काल बनकर घूम रहे आवारा पशु

Problems, Stray, Animals, Jaipur

राजस्थान भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक

राजस्थान भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक है। यही पर्यटन स्थल आज आवारा पशुओं की सैरगाह बना हुआ है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में आवारा पशुओं की समस्या नासूर बन गई है (Problems of stray animals in capital Jaipur) । यहाँ आवारा गाय, सांड, सूअर, बन्दर और कुत्ते राजधानी के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी बन गए है। आवारा पशुओं ने राजधानी जयपुर में पिछले एक साल में एक विदेशी पर्यटक सहित तीन लोगों की जान ले ली। जबकि प्रदेश भर में एक दर्जन लोग मौत के मुंह में समा चुके है। घायलों की संख्या सैंकड़ों में है। हाई कोर्ट ने प्रशासन को फटकारा तब आवारा पशुओं की धर पकड़ हुई। कुछ दिनों बाद प्रशासन ने अपने हाथ खींच लिए और इसी के साथ आवारा पशुओं के धर पकड़ का नाटक खत्म हो गया। आवारा पशु पहले की भांति बेखौफ होकर आतंक फैलाने लगे।

शहरों में आवारा पशुओं के कातिलाना कहर की खबरें अकसर मीडिया में सुर्खियां बनती रहती हैं

  • छोटे नगरों से लेकर बड़े मैट्रो शहरों में आवारा पशुओं के कातिलाना कहर की खबरें अकसर मीडिया में सुर्खियां बनती रहती हैं
  • फिर भी उन पर लगाम नहीं कसी जा रही। अगर प्रशासन कुछ सख्ती दिखाता भी है
  • तो आनन फानन में अभियान चलकर आवारा पशुओं को पकड़ने की मुहिम चलती है
  • लेकिन फिर थोड़े दिन बाद मामला ठंडा पड़ जाता है।
  • सही तो यह है आवारा पशुओं का यह मुद्दा हमें देखने में छोटा लगता है लेकिन है बड़ा गंभीर।
  • गाय भैंस या सांड़ ही क्यों, आवारा कुत्ते भी लोगों की नाक में कम दम नहीं करते।
  • बच्चे तो उन के डर से घर से बाहर तक नहीं निकल पाते।
  • अब तो शहरों में बंदरों का खौफ भी देखा जा रहा है।
  • अस्पतालों में बंदरों के काटने के बहुत से मामले सामने आने लगे हैं।

छोटे स्कूली बच्चे इन आवारा पशुओं के आपसी झगड़े को देख काफी भयभीत हो जाते हैं

राजधानी में पिछले कई महीनों से आवारा पशुओं की भरमार हो गई है। बाजार क्षेत्र सहित सकरी गलियों में साँडों व आवारा पशुओं का निरंकुश होकर घूमना लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इनके आपस में झगड़ने के कारण कई बुजुर्ग-महिलाएँ एवं बच्चे भी इनकी चपेट में आने के कारण चोटिल हो जाते हैं। कभी-कभार तो छोटे स्कूली बच्चे इन आवारा पशुओं के आपसी झगड़े को देख काफी भयभीत हो जाते हैं। अक्सर खाद्य व सब्जी आदि की दुकानों पर भी यह अपना मुँह मारते रहते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में समुचित सफाई नहीं होने और जगह-जगह कचरे के ढेर लग रहने से वहाँ आवारा मवेशियों का जमघट लगा रहता है। भयावह स्थिति तब बन जाती है, जब ये आवारा मवेशी मार्गों के किनारे लगे कचरे के ढेरों पर आपस में झगड़ते हैं। कई बार तो बाजार क्षेत्र में भी इनके आपस में झगड़ने से यातायात बाधित होता है

जयपुर नगर निगम ने कुछ जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ हालाँकि कार्यवाही की है

दिन हो या रात आवारा पशु सड़क पर झुंड बनाकर बैठ जाते हैं जिससे लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है। राजधानी जयपुर में बड़ी संख्या में पशु डेयरियां है। पशु पालक जब तक गाय भैंस दूध देती है उसका दूध निकालते हैं और उसके बाद पशुपालक इन्हें खुला छोड़ देते हैं। इसके बाद जब वह फिर से दूध देने की स्थिति में आती है तो उसे फिर से पकड़ लेते हैं। कुछ लोग तो सुबह शाम दूध निकालने के बाद जानवरों को खुला छोड़ देते हैं। विदेशी पर्यटक की मौत के बाद जयपुर नगर निगम ने कुछ जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ हालाँकि कार्यवाही की है और आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाया है। मगर देखने की बात यह है कि राजधानी में पशु डेयरियों के अलावा हजारों की संख्या में आवारा पशु कॉलोनियों में विचरण करते मिल जाएंगे। इनके मालिक गायों का दूध निकलने के बाद इन्हें विचरण के लिए छोड़ देते है।

बाल मुकुन्द ओझा

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