बदलाव। स्कूल में फिर देखने को मिलेंगे गणित पढ़ाने के पुराने तरीके

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में फिर सुनाई देगी पहाड़ों की गूंज

  • शिक्षा विभाग ने स्कूलों में बच्चों को पहाड़े सिखाने के दिये आदेश
  • जिला व राज्यस्तर पर छात्रों व अध्यापकों की होंगी प्रतियोगिताएं

भिवानी। (सच कहूँ/इन्द्रवेश) अब हरियाणा के स्कूलों में गणित पढ़ाने के पुराने तरीके फिर से देखने को मिलेंगे। स्कूलों में डेढ़, अढाई व पौने तीन, चार, साढ़े चार आदि के पहाड़ों की आवाजें गूंजेंगी। इसके लिए हरियाणा शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर दिया है। मौलिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी पत्र में स्कूलों में पहाड़े बुलवाने व सिखाने के निर्देश दिये गए हैं साथ ही कहा गया है कि शीघ्र ही ब्लॉक, जिला व राज्य स्तर पर पहाड़े बोलने की प्रतियोगितायें आयोजित की जायेंगी। जीतने वाले बच्चों को प्रोत्साहन के रूप में पुरस्कृत भी किया जायेगा। स्कूलों में बच्चों पर आधारित पहाड़ों की प्रतियोगिताओं के साथ, साथ अध्यापकों की भी प्रतियोगितायें होंगी और इसके लिए अध्यापकों को भी पहाड़े दोबारा से कंठस्थ करवाये जायेंगे ताकि वे बच्चों को अधिक अच्छे ढंग से पहाड़े सीखा सकें। राजकीय स्कूल के एक्टिविटी प्रभारी सुंदर सिंह का कहना है कि आज भी हमारे बुजुर्ग पुराने समय के पहाड़े सुना सकते है, लेकिन बच्चों की बात की जाए तो उन्हें काफी समस्या आती है। शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर दिया है और स्कूलों से बच्चों की पहाड़ों की आवाज सुनाई भी देने लग गई है।

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बच्चों का ही नहीं, शिक्षकों का भी सुधरेगा गणित

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे न केवल स्कूल के बच्चों बल्कि गणित के अध्यापकों का भी गणित सुधरेगा। जिससे बच्चों को आने वाले समय में प्रतियोगिता परीक्षाओं में फायदा मिलेगा क्योंकि आम तौर पर प्रत्येक परीक्षा में गणित की परीक्षा जरूर होती है। चाहे एसएससी, बैंकिंग, एमबीए, सीटेट अथवा नौकरियों के लिए कोई भी परीक्षा क्यों ना हो उसमें रिजनिंग व गणित का पर्चा जरूर होता है जिसके लिए काफी कम समय दिया जाता है। ऐसे में पहाड़ों का ज्ञान छात्रों में गणित के पर्चे हल करने में सहायक होगा।

‘‘सभी राजकीय स्कूलों में पत्र भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि पहले ये पहाड़े स्कूलों में बुलवाये जाते थे लेकिन बीच मे इस तरह के पहाड़े बन्द कर दिए गए थे अब फिर से शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे बच्चे गणित में मजबूत होंगे।

-अनिल गौड़, खंड शिक्षा अधिकारी।

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