, बड़ी एलईडी स्क्रीन , सीसीटीवी कैमरे , छत पर डाउन सीलिंग, हाई क्लास लेट्रिंग बाथरूम, उच्च क्वाल्टी के गद्दे, चारपाई , आरओ , सोलर आदि सभी प्रकार से एक होटल के कमरे जैसी सुविधाए है |

मान सिंह पहलवान के नाम से भी जाना गया नैना गांव

इस गाँव का मान सिंह पहलवान कुश्ती का बहुत बड़ा खिलाड़ी हुआ है। वह तीन साल का नेत्रहीन हो गया था। इसके चावजूद उसने हौसला नहीं हारा और हरियाणा, पंजाक्ष, उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में बड़े-बड़े पहलवानों को पटक कर आउने चल का लोहा मनवाया। एक समय ऐसा भी था जहा मैला गाँव को मार सिंह पहलवान के बाग से जाना जाता था

पनचक्की का रास्ता पक्का करवाने की मांग

नैना गांव की सरपंच सुषमा नैन ने बताया कि सरकार और प्रशासन करकार और प्रशासन विकास की नई इबारत लिख रहा है। गाँव से दो किलोमीटर दूर आटा पीसने के लिए पनचक्की स्थित है। यह हरियाणा की एकमात्र पनचक्की है। प्रशासन और संबंधित विभाग से निवेदन है कि इसे पक्का किया जाए, क्योंकि इसको लेकर ग्रामीण लम्बे समय से मांग करते आ रहे हैं। यदि यह रास्ता पक्का होता है तो पूंडरी जाने के लिए रास्ता छोटा हो जाएगा और गाँव वालों को मुंदडी गाँव जाने में लगने वाला समय बचेगा।