नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में कथित ढीले रवैए पर शुक्रवार को एक बार फिर नाराजगी व्यक्त करने के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि वह समयसीमा का पालन करेगी और नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाएगी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ के समक्ष ‘एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु’ द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने केंद्र सरकार का पक्ष नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने का आश्वासन आश्वासन दिया।
वेंकटरमणी ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा भेजी गई 104 में से 44 सिफारिशों (न्यायाधीशों के नाम) को या तो शनिवार या इस सप्ताह के अंत तक मंजूरी दे दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि दूसरी बार भेजे गए नामों को वापस भेजना चिंता का विषय है। नियुक्ति में देरी के संभावित कारणों पर गौर करते हुए पीठ ने पूछा – क्या न्यायाधीशों के स्थानांतरण के संबंध में तीसरा पक्ष निर्णयों को प्रभावित कर रहा था। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम द्वारा चुने गए वकीलों के राजनीतिक विचारों के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए।
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