Sebi action against Arshad Warsi: सेबी की अरशद वारसी व पत्नी सहित 57 पर की बड़ी कार्रवाई

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SEBI: सेबी की अरशद वारसी व पत्नी सहित 57 पर की बड़ी कार्रवाई

Sebi action against Arshad Warsi: मुंबई। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बॉलीवुड अभिनेता अरशद वारसी, उनकी पत्नी मारिया गोरेटी और 57 अन्य व्यक्तियों पर पूंजी बाजार में व्यापार करने पर एक से पाँच वर्ष तक की रोक लगा दी है। साथ ही, अरशद वारसी और उनकी पत्नी पर पाँच-पाँच लाख रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। SEBI News

सेबी की विस्तृत जांच में यह सामने आया कि यूट्यूब चैनलों के माध्यम से साधना ब्रॉडकास्ट लिमिटेड (अब क्रिस्टल बिजनेस सिस्टम लिमिटेड) के शेयरों को लेकर आम निवेशकों के बीच भ्रामक और झूठी जानकारियाँ फैलाई गईं। इन वीडियो के प्रभाव से शेयरों की कीमत कृत्रिम रूप से बढ़ी, और इसी का लाभ उठाकर कुछ लोगों ने भारी मुनाफा अर्जित किया।

सेबी के अनुसार, अरशद वारसी ने खुद स्वीकार किया कि वे केवल अपने नाम से नहीं, बल्कि अपनी पत्नी और भाई के खातों से भी शेयर बाजार में लेन-देन कर रहे थे। इसके अतिरिक्त, उनके कार्यों की देखरेख करने वाली प्रबंधक आहुति मिस्त्री की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। Pump and Dump Scam

सेबी ने अन्य व्यक्तियों और कंपनियों पर भी सख्त कार्यवाही की

सेबी ने केवल वारसी परिवार ही नहीं, बल्कि कुल 57 अन्य व्यक्तियों और कंपनियों पर भी सख्त कार्यवाही की है। इन पर पाँच लाख से लेकर पाँच करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है। यह भी सामने आया कि इनमें कुछ लोग उस कंपनी के प्रमोटर भी थे, जिसकी जानकारी वीडियो में दी गई थी। सेबी ने इन सभी को कुल 58.01 करोड़ रुपये की अवैध कमाई सरकारी खाते में लौटाने का आदेश दिया है, साथ ही उस राशि पर वार्षिक 12% ब्याज भी अदा करने का निर्देश दिया गया है।

इस प्रकरण में सेबी ने जिन लोगों को मुख्य साजिशकर्ता माना है, उनके नाम गौरव गुप्ता, राकेश कुमार गुप्ता और मनीष मिश्रा हैं। साथ ही, सुभाष अग्रवाल नामक व्यक्ति, जो साधना ब्रॉडकास्ट के रजिस्ट्रार ट्रांसफर एजेंट (RTA) के निदेशक भी थे, इन मुख्य व्यक्तियों और प्रमोटरों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य कर रहे थे।

जांच से पहले सेबी को कई निवेशकों की शिकायतें प्राप्त हुईं

इस घोटाले की जांच से पहले सेबी को कई निवेशकों की शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें कहा गया था कि यूट्यूब चैनलों पर झूठे और गुमराह करने वाले वीडियो डालकर कंपनी के शेयरों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित किया गया। इन वीडियो को व्यापक रूप से प्रसारित करने के लिए प्रचार अभियानों का भी सहारा लिया गया। शिकायतकर्ताओं ने सेबी को यूट्यूब चैनलों और वीडियो के लिंक भी साक्ष्य रूप में उपलब्ध कराए।

सेबी ने तकनीकी और भौतिक जांच के दौरान पाया कि जिन लोगों ने एसबीएल के शेयरों का लेन-देन किया, वे उन्हीं यूट्यूब चैनलों से जुड़े हुए थे जहाँ यह प्रचार चलाया गया था। इस झूठे प्रचार का उद्देश्य लोगों को गुमराह कर निवेश के लिए प्रेरित करना था। सेबी ने इस सिलसिले में 15 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की, दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए और कई लोगों से पूछताछ भी की। यह मामला न केवल पूंजी बाजार के लिए चेतावनी है, बल्कि आम निवेशकों के लिए भी एक संदेश है कि किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले विश्वसनीय स्रोतों से ही जानकारी लें।

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