पंजाब के हजारों युवाओं ने की ‘चिट्टे’ से तौबा

पूज्य गुरू जी ने बरनावा (उत्तर प्रदेश) से ऑनलाइन गुरूकुल के माध्यम से डेरा सलाबतपुरा में फरमाया रूहानी सत्संग

  • डेरा सलाबतपुरा को चढ़ा पुराने पंजाब का रंग
  • साध-संगत की श्रद्धा के सामने छोटे पड़े सभी प्रबंध

सलाबतपुरा। (गुरप्रीत सिंह/सुखनाम रत्न/गुरमेल सिंह) पंजाब के विभिन्न ब्लॉकों की साध-संगत रविवार को शाह सतनाम जी रूहानी धाम, राजगढ़ (सलाबतपुरा) में हजारों की तादाद में पहुंची। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन अनमोल वचनों का आनंद उठाया। ऑनलाइन गुरूकुल के माध्यम से पूज्य गुुरू जी बरनावा (उत्तर प्रदेश) से देश-विदेश की साध-संगत से रू-ब-रू हुए और बड़ी संख्या में पहुंची साध-संगत को नाम की अनमोल दात प्रदान की। आज के ऑन लाइन समारोह में सलाबतपुरा में बड़ी संख्या में पंजाब में खतरनाक नशे चिट्टे का सेवन ही नहीं करते थे बल्कि चिट्टे का व्यापार भी करते थे। ऐसे नशेड़ियों और नशे के व्यापारियों ने ऑनलाइन कार्यक्रम में नशों से तौबा कर जिन्दगी की मुख्य धारा में शामिल होने का फैसला लिया, जिनको पूज्य गुरू जी ने नयी जिंदगी जीने के लिए आशीर्वाद दिया।

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सलाबतपुरा में पंडाल को बहुुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया था, जिस की तैयारियों में सेवादार पिछले दो दिनों से जुटे हुए थे। ज्यों ही पूज्य गुरू जी ऑनलाइन गुरूकुल द्वारा लाईव हुए तो साध-संगत में एक अलग ही जोश दिखाई दिया, वहीं बहनों ने भी पारंपरिक पहनावे अनुसार सिरों पर जागो रखकर नाच-गाकर खुशी मनाई और वहीं स्टेज पर रंगोली से ‘वैलकम एमएसजी’ लिखा सभी का मन मोह रहा था। इस दौरान पूज्य गुरू जी ने सलाबतपुरा में आॅनलाईन हजारों लोगों का नशा और सामाजिक बुराईयां छुड़वाकर उनको नाम-शब्द की अनमोल दात प्रदान की।

चिट्टे के व्यापारियों ने भी नशा न बेचने का लिया प्रण

सलाबतपुरा में ऑनलाइन गुरूकुल के माध्यम पूज्य गुरू जी द्वारा फरमाए गए रूहानी सत्संग दौरान पूज्य गुरू जी प्रेरणा द्वारा चलाई जा रही नशा मुक्ति की लहर का बड़ा असर तक देखने को मिला, जब बड़ी संख्या में युवाओं ने पंजाब के सबसे खतरनाक माने जाते नशे ‘चिट्टे’ से तौबा की और बड़ी संख्या में चिट्टे के व्यापारियों ने चिट्टे के इस धंधे से तौबा कर मुख्य धारा में लौटने का प्रण लिया। ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान पूज्य गुरू जी से बात करते डेरा श्रद्धालु परमजीत सिंह नंगल ने बताया कि आज के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ऐसे नौजवान आए हैं, जो चिट्टे का सेवन करते थे और टीकों के रूप मे नशा करते थे। उन्होंने बताया कि कई युवाओं की हालत इतनी बुरी थी कि टीके लगाने के कारण उनकी नसें तक बंद हो गई थी और उनके परिजनों ने पूज्य गुरू जी के पावन वचनों के तहत जब उनको प्रसाद खिलाया तो उनके अंदर से नशों की लत खत्म होनी शुरू हो गई और धीरे-धीरे उनकी बन्द हुई खून की नसों में फिर से खून दौड़ने लगा। चिट्टे का नशा छोड़ने वाले ज्यादातर बठिंडा, फिरोजपुर, फाजिल्का जिलों से संबंधित थे।

इसके अलावा विशाल कुमार नामक नौजवान जो कि फिरोजपुर जिले से संबंधित है, ने बताया कि वह चिट्टे की नशे में जकड़े युवाओं को चिट्टा बेचता था और खुद भी चिट्टे का सेवन करता था लेकिन आज से उसने ऐसा करने से तौबा की है। उसने कहा कि डेरा श्रद्धालुओं और उनके परिजनों ने उसे ऐसा करने से रोका था, जिस कारण उसके अंदर इतना बड़ा बदलाव आया है। इस पर पूज्य गुरू जी ने चिट्टा का नशा त्यागने वालों की भरपूर हौसला अफजाई की और नयी जिन्दगी के लिए मुबारकबाद दी। पूज्य गुरू जी द्वारा फरमाए गए पावन वचन कि जिन डेरा श्रद्धालुओं या लोगों ने इन युवाओं को चिट्टे रूपी जहर से निजात दिलाई है, उनको इसका बहुत बड़ा पुण्य मिलेगा। कार्यक्रम के दौरान आर्मी, ग्राम पंचायतोंं के मैंबर साहिबान, नगर काऊंसलरों, नम्बरदारों आदि ने पूज्य गुरू जी द्वारा नशों के विरुद्ध चलाई इस मुहिम का जोरदार स्वागत किया और खुद इस मुहिम का हिस्सा बनने का प्रण लिया। उन्होंने कहा कि आज पंजाब को चिट्टे जैसे नशों से बचाने की बेहद्द जरूरत है।

रूहानी सत्संग में देखने को मिली पुराने पंजाब की झलक

सलाबतपुरा कार्यक्रम में सबसे अहम बात यह भी उभर कर सामने आई कि बड़ी संख्या में डेरा श्रद्धालुओं द्वारा पुराने पंजाब से संबंधित वस्तुओं को पूज्य गुरू जी के सामने प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम के दौरान डेरा श्रद्धालुओं द्वारा एक चाक लगाया गया था, जिस पर मिट्टी के बर्तन बनाए जा रहे थे। उन्होंने बताया कि पूज्य गुरू जी द्वारा पुरानी वस्तुओं को अपनाने के लिए फरमाए गए पावन वचनों से उनका धंधा फिर से चलने लगा है। इस दौरान उन्होंने पूज्य गुरू जी के सामने दीये, कुज्जे, झांवा और मिट्टी के अन्य सामान को तैयार किया। पूज्य गुरू जी ने साध-संगत की भरपूर प्रशंसा की। इस दौरान पंडाल के अन्दर ही छोटे-छोटे बच्चों द्वारा गुल्ली डंडा खेला गया। एक बच्चे नवदीप से जब इस खेल के बारे में जानकारी ली गई तो महज 9 वर्षीय इस बच्चे ने इस खेल के बारे में पूरी जानकारी दी।

उसने बताया कि वह अपने दोस्तों के साथ हर रोज गुल्ली डंडा खेलता है। उसने कहा कि पूज्य गुुरू जी द्वारा उनको पुुराने खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इसके अलावा समारोह में युवाओं ने भांगड़ा डाला, जो अपने आप में बेमिसाल था। इसके अलावा रंग-बिरंगे पंजाबी पहनावे में सेवादार बहनों ने भी पंजाबी संस्कृति की बहुत ही अच्छी प्रस्तुति दी। इस दौरान पंडाल में पानी की बचत और नशों के खिलाफ स्लोगन भी लोगों को शिक्षा दे रहे थे। इसके साथ ही योग से संबंधित क्रियाओं के बारे में भी सेवादार बहनों द्वारा जानकारी दी गई।

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