Privatization of State-owned Companies Case: सोल। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्युंग ने मंगलवार को मंत्रिमंडल बैठक में सरकारी उपक्रमों के निजीकरण से जुड़े नियमों में व्यापक संशोधन के निर्देश जारी किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया में जनता की राय और पारदर्शिता सर्वोपरि होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने इस विषय पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने को कहा, ताकि बिना मूल्यांकन के सरकारी परिसंपत्तियों को घाटे में बेचने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके। South Korean News
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ली ने कहा कि अतीत में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहाँ सार्वजनिक कंपनियों को जल्दबाजी में निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया, जिससे न केवल जनभावनाएं आहत हुईं, बल्कि यह मुद्दा समय-समय पर राजनीतिक विवाद भी बन गया। उन्होंने यह भी बताया कि जब वे डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने निजीकरण की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए एक बेहतर प्रणाली लागू करने का प्रयास किया था, हालांकि वह सफल नहीं हो सके।
राष्ट्रपति ली ने सुझाव दिया कि भविष्य में किसी भी बड़े सरकारी संस्थान के निजीकरण पर विचार करने से पहले राष्ट्रीय विधानसभा के साथ विस्तृत विमर्श तथा नागरिकों की राय को शामिल करना अनिवार्य किया जाना चाहिए। हाल ही में सरकारी संपत्तियों की देखरेख करने वाली कोरिया एसेट मैनेजमेंट कॉरपोरेशन के ऑडिट में भी यह मुद्दा उठा कि कई परिसंपत्तियाँ उनकी वास्तविक कीमत से कम में बेची गई हैं, जिस पर सांसदों ने चिंता व्यक्त की। इसी बीच, राष्ट्रपति ली की रक्षा नीति भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
उन्होंने हाल ही में कहा कि दक्षिण कोरिया निकट भविष्य में अपनी सैन्य क्षमता को अत्यंत सशक्त बनाते हुए आत्मनिर्भर रक्षा व्यवस्था की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा। इसके साथ ही, उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ संवाद बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। बजट संबोधन के दौरान ली ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी देश की प्रतिष्ठा से जुड़ी होती है। हमें अपनी रक्षा क्षमताओं को इतना सक्षम बनाना होगा कि बाहरी निर्भरता न्यूनतम हो.” उन्होंने यह भी बताया कि देश की सेना को आधुनिक तकनीक, विशेषकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रणालियों के माध्यम से “स्मार्ट और सशक्त” बनाया जाएगा। South Korean News















