
Expressway in UP: अनु सैनी। उत्तर प्रदेश में बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार लगातार प्रदेश को सड़क नेटवर्क से जोड़ने और तेज़ रफ्तार विकास की दिशा में प्रयासरत है। इसी क्रम में अब राज्य में एक नया एक्सप्रेसवे प्रस्तावित किया गया है, जो गोरखपुर से कुशीनगर होते हुए निकलेगा। इस एक्सप्रेसवे का सीधा लाभ 164 गांवों को मिलेगा, जिनसे होकर यह रास्ता गुजरेगा।
नई परियोजना में होगा व्यापक भूमि अधिग्रहण | Expressway in UP
इस नई परियोजना के तहत गोरखपुर और कुशीनगर जिलों के कुल 164 गांवों का चयन किया गया है, जहां से एक्सप्रेसवे का रूट तय किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की ओर से इन गांवों के राजस्व नक्शे मांगे गए हैं और जल्दी ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
गौरतलब है कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया से पहले प्रशासनिक तैयारी के तहत गांवों के भू-राजस्व नक्शे मंगवाना एक अहम चरण होता है। इससे प्रभावित किसानों की पहचान और मुआवजा देने की प्रक्रिया तय की जाती है।
एक्सप्रेसवे की लंबाई और रूट का विवरण | Expressway in UP
इस नए गोरखपुर-कुशीनगर एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 86.600 किलोमीटर होगी, जो कि गोरखपुर मंडल के विभिन्न गांवों और क्षेत्रों से होकर गुजरेगा। यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर-सिलीगुड़ी कॉरिडोर का एक हिस्सा होगा, जिसकी कुल लंबाई लगभग 525.590 किलोमीटर है।
इस एक्सप्रेसवे को गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़ने की योजना है। इसके लिए 2022 में ही सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया था। पहले यह प्रस्तावित था कि यह हाईवे गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर से होकर निकलेगा, लेकिन बाद में नए सर्वे और एलाइनमेंट के तहत इसकी दूरी को घटाकर 26.600 किलोमीटर कम कर दिया गया है। अब यह मुख्यतः गोरखपुर से कुशीनगर के बीच तैयार किया जाएगा।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे की बड़ी भूमिका
यह नया रूट गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का हिस्सा होगा, जो भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों को जोड़ने वाला एक प्रमुख कॉरिडोर होगा। यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों को पश्चिम बंगाल, बिहार और असम जैसे राज्यों से सीधे जोड़ने में सहायक होगा। इस परियोजना का उद्देश्य तेज़, सुरक्षित और निर्बाध यात्रा को बढ़ावा देना है।
कहां से शुरू होगा एक्सप्रेसवे?
यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर जिले के सदर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव सरंडा से शुरू होगा और फिर जगदीशपुर-जंगल कौड़िया फोरलेन, जो कि पहले से निर्माणाधीन है, उससे जुड़ेगा। इस फोरलेन के माध्यम से एक्सप्रेसवे को कुशीनगर-लखनऊ हाईवे से भी जोड़ा जाएगा।
इस परियोजना के तहत गोरखपुर जिले के 23 गांव और कुशीनगर जिले के 141 गांव शामिल किए गए हैं। ये गांव गोरखपुर की सदर तहसील और कुशीनगर की हाटा, कसया तथा तमकुहीराज तहसील के अंतर्गत आते हैं।
कौन-कौन से गांव शामिल होंगे?
गोरखपुर जिले के जिन गांवों का राजस्व नक्शा मांगा गया है, उनमें शामिल हैं:-
सोनवे गोनरहा,
अगया तप्पा पतरा,
उसका,
रमवापुर,
नैयापार खुर्द,
मटिहनिया जनुबी,
भापुरवा,
गौरा,
राउतपुर,
महुअवा खुर्द,
कर्महा तप्पा पतरा,
महराजी तप्पा पतरा,
बसंतपुर तप्पा केवटली,
बसंतपुर मुतंजा,
बसंतपुर एहतेमाली,
बसंतपुर खास,
लुहसी,
हेमछापर,
सरंडा आदि।
कुशीनगर जिले के हाटा, कसया और तमकुहीराज तहसीलों के कई गांव इस परियोजना में शामिल किए गए हैं। सभी गांवों से राजस्व नक्शे भेजने को कहा गया है ताकि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज़ किया जा सके।
परियोजना से होने वाले लाभ
इस नए एक्सप्रेसवे का सीधा लाभ इन 164 गांवों को मिलेगा, जिनसे होकर यह रास्ता गुजरेगा। इन गांवों में:-
सड़क कनेक्टिविटी में सुधार होगा।
आवागमन और व्यापार में तेजी आएगी।
स्थानीय रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
भूमि की कीमतों में वृद्धि संभव है।
औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।
किसानों और ग्रामीणों को मुआवजे के साथ-साथ विकास की कई योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। एक्सप्रेसवे बनने से राज्य के पूर्वी जिलों को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने में मदद मिलेगी।
बिहार में पहले ही पूरी हो चुकी है प्रक्रिया
गौर करने वाली बात यह भी है कि इस कॉरिडोर की प्रक्रिया बिहार में पहले ही पूरी हो चुकी है, जिससे उत्तर प्रदेश में इसके निर्माण की गति को और बल मिला है। अब उत्तर प्रदेश में राजस्व मानचित्रण और अधिग्रहण की कार्यवाही के बाद निर्माण कार्य को तेजी से शुरू किया जाएगा।
सरकार की मंशा और लक्ष्य
उत्तर प्रदेश सरकार का उद्देश्य है कि वर्ष 2026 तक इस परियोजना का अधिकांश कार्य पूरा कर लिया जाए। इससे पहले अगस्त 2024 तक निर्माण शुरू करने की योजना है। गोरखपुर से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे उत्तर पूर्व भारत के विकास में एक बड़ा योगदान देगा।
गोरखपुर-कुशीनगर एक्सप्रेसवे न केवल उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे को मजबूती देगा, बल्कि यह पूरे पूर्वी भारत के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यह परियोजना उत्तर प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगी, जिसमें गांवों की भागीदारी और समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई है। एक्सप्रेसवे का निर्माण केवल सड़क नहीं, बल्कि प्रगति की राह का निर्माण होगा — एक ऐसी राह जो गांवों को शहरों से, और आम नागरिकों को अवसरों से जोड़ेगी।