साध-संगत की एकजुटता से बढ़ा पंजाब में राजनीतिक पारा

solidarity of Sadh-Sangat sachkahoon

एक बार फिर राजनीतिक हलकों में डेरा श्रद्धालुओं के वोट की छिड़ी चर्चा

  • साध-संगत ने सलाबतपुरा में भी हाथ उठाकर एकजुट रहने व मानवता भलाई कार्य करने का लिया प्रण

भटिण्डा (सच कहूँ/सुखजीत मान)। पंजाब की साध-संगत द्वारा शाह सतनाम जी रूहानी धाम राजगढ़-सलाबतपुरा में रविवार को नामचर्चा कर पूज्य परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज का पावन भंडार मनाया गया। इस दौरान विधानसभा चुनावों के चलते भारी जनसमूह ने पंजाब की राजनीति में सियासी पारा चरम पर बढ़ा दिया है। एक बार फिर राजनीतिक हलकों में डेरा श्रद्धालुओं के वोट की चर्चा छिड़ गई है। नामचर्चा में भारी जनसमूह ने यह भी साबित कर दिया है कि भले ही डेरा श्रद्धालुओं पर सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर कितना भी अत्याचार हुआ है, इसके बावजूद डेरा श्रद्धालुओं की डेरा सच्चा सौदा के प्रति श्रद्धा और उत्साह ज्यों का त्यों बरकरार है। साध-संगत ने सभी अफवाहों या कोशिशों को नाकाम कर दिया। गौरतलब है कि आगामी 14 फरवरी को पंजाब में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं।

पंजाब में लाखों की तादाद में डेरा श्रद्धालु रहते हैं और श्रद्धालुओं ने अपना राजनीतिक विंग बनाया हुआ है, जिसे साध-संगत राजनीतिक विंग कहा जाता है। गौरतलब है कि पंजाब की समूह साध-संगत हर बार एकजुटता से मतदान करती है। साध-संगत ने सलाबतपुरा में भी हाथ उठाकर इस प्रण को दोहराया है कि वे एकजुट होकर मानवता भलाई के कार्य करते रहेंगे। भले ही नामचर्चा में कोई राजनीतिक बात नहीं की गई, लेकिन साध-संगत ने यह ऐलान कर दिया है कि वे पूरी तरह से एकजुट हैं और वे अच्छे-बुरे की परख रखते हैं। वास्तव में पंजाब में डेरा श्रद्धालुओं का बड़ा वोट बैंक है, जो पजांब की राजनीति में बड़ा उलटफेर करता आया है।

भले ही यह कहा जाता है कि मालवा डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत का गढ़ है, लेकिन वास्तविकता यह भी है कि माझा और दोआबा में भी कोई भी हलका ऐसा नहीं जहां डेरा श्रद्धालु न हों। नामचर्चा दौरान साध-संगत राजनीतिक विंग के सदस्य चेयरमैन राम सिंह ने संबोधित करते हुए साध-संगत को उन लोगों के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए कहा, जो डेरा सच्चा सौदा का नुक्सान करते हैं या डेरा सच्चा सौदा के नाम से ही खीझते हैं।

राम सिंह के इस बयान के बाद उन राजनीतिक दलों व नेताओं में चिंता का माहौल है, जो पिछले कई वर्षों से डेरा के खिलाफ बयानबाजी और कार्रवाई के लिए चर्चा में आए थे। नामचर्चा में हुए इक्ट्ठ से प्रत्येक हलके में डेरा श्रद्धालुओं ने नेताओं के डेरा सच्चा सौदा के प्रति रवैये पर विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया है। डेरा श्रद्धालुओं को इस बात को लेकर रोष है कि पिछले कुछ वर्षों में किसी साजिश के तहत उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया और पुलिस ने भी जमकर अत्याचार किया। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस साजिश के पीछे राजनीतिक नेता हैं, जिनके इशारे पर ही मामले दर्ज हुए हैं।

2017 में कई नेताओं के इशारों पर डेरा श्रद्धालुओं पर मामले दर्ज हुए, इस पर भी साध-संगत विचार-विमर्श कर रही है। बेअदबी के मामले में डेरा श्रद्धालुओं के खिलाफ साजिश रचने और अत्याचार करवाने के मामले पर भी विचार किया जा रहा है। इस बार एक-एक वोट का प्रभाव और भी ज्यादा होगा, क्योंकि इस बार पांच पार्टियां चुनावी मैदान में होने के कारण वोट का विभाजन अधिक होगा। ऐसे में डेरा श्रद्धालुओं की एकजुटता एक निर्णायक भूमिका अदा करेगी। विभिन्न हलकों से संबंधित डेरा श्रद्धालुओं ने सच कहूँ से बातचीत करते हुए कहा कि वे साध-संगत राजनीतिक विंग के फैसले पर एकजुटता से मोहर लगाएंगे।

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