मन की बात में बोले पीएम- 26 जनवरी को लालकिले पर तिरंगे के अपमान से देश दु:खी हुआ

Narendra Modi
उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में होने वाले फल काफल के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी भी मुरीद हो गए हैं।

नई दिल्ली (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने रविवार को कहा कि 26 जनवरी को लालकिले पर तिरंगें के अपमान से समस्त देश बहुत दुखी हुआ लेकिन हमें आने वाले समय को नयी आशा और नवीनता से भरना है। मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दूसरे चरण के 20 वें संस्करण में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2021 कई नयी शुरूआत हुई लेकिन दिल्ली में, 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख, देश, बहुत दुखी भी हुआ। उन्होंने कहा, ‘हमें आने वाले समय को नई आशा और नवीनता से भरना है।

हमने पिछले साल असाधारण संयम और साहस का परिचय दिया। इस साल भी हमें कड़ी मेहनत करके अपने संकल्पों को सिद्ध करना है। अपने देश को, और तेज गति से, आगे ले जाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने, क्रिकेट पिच से भी बहुत अच्छी खबर मिली। हमारी क्रिकेट टीम ने शुरूआती दिक्कतों के बाद, शानदार वापसी करते हुए आॅस्ट्रेलिया में सीरीज जीती। हमारे खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत और आपसी सहयोग प्रेरित करने वाला है।

प्रधानमंत्री ने सड़क हादसों पर चिन्ता व्यक्त की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सड़क हादसों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि देश में सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार के साथ ही व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर कई तरह के प्रयास भी किये जा रहे हैं। मोदी ने आकाशवाणी पर इस वर्ष के पहले रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि इसी महीने 18 जनवरी से 17 फरवरी तक देश में ‘सड़क सुरक्षा माह’ मनाया जा रहा है। सड़क हादसे आज हमारे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में चिंता का विषय हैं। इसको लेकर सरकार के साथ ही व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर कई तरह के प्रयास भी किये जा रहे हैं।  जीवन बचाने के इन प्रयासों में हम सबको सक्रिय रूप से भागीदार बनना चाहिए। उन्होंने सीमा सड़क संगठन के कामकाज की चर्चा करते हुए कहा कि यह संगठन सड़क दुर्घनाओं की रोकथाम को लेकर लोगों में जागरुकता लाने के लिए अभिनव स्लोगन का उपयोग करता है ।

सड़को से गुजरते हुए ये स्लोगन देखने को मिलते हैं। जैसे दिस इन हाईवे नॉट रन वे । ये स्लोगन सड़क पर सावधानी बरतने को लेकर लोगों को जागरूक करने में काफी प्रभावी होते हैं। उन्होंने लोगों से ऐसे स्लोगन भेजने की अपील की है । प्रधानमंत्री ने सड़कों पर टोल वसूली के लिए फास्ट टैग से होने वाले फायदे की चर्चा करते हुए कहा कि इससे यात्रा का अनुभव ही बदल गया है। इससे समय की तो बचत होती ही है, टॉल प्लाजा पर रुकने और भुगतान की चिंता करने जैसी दिक्कतें भी खत्म हो गई हैं। पहले हमारे यहाँ टॉल प्लाजा पर एक गाड़ी को औसतन सात से आठ मिनट लग जाते थे, लेकिन फास्ट टैग के आने के बाद, ये समय, औसतन सिर्फ डेढ़-दो मिनट रह गया है। गाड़ी के रुकने में कमी आने से ईंधन की बचत भी हो रही है। इससे देशवासियों के करीब 21 हजार करोड़ रूपए बचने का अनुमान है ।

बुंदेलखंड में स्ट्राबेरी की खेती से किसान उत्साहित

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि के क्षेत्र में किये जा रहे अभिनव प्रयोगों की चर्चा करते हुए रविवार को कहा कि बुन्देलखंड में स्ट्राबेरी की खेती को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ रहा है और सरकार खेती को आधुनिक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री इस वर्ष के पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा, ‘अगर मैं आपसे बुदेलखंड के बारे में बात करूँ तो वो कौन सी चीजें हैं, जो आपके मन में आएंगी! इतिहास में रूचि रखने वाले लोग इस क्षेत्र को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ जोड़ेंगे। वही कुछ लोग सुन्दर और शांत ‘ओरछा’ के बारे में सोचेंगे। कुछ लोगों को इस क्षेत्र में पड़ने वाली अत्यधिक गर्मी की भी याद आ जाएगी, लेकिन, इन दिनों यहाँ कुछ अलग हो रहा है, जो काफी उत्साहवर्धक है और जिसके बारे में हमें जरुर जानना चाहिए।

झाँसी का स्ट्राबेरी महोत्सव ‘स्टे एट होम’ पर जोर देता है

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों झांसी में एक महीने तक चलने वाला ‘स्ट्राबेरी महोत्सव’ शुरू हुआ। हर किसी को आश्चर्य होता है ‘स्ट्राबेरी और बुंदेलखंड! लेकिन, यही सच्चाई है। अब बुंदेलखंड में स्ट्राबेरी की खेती को लेकर उत्साह बढ़ रहा है और इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाई है, झाँसी की एक बेटी गुरलीन चावला ने। विधि की छात्रा गुरलीन ने पहले अपने घर पर और फिर अपने खेत में स्ट्राबेरी की खेती का सफल प्रयोग कर ये विश्वास जगाया है कि झाँसी में भी ये हो सकता है। झाँसी का स्ट्राबेरी महोत्सव ‘स्टे एट होम’ पर जोर देता है।

इस महोत्सव के माध्यम से किसानों और युवाओं को अपने घर के पीछे खाली जगह पर, या छत पर बागवानी करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नई प्रौद्योगिकी की मदद से ऐसे ही प्रयास देश के अन्य हिस्सों में भी हो रहे हैं, जो स्ट्राबेरी कभी पहाड़ों की पहचान थी, वो अब कच्छ की रेतीली जमीन पर भी होने लगी है किसानों की आय बढ़ रही है। खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और अनेक कदम उठा भी रही है। सरकार के प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।

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