वायु प्रदूषण बढ़ने से बढ़ी आँखों की ओपीडी
- जींद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार
कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Kaithal News: वायु गुणवत्ता सूचकांक एक बार फिर खतरे के स्तर पर पहुंच गया है, जिस वजह से आंखों में जलन, सांस लेने में कठिनाई और अन्य कई प्रकार की समस्या लोगो को आ रही थी। रविवार को जिले का एक्यूआई 270 तक जा पहुंचा जोकि बहुत खराब श्रेणी में आता है | हालांकि अब धान का सीजन समाप्त हो चुका है और पराली जलाने की घटनाएँ भी नही हो रही, लेकिन इसके बावजूद शहर सहित आसपास के इलाको में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। धान के सीजन में प्रदूषण बढने का दोष किसानो के ऊपर लगाया जाता है लेकिन अब किस वजह से प्रदूषण बढ़ रहा इस तरफ कोई ध्यान नहीं देना चाहता और न ही बड़े बड़े पर्यावरण प्रेमी इस बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर कोई सवाल उठा रहे है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अनुसार हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की जा रही है।
कैथल का एक्यूआई. स्तर रविवार को 250 से 270 तक दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। वहीं जींद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 को भी पार कर गया और यह 313 तक दर्ज किया गया | इस स्तर पर हवा में पी.एम. 2.5 और पी.एम. 10 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा सामान्य मानक से कई गुना अधिक पाई जाती है। पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक इतनी खराब हवा में लंबे समय तक रहने से फैफड़ों, हृदय और आंखों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
चिमनियों से दिन रात निकल रहा धुआं | Kaithal News
शहर में लगे कारखानों की बड़ी बड़ी चिमनियों से लगातार दिन रात धुआं निकल रहा है। यह धुआं स्वास्थ्य के लिए उतना ही खतरनाक है जितना किसान के खेत में जलने वाली पराली से उठता हुआ धुआं है। लेकिन न तो। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन पर कोई कार्रवाई कर रहा और न ही जिला प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान दे रहा। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को आंखों पर चश्मे और मुंह पर मास्क पहनने की सलाह दी है। चिकित्सकों का कहना है कि लगातार ऐसी हवा में सांस लेना दिन में कई सिगरेट पीने के बराबर नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चों और बुजुर्गों को घर से कम से कम बाहर निकलने और बेवजह खुली हवा में घूमने से बचना चाहिए।
वायु प्रदूषण बढ़ने से बढ़ी आँखों की ओपीडी
शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण का सीधा असर लोगों की आँखों पर पड़ रहा है। जिला नागरिक अस्पताल में नेत्र ओपीडी जो सामान्य दिनों में 100-110 के आसपास रहती है वह प्रदूषण का स्तर बढ़ते ही 150 के करीब पहुँच जाती है | आँखों के मरीज अस्पताल पहुँच रहे हैं, जिनमें अधिकांश को आँखों में जलन, लालपन, खुजली और पानी आने जैसी समस्याएँ हो रही हैं। नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार प्रदूषण में मौजूद धूलकण, धुआँ और जहरीली गैसें आँखों की सतह को प्रभावित कर रही हैं, जिससे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को बाहर निकलते समय चश्मा पहनने, आँखों को बार-बार धोने और किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जांच करवानी चाहिये। Kaithal News















