सावन का महीना शुरू होने से पहले ही बढ़ जाती है मांग
- पुंडरी का पानी बनाता है यहां की फिरनी को सबसे अलग और खास
कैथल/पूंडरी (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Pundri News: सावन का महीना कल (11 जुलाई) से शुरू हो रहा है और इस महीने के कारण कैथल जिले का एक छोटा सा कस्बा पुंडरी देश व प्रदेश तक ही नहीं बल्कि विदेशों तक प्रसिद्ध हो चुका है। यहां बनने वाली एक मिठाई के दूर दूर तक के लोग शौकीन है और उस मिठाई का नाम है फिरनी।
पुंडरी की फिरनी के लोग दीवाने है। “पूंडरी की मशहूर फिरनी” यही वो स्लोगन है जिसको देखते ही ग्राहक दुकान की ओर खींचा चला आता है। सिर्फ कैथल जिले में ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में भी दुकानदार सावन के इस महीने में इस स्लोगन के साथ फिरनी बेचकर लाखो की कमाई करते है। Pundri News
पूंडरी में हलवाई का काम करने वाले सभी कारीगर सावन शुरू होने से कई दिन पहले ही फिरनी बनाने में जुट जाते हैं। पूंडरी में प्रवेश करने वाले सभी रास्तों पर इन दिनों फिरनी की दुकानें सजनी शुरू हो गयी है। मैदा, घी और चीनी के मिश्रण से तैयार होने वाली इस लाजवाब मिठाई के हर वर्ग के लोग कायल है। पूंडरी-फतेहपुर में भारी तादाद में बनने वाली फिरनी दूर दूर तक अपनी महक फैला रही है।
लेकिन ऐसा क्या है जो पुंडरी की फिरनी को खास बनाता है?
फिरनी बनाने वाले हलवाईयों ने बताया कि फीकी फिरनी को कई दिन पहले ही बनाना शुरू कर देते हैं और जैसे-जैसे उन्हें थोक में ऑर्डर मिलते हैं, वैसे-वैसे फीकी फिरनी पर मीठा चढ़ाकर बेचा जाता है। पूंडरी ही एक ऐसा इलाका है, जिसके पानी में शोरा नहीं होता इसलिए फिरनी का स्वाद अच्छा होता है। पूंडरी क्षेत्र के 4.5 किलोमीटर दायरे के बाहर पानी में शोरे की मात्रा होने के कारण फिरनी का स्वाद लजीज नहीं बन पाता। यही कारण है कि पूंडरी में बनाई गई फिरनी पूरे भारत में मशहूर है।
सावन का फल के नाम से मशहूर फिरनी | Pundri News
कुछ कारीगरों का तो यहां तक कहना है कि ये वरदान ही है जो ऐसी मिठाई सिर्फ पूंडरी में ही बनती है कही और नही। जब स्थानीय लोगों और खरीददारों से बात की गई तो उन्होंने बताया की ये मिठाई वो अपने सभी रिश्तेदारों को पूरे भारत में भेजते हैं। कुछ ने तो विदेशों में भी भेजने की बात कही। इसको यहां सावन के फल के नाम से भी जाना जाता है।
पुंडरी की फिरनी का इतिहास
बता दें कि कस्बे के गांव फतेहपुर से संबंध रखने वाले स्व. हरिकिशन ब्यास ने 1936 में फिरनी बनाने की शुरुआत की थी। गांव के बीच में छोटी सी दुकान से उन्होंने इस कार्य की शुरुआत की थी जो धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में काफी मशहूर हो गई थी। उस समय में उनके अलावा कोई भी फिरनी नहीं बनाता था। अंग्रेज अधिकारी भी उनकी बनाई फिरनी को काफी पसंद करते थे। हालांकि फतेहपुर गांव है और पूंडरी एक कस्बा तो फतेहपुर-पूंडरी बोला जाता जिसकी वजह से पूंडरी की फिरनी ही बोला जाता है। इसलिए पूंडरी की फिरनी के नाम से मशहूर हुई। Pundri News
आधुनिक मशीनों से तैयार किया जाता है, फिरनी का मिश्रण
पूंडरी फतेहपुर हलवाई यूनियन के प्रधान ने बताया कि लगभग दो महीने तक चलने वाले इस फिरनी के सीजन में वे दिन-रात काम करके भी आर्डर पूरा नहीं कर पाते। उन्होंने बताया कि फिरनी का मिश्रण तैयार करने से लेकर इसे बनाने की प्रक्रिया बड़े ध्यान से की जाती है, तभी फिरनी की सही मिठास और स्वाद मिल पाता है। उन्होंने कहा कि फिरनी का स्वाद क्या बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी मिलकर उठाते है। पिछले कई वर्षों से फिरनी का मिश्रण तैयार करने के लिए आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
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