विधायक के नेतृत्व में जिला कलक्टर से मिले बड़ोपल के ग्रामीण
हनुमानगढ़। पीलीबंगा तहसील के गांव बड़ोपल के ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग पर सेमग्रस्त क्षेत्र का शोरायुक्त खारा पानी सूरतगढ़ ब्रान्च नहर में डालकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। सोमवार को बड़ोपल के ग्रामीणों ने पीलीबंगा विधायक विनोद गोठवाल के नेतृत्व में जिला कलक्टर डॉ. खुशाल यादव को ज्ञापन सौंपकर सेमग्रस्त क्षेत्र का शोरायुक्त खारा पानी सूरतगढ़ ब्रान्च नहर में डालने पर रोक लगाने की मांग की। ग्रामीणों ने बताया कि बड़ोपल गांव में सेम का पानी उठाने के लिए पम्प हाउस बना हुआ है। Hanumangarh News
पम्प हाउस से वर्तमान में दो पाइप लाइनों के जरिए बड़ोपल बारानी में बाढ़ नियत्रंण के लिए रिजर्व भूमि जीएफसी के साइफन नम्बर छह में सेम का पानी डाला जा रहा है। इसमें एक पाइप लाइन हमेशा बंद रहती है परन्तु सिंचाई विभाग ने अब एक नया प्रोजेक्ट बनाकर इस खारे पानी को सूरतगढ़ ब्रान्च नहर में डालने की योजना बनाई है और काम चालू करना चाहते हैं। ग्रामीणों के अनुसार सेम के इस खारे पानी का टीडीएस बहुत अधिक है। यह खारा पानी नहर में डाला जाता है तो नहर के जरिए ठाकरूवाला से लेकर विजयनगर तक के सभी वाटर वर्क्स में जाएगा। इसे पीने से मानव शरीर में रोग पैदा होंगे और इस क्षेत्र में निवास करने वाले दस लाख से अधिक लोगों का स्वास्थ्य खराब होगा।
सिंचाई विभाग ने करीब दस वर्ष पूर्व भी खारे पानी को नहर में डाला था
ग्रामीणों ने बताया कि सिंचाई विभाग ने करीब दस वर्ष पूर्व भी इस तरह की योजना बनाकर चक दो एलबीएम, झुर्रियांवाला के पास पम्प लगाकर सेम के खारे पानी को नहर में डाला गया था। इसके कारण स्थानीय लोगों के जोड़ों में दर्द, लीवर खराब, किडनी खराब, बच्चों में प्रतिदिन बुखार रहना एवं पशुधन में बीमारी आने लगी थी। यहां से काफी दूर बाजुवाला हैड के पास खारा पानी पीने से भेड़ें मर गई थीं। स्थानीय लोगों एवं भारतीय सेना की ओर से विरोध करने पर विभाग ने पम्प को बंद कर दिया था। तब सिंचाई विभाग के एक जेईएन को निलम्बित भी किया गया था। ग्रामीणों ने कहा कि शोरायुक्त खारा पानी लाखों एकड़ सिंचित भूमि में लगने पर खेतों में खड़े सभी हरे पेड़ खारे पानी से नष्ट हो जाने से यह कृत्य पर्यावरण प्रदूषण व भूमि प्रदूषण की श्रेणी में आता है।
उन्होंने मांग की कि इस शोरायुक्त खारे पाने को नहर की बजाए बड़ोपल बारानी में बड़े-बड़े धोरों में जीएफसी की रिजर्व लगभग दस हजार बीघा भूमि में साइफन नम्बर 6 या 7 में डाला जाए। अगर ऐसा किया जाता है तो इस पानी को रेतीली मिट्टी के धोरे सोख लेंगे और किसी के जीवन को भी कोई हानि नहीं होगी। इस मौके पर प्रवीण कटारिया, रोहिताश, सुरजीत सिंह, रामप्रताप, विक्रम, सुभाष, विजयपाल, महावीर भादू, कृष्ण, रायसिंह, कालूराम, सीताराम, मुकेश सहित कई अन्य ग्रामीण मौजूद रहे। Hanumangarh News















