10 हजार एकड़ में पराली प्रबंधन कर किसानों के लिए रोल मॉडल बने सतपाल सिंह

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10 हजार एकड़ में पराली प्रबंधन कर किसानों के लिए रोल मॉडल बने सतपाल सिंह

40 लोगों को मिला रोजगार, तैयार कीं 2 लाख क्विंटल बेलें

फतेहाबाद (विनोद कुमार शर्मा)। गांव नाढोड़ी के प्रगतिशील किसान सतपाल सिंह पुत्र मांगे राम ने पराली प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गया है। आधुनिक कृषि यंत्रों, सरकारी योजनाओं और अपनी दूरदर्शिता से उन्होंने न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगदान दिया, बल्कि पराली को कचरा से कमाई में बदल दिया। खेती के साथ-साथ वे एक निजी आईटीआई संस्थान का भी संचालन करते हैं। वर्ष 2018-19 में सतपाल सिंह ने कृषि विभाग से अनुदान पर एक स्ट्रॉ बेलर मशीन खरीदी। उसी वर्ष उन्होंने करीब 700 एकड़ क्षेत्र की पराली को जलाने की बजाय बेल बनाकर उपयोगी बना दिया। Fatehabad News

इस पहल से प्रेरित होकर वर्ष 2020 में उन्होंने अपने साथ 6-7 अन्य किसानों को जोड़ा और अब उनके पास कुल 7 बेलर मशीनें हैं, जिनमें से 4 मशीनें सरकारी अनुदान से मिली हैं। वर्तमान में सतपाल सिंह की टीम भूना, टोहाना और रतिया ब्लॉकों के करीब 20 गांवों में सक्रिय है। अब तक वे लगभग 10,000 एकड़ क्षेत्र की पराली का प्रबंधन कर चुके हैं। इससे करीब दो लाख क्विंटल बेलें तैयार की गईं, जिन्हें गौशालाओं और विभिन्न उद्योगों को आपूर्ति की गई। सतपाल किसानों से 1000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सेवा शुल्क लेते हैं।

इसके अलावा उन्होंने सुपर सीडर और जीरो ड्रिल मशीनों से भी लगभग 300 एकड़ क्षेत्र में पराली का सफल प्रबंधन किया। इस पहल से नाढोड़ी और आसपास के क्षेत्रों के करीब 40 स्थानीय मजदूरों को सालभर रोजगार मिला, जिनमें मशीन चालक, मजदूर और परिवहन कर्मी शामिल हैं। पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट आई, वायु प्रदूषण कम हुआ और मिट्टी की उर्वरता में सुधार दर्ज किया गया।

गौशालाओं और उद्योगों तक पहुंचा रही बेलें | Fatehabad News

सतपाल सिंह की पराली बेलें आज हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान की गौशालाओं और उद्योगों में उपयोग हो रही हैं। इससे यह साबित हो गया है कि पराली अब किसानों के लिए बोझ नहीं बल्कि कमाई का साधन बन चुकी है।

भविष्य की योजना : 20 हजार एकड़ में पराली प्रबंधन का लक्ष्य

सतपाल सिंह का लक्ष्य आने वाले वर्षों में 20,000 एकड़ क्षेत्र की पराली का प्रबंधन करने का है। वे अधिक किसानों को इस अभियान से जोड़ना चाहते हैं ताकि वेस्ट टू वेल्थह्ण की यह सोच गांव-गांव तक पहुंचे। सतपाल सिंह का मानना है कि ह्णयदि किसान आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करें, तो पराली जलाने जैसी समस्या को अवसर में बदला जा सकता है। Fatehabad News