IVF Research 2025: 35 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए जागी उम्मीद की बड़ी किरण

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IVF Research 2025: नई दिल्ली। लंदन के किंग्स कॉलेज द्वारा की गई एक हालिया शोध में आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) से जुड़ा नया पहलू सामने आया है। अध्ययन में पाया गया कि यदि 35 से 42 वर्ष की महिलाएं भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित करने से पहले उसका आनुवंशिक परीक्षण (पीजीटी-ए) कराती हैं, तो उन्हें गर्भधारण की अधिक संभावना और सफल नतीजे प्राप्त हो सकते हैं। इस परीक्षण में भ्रूण के गुणसूत्रों की जांच की जाती है। आमतौर पर अधिक आयु की महिलाओं में भ्रूण में गुणसूत्र संबंधी त्रुटियाँ अधिक पाई जाती हैं, जिससे गर्भधारण असफल हो जाता है या गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। IVF News

शोध में 100 महिलाओं को शामिल किया गया। इनमें से 50 महिलाओं ने पीजीटी-ए परीक्षण कराया और 50 ने सामान्य आईवीएफ प्रक्रिया अपनाई। परिणामों के अनुसार, परीक्षण कराने वाली महिलाओं में लगभग 72 प्रतिशत को सफल प्रसव हुआ, जबकि सामान्य तरीके से इलाज कराने वाली महिलाओं में यह दर केवल 52 प्रतिशत रही।

अध्ययन में यह भी सामने आया कि परीक्षण कराने वाली महिलाओं को कम प्रयासों में ही गर्भधारण हो गया। इससे उनका समय बचा और असफल प्रयासों से जुड़ा मानसिक तनाव भी कम हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि 35 वर्ष से अधिक उम्र में मां बनने की इच्छुक महिलाओं के लिए यह परीक्षण बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया है कि बड़े पैमाने पर और शोध की आवश्यकता है।

यदि आगे की रिसर्च भी इन निष्कर्षों की पुष्टि करती है, तो पीजीटी-ए परीक्षण भविष्य में आईवीएफ की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है। इससे न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि महिलाओं को बार-बार गर्भधारण में असफल होने का भावनात्मक बोझ भी कम उठाना पड़ेगा। IVF News