दिल्ली-एनसीआर में अधेड़ महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से ज्यादा प्रभावित
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भारत में कैंसर के कुल केसों में 14.8 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर से संबंधित
सच कहूँ /संजय मेहरा, गुरुग्राम। दिल्ली-एनसीआर ब्रेस्ट कैंसर(World Cancer Day) का केन्द्र बनता जा रहा है। यहां पिछले तीन से चार सालों में ब्रेस्ट कैंसर के केसों की संख्या में 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यहां अधेड़ उम्र (35-40 साल) की महिलाओं में यह कैंसर अधिक हो रहा है। वर्ष 2020 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीडीआईआर) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल कैंसर में 14.8 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर होने का अनुमान है।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के अस्पतालों में अधेड़ उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के केस बढ़ रहे हैं। पिछले तीन से चार सालों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ब्रेस्ट केंसर स्किन कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाला सबसे ज्यादा कैंसर है। कोरोना महामारी ने ब्रेस्ट कैंसर के केसों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया, क्योंकि इस बीमारी का डायग्नोसिस अब फाइनल स्टेज में हो रहा है। अधेड़ उम्र की महिलाओं विशेष रूप से पोस्ट-मेंनोपॉजल महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम के लिए चिकित्सक समय-समय पर परीक्षण और सेल्फ टेस्टिंग (आत्म-परीक्षा) की सलाह देते हैं।
शराब के सेवन से भी बढ़ रहे मामले
अध्ययनों (रिसर्च) से पता चला है कि शराब के अंधाधुंध सेवन से युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के केस भी बढ़ रहे हैं। ब्रेस्ट कैंसर होने के पीछे कई कारण है, जिसमें देर से शादी करना, जोकि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में होना आम है। इसके अलावा अधिक उम्र में बच्चे पैदा करना भी इसका कारण है। कुछ केसों में इसे हार्मोनल रिप्लेसमेंट थैरेपी को भी ब्रेस्ट कैंसर के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। ब्रेस्ट फीडिंग कराने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना कम हो सकती है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर साल ब्रेस्ट कैंसर से मरने वाली 6 लाख 85 हजार महिलाओं में से 90 हजार से ज्यादा महिलाएं भारत से होती हैं। भारत में कैंसर से संबंधित मौतों का सबसे आम कारण ब्रेस्ट कैंसर है।
2025 तक कैंसर केसों में होगी 12 फीसदी वृद्धि : डा. नीतेश
फोर्टिस अस्पताल में सीनियर डायरेक्टर मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. नीतेश रोहतगी के अनुसार आईसीएमआर का अनुमान है कि 2025 तक भारत में ब्रेस्ट कैंसर(World Cancer Day) सहित कैंसर के केसों में 12 प्रतिशत की वृद्धि होगी। अगर समय पर इसका डायग्नोसिस किया जाए तो इस कैंसर का इलाज सबसे अच्छे से किया जा सकता है। अगर कैंसर का जल्दी पता नहीं लगता है तो यह जानलेवा हो सकता है। भारत में महिलाओं की जांच के लिए क्लीनिकल ब्रेस्ट जांच (सीबीई) सबसे आम तरीका है। क्योंकि इसमें किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा स्क्रीनिंग के लिए मैमोग्राफी और ब्रेस्ट अल्ट्रासोनोग्राफी (यूएसजी) का भी इस्तेमाल किया जाता है।
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