UP Railway: लखनऊ-कानपुर को जोड़ेगा ‘नमो कॉरिडोर’, 67 किमी रैपिड रेल से मात्र 40 मिनट में तय होगा सफर

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UP Railway: लखनऊ-कानपुर को जोड़ेगा ‘नमो कॉरिडोर’, 67 किमी रैपिड रेल से मात्र 40 मिनट में तय होगा सफर

UP Railway: अनु सैनी। राजधानी लखनऊ और औद्योगिक नगरी कानपुर—के बीच अब सफर पहले से कहीं अधिक तेज़, सुगम और हाईटेक होने जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इन दोनों शहरों को जोड़ने के लिए एक नई रैपिड रेल सेवा की योजना बनाई है, जिसे ‘नमो कॉरिडोर’ नाम दिया गया है।

इस रैपिड रेल योजना के तहत कानपुर के नयागंज मेट्रो स्टेशन से लेकर लखनऊ के अमौसी मेट्रो स्टेशन तक एक 67 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। यह सफर अब महज 40 मिनट में पूरा किया जा सकेगा, जो मौजूदा सड़क मार्ग की तुलना में आधे से भी कम समय में यात्री को मंज़िल तक पहुंचा देगा।

राज्य सरकार की बड़ी पहल: ‘नमो कॉरिडोर’ से विकास को नई रफ्तार | UP Railway

राज्य सरकार का दावा है कि यह योजना उत्तर प्रदेश में बुनियादी ढांचे और परिवहन कनेक्टिविटी के लिहाज़ से एक ऐतिहासिक कदम होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार लगातार प्रदेश को मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी से जोड़ने की दिशा में काम कर रही है। ‘नमो कॉरिडोर’ उसी श्रृंखला की एक बड़ी कड़ी है।
योजना के तहत बनने वाली रैपिड रेल, दोनों शहरों की मेट्रो लाइनों से जुड़ेगी और एक इंटीग्रेटेड ट्रांजिट सिस्टम का हिस्सा होगी। इसका सीधा फायदा लखनऊ और कानपुर के लाखों यात्रियों को मिलेगा जो रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य कार्यों के लिए एक शहर से दूसरे शहर सफर करते हैं।

प्रोजेक्ट का तकनीकी खाका: हाई स्पीड और अल्ट्रा मॉडर्न सुविधाएं

‘नमो कॉरिडोर’ को अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया जाएगा। अनुमान है कि यह हाई-स्पीड इलेक्ट्रिक रैपिड रेल होगी, जिसकी औसत गति 100 से 120 किमी प्रति घंटा होगी। कॉरिडोर पर एलिवेटेड और अंडरग्राउंड सेक्शन दोनों होंगे, जिससे जमीन अधिग्रहण की जरूरत कम होगी और पर्यावरणीय असर भी न्यूनतम रहेगा। प्रारंभिक योजना के मुताबिक इस 67 किमी लंबे मार्ग पर करीब 8 से 10 स्टेशन होंगे, जो प्रमुख इंटरचेंज प्वाइंट्स से जुड़े होंगे, जैसे:-
कानपुर: नयागंज, फूलबाग, ग्रीन पार्क, गोविंदनगर
बीच में: उन्नाव, बिठूर लिंक, ट्रांस गंगा हब
लखनऊ: अमौसी, कृष्णानगर, आलमबाग
हर स्टेशन पर एस्केलेटर, लिफ्ट, डिजिटल टिकटिंग, स्मार्ट वेटिंग जोन और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

40 मिनट में लखनऊ से कानपुर की दूरी

मौजूदा समय में लखनऊ और कानपुर के बीच सड़क मार्ग से यात्रा करने में 1.5 से 2 घंटे तक का समय लग जाता है, जबकि रेलगाड़ियों की समय-निर्भरता और कनेक्टिविटी सीमित है। लेकिन इस रैपिड रेल सेवा के शुरू होने से यात्रियों को सिर्फ 40 मिनट में एक शहर से दूसरे शहर पहुंचने की सुविधा मिलेगी।
यह समय-लाभ सिर्फ यात्रियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। लखनऊ और कानपुर दोनों ही आईटी, एजुकेशन, टेक्सटाइल, मेडिकल और सर्विस इंडस्ट्री के हब हैं, और एक तेज़ ट्रांजिट सिस्टम इन दोनों को आपस में और अधिक मज़बूत रूप से जोड़ देगा।

‘एक जिला, एक कनेक्टिविटी’ की ओर कदम

‘नमो कॉरिडोर’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस विज़न का हिस्सा है, जिसमें वे हर जिले को हाई स्पीड ट्रांजिट से जोड़ने की बात करते हैं। गाजियाबाद से दिल्ली होते हुए मेरठ तक एनसीआरटीसी की रैपिड रेल पहले से काम कर रही है। अब लखनऊ-कानपुर रैपिड लिंक बनने से प्रदेश में रैपिड रेल का दूसरा कॉरिडोर तैयार होगा।
सरकार का उद्देश्य है कि आने वाले वर्षों में बनारस, प्रयागराज, गोरखपुर, आगरा, झांसी जैसे शहरों को भी रैपिड ट्रांजिट से जोड़ा जाए।

परियोजना की अनुमानित लागत और समय सीमा

इस परियोजना की प्रारंभिक लागत लगभग ₹18,000 करोड़ से ₹22,000 करोड़ के बीच आंकी जा रही है। इसका वित्तपोषण केंद्र सरकार, राज्य सरकार, वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसे संस्थानों की साझेदारी में होगा।
अगर सभी पर्यावरणीय और तकनीकी क्लीयरेंस समय से मिलती है, तो यह परियोजना 2026 के अंत तक शुरू हो सकती है, और 2030 तक पूरा संचालन प्रारंभ हो सकता है।

जनता को क्या मिलेगा फायदा

1. समय की बचत: 2 घंटे का सफर अब सिर्फ 40 मिनट में।
2. पर्यावरण हितैषी: यह पूरी तरह इलेक्ट्रिक आधारित होगी, जिससे प्रदूषण घटेगा।
3. विकास को बल: उद्योग, शिक्षा, मेडिकल, और रियल एस्टेट को बढ़ावा मिलेगा।
4. युवाओं को रोज़गार: परियोजना निर्माण और संचालन से हजारों नौकरियों का सृजन।
5. पर्यटन बढ़ेगा: दोनों शहरों की ऐतिहासिक और धार्मिक जगहों तक आसान पहुंच।

जनता में उत्साह, लेकिन कुछ सवाल भी

हालांकि इस योजना को लेकर जनता और विशेषज्ञों में उत्साह है, लेकिन साथ ही कुछ प्रश्न और चिंताएं भी हैं:-
भूमि अधिग्रहण में आने वाली कानूनी अड़चनें। बजट में संभावित वृद्धि। परियोजना की समयबद्धता।
हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि भूमि अधिग्रहण पीपीपी मॉडल और एलिवेटेड ट्रैक डिज़ाइन से कम से कम किया जाएगा।

कुल मिलाकर, ‘नमो कॉरिडोर’ लखनऊ और कानपुर के बीच सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के नए युग की ओर एक कदम है। इससे सिर्फ दो शहर नहीं, बल्कि पूरी राज्य की अर्थव्यवस्था, शहरीकरण और विकास दर को नई गति मिलेगी। जैसे ही यह रैपिड रेल सेवा शुरू होगी, उत्तर प्रदेश दिल्ली-एनसीआर की तर्ज पर हाई-स्पीड ट्रांजिट स्टेट बनने की दिशा में अग्रसर होगा। और यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का “नया भारत, नया उत्तर प्रदेश” का सपना भी है।