धर्मों ने हजारों साल पहले बता दिया था जीवाणु, कीटाणु का भेद: पूज्य गुरू जी

Dr. MSG

बरनावा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने धर्मों के बारे में कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर करते हुए साध-संगत को अपने अमृतमयी वचनों से सराबोर किया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि प्यारी साध-संगत जीओ, और जो भी सज्जन, बहन-भाई, बुजुर्ग सुन रहे हैं सबको बहुत-बहुत आशीर्वाद, नमस्कार, सबको भगवान खुशियां दें। हमने गुरु जी की कृपा से सारे धर्मों को पढ़ा, सुना, महसूस किया। एक बड़ी भ्रांति सी चल रही है। कुछ पढ़े-लिखे लोग ये कहते हैं कि ये जो धार्मिक ग्रंथ हैं, वे कहानियां हैं। कोई कहता है कि साईंस सही है, इतिहास सही है।

हमारे पवित्र ग्रन्थों को वो लोग बोलते हैं कि ये सही नहीं हैं। तो भाई इतिहास को लिखने वाला इन्सान है और पवित्र ग्रन्थों को लिखने वाले सन्त-महापुरुष हैं। हमें बड़ी हैरानी होती है जब लोग कह देते हैं कि नहीं, इतिहास ये कह रहा है, धर्म ये कह रहा है। जैसे पवित्र रामायण के बारे में बात कर लीजिये, पवित्र वेदों के बारे में बात कर लीजिये। कई बार हमारी चर्चाएं हुई इस बात पर कि ये जो सारे हमारे पवित्र ग्रन्थ हैं, ये थे और इनमें जो लिखा है वो ज्यों का त्यों था। तो कहने लगे कि गुरु जी आप कुछ ऐसा बताइए कि जो ये साबित करे कि हाँ, पवित्र वेद, पवित्र ग्रन्थ, जितने भी हैं धर्मों के, वो सही हैं।

तो हमने कहा कि हमारे पवित्र वेदों में एक जगह ये जिक्र आता है कि जो सोना, हीरे, मोती, जवाहारात निकाले जाते थे, वो समुद्र की तलहटी से यानि बिल्कुल नीचे जाकर समुद्र से निकाले जाते थे। सुनने को ये बात छोटी सी लगती है, लेकिन गौर कीजिये, इसका मतलब उस समय भी साईंस नहीं, धर्म ने इतनी तरक्की कर रखी थी कि वो पनडुब्बी टाइप या आक्सीजन सिलेंडर लेकर गए होंगे, उनका कुछ अलग तरीका होगा, लेकिन समुद्र की बिल्कुल तह में नीचे जाकर उन्होंने वो हीरे, मोती या सोना निकाला, जो आज भी निकाला जा रहा है। तो आप उनको झूठला कैसे सकते हैं? उन्हीं की तर्ज पर आप समुद्र से आज भी सोना निकाल रहे हैं और उन्होंने हजारों साल पहले ये चीज सिद्ध कर दी है कि ऐसा हुआ।

धर्म महा विज्ञान है

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमारे पवित्र वेदों में साफ लिखा है कि कीटाणु, जीवाणु हुआ करते थे, शुद्ध वातावरण होना चाहिए, जैसे हमारे पवित्र यज्ञ वगैराह किए जाते थे, उसका मुख्य कारण यही था कि वो वातावरण शुद्ध हो जाए, जो आहूतियां दी जाती थीं, जो अग्नि ज्वलित की जाती थी उससे वायरण बैक्टीरिया जल जाते थे, खत्म हो जाते थे तो उस एरिया से बीमारियां चली जाती थीं। क्योंकि हमने हमारे धर्मों को साईंस के नजरिये से पढ़ा तो ये साफ पता चल रहा था कि हाँ, वाकयी धर्म महा विज्ञान हैं, महा साईंस हैं। बिल्कुल सही है, लेकिन फिर भी लोग कह देते हैं कि धर्मों में ये जो लिखा है ये काल्पनिक चीजें हैं। नहीं, ये गलत है, ये सही नहीं है।

धर्मों ने हजारों साल पहले बता दिया था जीवाणु, कीटाणु का भेद

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि धर्मों में जो लिखा है उसी को आज साईंस फॉलो कर रही है, जैसे अभी हम बात कर रहे थे जीवाणु, कीटाणु की, बैक्टीरिया, वायरस की बात कर लीजिये तो धर्मों में हजारों साल पहले इसके बारे में बता दिया गया। साईंस ने शायद बैक्टीरिया 1840 में इसका पता किया और 1890 में वायरस का पता चला तो फिर साईंस कहने लगी कि हाँ, बैक्टीरिया, वायरस होते हैं। अब आप बता दीजिये कि धर्म ज्यादा बड़ी साईंस हैं या साईंस ही सब कुछ है?

अगर आप तर्क देते हैं कि इतिहास में यूं लिखा है तो लिखने वाला कौन? आदमी, और हजारों साल पहले का इतिहास आप मानते हैं कि सही है तो धर्म को लिखने वाले हमारे संत हुए, ऋषि-मुनि हुए, तो अब आप ये बताइये कि अगर एक आदमी के लिखे को आप सही मान रहे हैं और हमारे संत-महापुरुष, जिन्होंने सारी जिंदगी जंगलों में बिताई, सारा समय जंगलों में बिताया, किसके लिए हमारे लिए, समाज के लिए, वो झूठ क्यों बोलेंगे? तो उनको सच हम क्यों नहीं मानते? उनके प्रूफ मिलते हैं हमें, जो उन्होंने बातें कही हैं आज पूरी हो रही हैं। उन्होंने हजारों साल पहले हमारे पवित्र वेदों में लिखा।

पहले मजाक उड़ाया अब साईंस ने माना

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमारे नजरिये से हमारे पवित्र वेद सबसे पुरातन ग्रंथ हैं और उनमें जो चीजें लिखी हैं जबरदस्त। उनमें लिखा है कि लाखों चन्द्रमा हैं, लाखों सूरज हैं, नक्षत्र ग्रह हैं, तो पहले उनका मजाक उड़ाया गया कि ये तो हो ही नहीं सकता। लेकिन अब साईंस कह रही है कि हाँ, थोड़ें से एरिया में ही लाखों चन्द्रमा, सूरज पाये गए, उन्होंने खोजे। फिर साईंस उनको फॉलो कर लेती है तो सच है। अब ये मोबाइल की ही बात कर लीजिये आप, महाभारत काल में ये कहा गया कि धृतराष्ट को संजय ने युद्ध का सब कुछ दिखाया।

जब भगवान श्रीकृष्ण जी ने उनको बोला या उनको शक्ति दी तो उनकी आँखों से उन्होंने लाइव कमेंट्री की, अगर आज की भाषा में बोले तो युद्ध में क्या-क्या हो रहा है, और उनका कैमरा भी एक जगह फिक्स नहीं था, इस जगह क्या हो रहा है धृतराष्ट्र पूछते थे तो वहां कैमरा चला जाता था। तो पहले मजाक उड़ाया गया कि ऐसा भी कभी होता है, ऐसा नहीं हो सकता। लेकिन आज हम आपको बोल रहे हैं, अगर आप चाहें तो इसे यूएसए में भी सुना जा सकता है, आमने-सामने बैठे नजर आ सकते हैं तो क्या आज से 100 साल पहले आप मान सकते थे कि ऐसा मोबाइल भी आएगा, ऐसा फोन भी आएगा। नहीं, अब ये सामने आ गया।

तो अगर ये हो सकता है तो उस समय जो पवित्र गीता में ज्ञान है या महाभारत में जो ज्ञान है, हमारे पवित्र ग्रन्थों को आप झूठला कैसे सकते हैं? उसमें साफ लिखा है कि ऐसा उन्होंने बताया, तो ये आप मोबाइल ही मान लीजिये। हाँ, ये अलग बात है भगवान ने अपनी शक्ति से उनकी आँखों को मोबाइल बना दिया। या यूं कह लीजिये कि उन्होंने कुछ ऐसी शक्ति दी होगी कि वो लाइक ए मोबाइल बिल्कुल ऐसा ही कुछ होगा। तो हमारे धर्म जो हैं वो महाविज्ञान हैं और हम गारंटी लेते हैं इस बात की कि ये जो पवित्र वेद हैं हमारे, पवित्र ग्रन्थ हैं हमारे ये 100 पर्सेंट सच थे, सच हैं और सच रहेंगे, आपके कहने मात्र से ग्रन्थों को झूठलाया नहीं जा सकता।

आत्मबल सुखी जीवन का आधार

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमारे पवित्र ग्रन्थों में साफ लिखा है कि अगर आपके अन्दर आत्मबल है तो आप दुनिया में सुखी रह सकते हैं, बीमारियों से बच सकते हैं, परेशानियों से बच सकते हैं। और साइंस क्या कहती है कि अगर आपके अंदर हौंसला है तो आप बीमारियों से लड़ सकते हैं, विल पावर पैदा कीजिये, कहां से कीजिये, क्या कोई टॉनिक है आपके पास साईंस के पास, जिससे विल पावर बढ़ जाए, आत्मबल बढ़ जाए, हमें तो कोई ऐसी टेबलेट नहीं मिली, इंजेक्शन नहीं मिला, जिसको लगाने से विल पावर बढ़ जाए। हाँ, हमारे पवित्र धर्मों में, पवित्र ग्रन्थों में साफ लिखा है कि आत्मबल बढ़ाने के लिए आत्मिक चिंतन करना पड़ता है और आत्मिक चिंतन के लिए ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, राम का नाम लेना

पड़ता है। उससे हमारे अंदर आत्मबल बढ़ेगा। आत्मिक शक्ति जागृत होगी। और धर्मों में साफ लिखा है कि आत्मबल बढ़ने से आप बीमारियों से लड़ने के मान लो आप 10 पर्सेंट पहले काबिल थे तो 100 पर्सेंट काबिल बन सकते हैं। दूसरी भाषा में कहें कि एक 100 पर्सेंट पावर वाली दवाई, टेबलेट, इंजेक्शन आपके 10 पर्सेंट काम कर रहा था और जैसे ही आत्मबल आपका बढ़ जाता है तो वो 10 पर्सेंट की पावर वाला इंजेक्शन 100 पर्सेंट वाला काम कर जाता है और मरीज ठीक हो जाता है। ये हमने अपनी आँखों से देखा है, हमारा निजी अनुभव है तो फिर धर्मों को गलत कैसे कह देते हैं आप।

कैसे कह देते हैं कि ये कल्पना है? तो हम अगर कह दें कि इतिहास कल्पना है तो। हम कह दें साईंस कल्पना है तो, कल बेचारी बनी है। 1840 में तो बेचारी ने बैक्टीरिया पकड़ा है और पवित्र वेदों ने हजारों साल पहले बता दिया था। बैक्टीरिया भी है और वायरस भी है, कि ऐसे कीटाणु हैं जो दिखते हैं और कुछ ऐसे कीटाणु हैं, जो सूक्ष्म हैं, अति सूक्ष्म, देखे नहीं जा सकते, पर उन्होंने देखे थे। अगर आप कहते हैं कि आज लैंस से देख सकते हैं, इन चीजों से देख सकते हैं तो इसका मतलब उन्होंने देखे थे तभी तो कहा कि अति सूक्षम है कीटाणु हैं। तो बैक्टीरिया वायरस की खोज उन्होंने की और झंडा आप उठा के घूम रहे हैं साइंस वाले, कि नहीं भाई साईंस बहुत बड़ी चीज है। धर्म तो कोई चीज ही नहीं है, धर्म तो

धर्म जोड़ना सिखाते हैं, तोड़ना नहीं

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हम ये आपको गारंटी दिलाते हैं कि हमारे जो धर्म हैं वो जोड़ना सिखाते हैं, तोड़ना नहीं। धर्म बदलना नहीं सिखाते, इस पर चलना सीखना चाहिए। तो आपका जो भी धर्म है, उसी धर्म को पकड़ के रखिये, बदलने से कोई फायदा होने वाला नहीं है, क्योंकि समुद्र हैं हमारे धर्म। हमने जो देखा पवित्र वेद एक ऐसा समुद्र है, जिसमें से बहुत सी नदियां निकली, क्योंकि सेम थिंग मिलती हैं हमें। हमने पवित्र वेदों को पढ़ा और भी बहुत सारे पवित्र ग्रन्थों को पढ़ा तो जो पवित्र वेदों में लिखा है, कई ग्रन्थ उसी को फॉलो कर रहे हैं।

पवित्र ग्रन्थ हर धर्म में हैं, बहुत बढ़िया सिखाते हैं। तो इसका मतलब सबसे पहले बने वेद, उस चीज के बाद जो दूसरे जो पवित्र ग्रन्थ आए तो उनमें वैसी ही चीजें लिखी हुई पाई गई। तो सारे धर्म ही अपनी जगह 100 पर्सेंट सही हैं। कुछ भी गलत नहीं है उनमें। तो उनको फॉलो कीजिये। आप अपने विचारों को बदलिये, धर्म को नहीं। विचार बदलने से आप कुछ हासिल कर सकते हैं, धर्म बदलने से आप गवा तो चाहे लें, कुछ मिलने वाला नहीं है। तो जरूर सोचियेगा, ध्यान दीजियेगा हमारी बातो पर, बस यही आपसे गुजारिश।

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