नई दिल्ली। आज की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में स्वस्थ शरीर सबसे बड़ी पूंजी है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं होगा, तो न कार्यक्षमता बनी रहेगी और न ही मानसिक संतुलन। इन समस्याओं के बीच सबसे आम और गंभीर चुनौती है मोटापा। यह केवल दिखावे की समस्या नहीं है, बल्कि इसके साथ अनेक रोग भी जुड़े होते हैं, जैसे — मधुमेह (डायबिटीज), उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और थायरॉइड संबंधी विकार। Obesity treatment in Ayurveda
मोटापा क्यों होता है?
आम तौर पर लोग मानते हैं कि मोटापा सिर्फ अधिक भोजन करने से होता है, लेकिन यह आंतरिक असंतुलन का परिणाम भी हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर तीन दोषों- वात, पित्त और कफ- से संचालित होता है। मोटापे का मुख्य कारण प्रायः कफ दोष की वृद्धि होती है। कफ बढ़ने पर पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। परिणामस्वरूप भोजन ठीक से नहीं पचता और शरीर में अपशिष्ट पदार्थ (गंदगी) जमा होने लगते हैं। इससे शरीर भारी और सुस्त हो जाता है तथा वजन तेजी से बढ़ने लगता है।
आयुर्वेदिक उपाय | Obesity treatment in Ayurveda
आयुर्वेद में मोटापे को नियंत्रित करने के लिए कई सरल और प्रभावी उपाय बताए गए हैं, जैसे:
- दिनभर गुनगुना पानी पीना।
- अदरक की चाय का सेवन करना।
- हल्का और सुपाच्य भोजन करना।
- नियमित रूप से योग और प्राणायाम करना।
योग का महत्व
योग के अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज़ होता है। यह न केवल वजन घटाने में सहायक है, बल्कि मन को भी शांत करता है। योग व्यक्ति को अपनी खानपान की आदतों पर नियंत्रण रखने में मदद करता है।
पंचकर्म: विशेष उपचार | Obesity treatment in Ayurveda
यदि मोटापा बहुत अधिक हो गया हो, तो पंचकर्म चिकित्सा की सलाह दी जाती है। इसमें विशेष विधियाँ अपनाई जाती हैं, जैसे:
- उद्वर्तन: औषधीय चूर्ण से शरीर की मालिश, जो अतिरिक्त चर्बी को कम करती है।
- कषाय बस्ती: शरीर की आंतरिक सफाई।
- नस्य: नाक के माध्यम से औषधि का प्रयोग, जिससे मेटाबॉलिज्म संतुलित होता है।
- ये उपचार शरीर को भीतर से शुद्ध करते हैं और धीरे-धीरे वजन घटाने में सहायक सिद्ध होते हैं।
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