…पिता हुए बीमार तो बेटी अमरजीत कौर ने थाम लिया ट्रैक्टर का स्टेयरिंग
Woman Farmer Courage: अंबाला (सच कहूँ/संदीप)। हरियाणा की मिट्टी में खेती सिर्फ पेशा नहीं, एक परंपरा है, और अधोई गांव की अमरजीत कौर ने इस परंपरा को नई पहचान दी है। 17 साल पहले जब पिता गंभीर रूप से बीमार हुए, तब 18 साल की उम्र में उन्होंने घर की जिम्मेदारी उठाई और ट्रैक्टर का स्टेयरिंग थाम लिया। आज 35 वर्षीय अमरजीत न सिर्फ एक सफल किसान हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी हैं। अमरजीत ने अपने जीवन का वृतांत सुनाते हुए कहा कि उसके पिता बख्शीश सिंह खेती से परिवार चलाते थे। उनकी बीमारी के बाद परिवार की आय रुक गई और इलाज का खर्च बढ़ता गया। उस समय वे ग्रेजुएशन कर रही थीं, लेकिन हालात ने उन्हें खेतों में उतरने पर मजबूर कर दिया। वह कहती हैं कि पिता के बिना खेत खाली नहीं छोड़ सकती थी, इसलिए ट्रैक्टर चलाना सीखा और खुद खेती की कमान संभाली। Ambala News
आधुनिक खेती कर रही हैं अमरजीत कौर
खेती के साथ अमरजीत कौर ने पढ़ाई भी जारी रखी। मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कृषि के आधुनिक तरीकों और आॅर्गेनिक खेती की दिशा में कदम बढ़ाए। अब वे मल्टी-क्रॉप फार्मिंग कर रही हैं, गेहूं, धान, गन्ना और सूरजमुखी जैसी फसलें एक ही खेत में उगाती हैं। वह केंचुआ खाद और गोबर खाद का उपयोग कर रासायनिक मुक्त खेती को बढ़ावा देती हैं। पिछले 18 सालों में उन्होंने ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों के इस्तेमाल की बारीकियां खुद सीखीं। शुरू में आर्थिक तंगी और अनुभव की कमी से संघर्ष करना पड़ा, पर धीरे-धीरे गांव के कुछ लोगों ने सहयोग किया। आज उनके पास अपने सारे कृषि यंत्र हैं और वे अपने क्षेत्र की प्रगतिशील किसान मानी जाती हैं। फसल को मंडी और गन्ने को मिल तक पहुँचाना उसके जीवन का हिस्सा बन चुका है।
माँ बोलीं, बेटों से बढ़कर बेटी ने परिवार को संभाला | Ambala News
अमरजीत की मां दलबीर कौर ने भावुक होते हुए कहा कि कि जब सबकुछ बिखर रहा था, तब बेटी अमरजीत कौर ने बेटों से बढ़कर जिम्मेदारी निभाई। लोगों ने ताने दिए, लेकिन उसने किसी की परवाह नहीं की। आज वहीं लोग उसकी तारीफ करते हैं। अमरजीत ने न सिर्फ परिवार का खर्च उठाया, बल्कि अपने भाई की पढ़ाई और शादी भी अपने दम पर करवाई। आज परिवार के पास खेती से स्थिर आमदनी और सुख-सुविधाएं हैं।
जमीन बेचना मतबल माँ बेचना, जमीन से सोना उगाना सीखे युवा वर्ग
अमरजीत कौर बताती हैं कि वे अनेक कार्यक्रमों में जाती हैं व आज की पीढ़ी को एक संदेश देती हैं कि जमीन मत बेचो, वो हमारी मां है। जमीन बेचना मतलब माँ बेचने जैसा है, जमीन बेचने की बजाए, जमीन से सोना उगाना सीखें। अमरजीत कौर कहती हैं उसकी कहानी युवा वर्ग के लिए संदेश है क्योंकि उसका जीवन बर्बाद होना था, लेकिन खेती की बदौलत उसने जहां परिवार का खर्च उठाया, वहीं खेती ने उसे खूब मान-सम्मान भी दिया है।
अब बेटी पर बन रही है फिल्म | Ambala News
अमरजीत कौर के संघर्ष और जज्बे से प्रेरित होकर मुंबई की फिल्ममेकर सार्वनिक कौर द्वारा उन पर एक डॉक्युमेंट्री फिल्म बनाई जा रही है। 2028 तक तैयार होने वाली यह फिल्म अधोई गांव के खेतों में अमरजीत की मेहनत और आत्मनिर्भरता की कहानी दर्शाती है। इसमें ग्रामीण महिलाओं के साहस और आत्मविश्वास का संदेश दिया गया है।
आसान न थी शुरूआत
अमरजीत कौर बताती हैं कि शुरूआत आसान नहीं थी, गांव के लोग कहते थे कि लड़की खेती कैसे करेगी, कुछ ने सुझाव दिया कि खेती ठेके पर दे दो, लेकिन अमरजीत ने किसी की नहीं सुनी। सुबह खेतों में जुताई, शाम को फसल में दवा डालना सहित उन्होंने खेतों में बीज बोने से लेकर पक्के हुए अनाज को मंडी तक लेकर जाने तक का सारा काम खुद किया। आज वही लोग उनकी मेहनत को सलाम करते हैं। अमरजीत कहती हैं कि उस वक्त अगर मैं डर जाती, तो शायद परिवार बिखर जाता। Ambala News















