कैथल की पायल छाबड़ा ने पहली महिला पैरा कमांडो बन रचा इतिहास

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Kaithal News: पैरा कमांडो पायल छाबड़ा फाइल फोटो

कैथल (सच कहूँ न्यूज)। Para Commando: भारतीय सेना में शामिल होना हर जवान का सपना होता है, लेकिन भारतीय सेना की स्पेशल फोर्सेज यानी पैरा कमांडो बनना हर किसी के बस की बात नहीं होती। पैरा कमांडो वे बहादुर जवान होते हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए सबसे खतरनाक मिशनों को अंजाम देते हैं। यह चुनौतियों से भरा सफर पुरुषों के साथ-साथ अब महिलाओं के लिए भी खुल चुका है। ऐसे में हरियाणा की मेजर पायल छाबड़ा देश की पहली महिला पैरा कमांडो बन गई है। ऐसा करके पायल ने इतिहास के अपना नाम दर्ज करवा दिया है।

बता दे कि पायल छाबड़ा कैथल जिले की रहने वाली हैं। वर्तमान में वह लेह, लद्दाख के आर्मी हॉस्पिटल में विशेषज्ञ सर्जन के पद पर तैनात हैं। उन्होंने देश के सबसे ऊंचे खरदुंगला मोटर बाइपास पर भी अपनी सेवाएं दी हैं. एमबीबीएस डॉक्टर होने के बावजूद भी पैरा कमांडो की परीक्षा पास कर पायल ने साबित कर दिया कि हौंसले से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। Kaithal News

उनके पास एमबीबीएस और एमएस सर्जरी की डिग्री है। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह करनाल के कल्पना चावला सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीनियर डॉक्टर के पद पर काम कर रही थीं, लेकिन देश की सेवा का जुनून उन्हें पैरा कमांडो बनने के लिए प्रेरित करता रहा। इस खतरनाक और कठिन रास्ते पर उन्होंने कदम रखा और पैरा कमांडो की परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया। पायल छाबड़ा ने 2021 में आर्मी अस्पताल अंबाला कैंट में कैप्टन के तौर पर अपनी पहली नियुक्ति पाई।

रोजाना सुबह 4 बजे शुरू होती थी पायल की ट्रेनिंग | Kaithal News

पायल ने पैरा कमांडो बनने के लिए आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल में कड़ी मेहनत और अनुशासन के साथ प्रशिक्षण लिया। उनकी ट्रेनिंग हर दिन सुबह तीन से चार बजे शुरू होती थी। उन्हें 25 किलो वजन के साथ 40 किलोमीटर दौड़ पूरी करनी होती थी और साथ ही कई अन्य चुनौतीपूर्ण टास्क पूरे करने पड़ते थे। इस कठिन प्रशिक्षण को पूरा करना आसान नहीं था, लेकिन देश सेवा का जज्बा सबसे बड़ी ताकत था।

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