Supreme Court: पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

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Supreme Court: पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

“कुछ किसानों को जेल भेजो, सब ठीक हो जाएगा”

नई दिल्ली/हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर में हर साल अक्टूबर से बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कड़ा रुख अपनाते हुए पराली जलाने के मुद्दे पर सख्त टिप्पणी की। देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जो किसान बार-बार नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उन पर अब सख्त कार्रवाई की जरूरत है।

अदालत ने साफ शब्दों में कहा, “अगर कुछ किसानों को जेल भेजा गया तो यह मिसाल बनेगी और बाकी लोग भी पराली जलाने से बचेंगे।” सुनवाई के दौरान सीजेआई ने सवाल उठाया कि किसानों पर कार्रवाई करने से प्रशासन क्यों पीछे हट रहा है। उन्होंने कहा, “किसान हमारे लिए खास हैं और हम उनकी बदौलत खा रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचने दें। हमें संतुलन बनाना होगा।”

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मैं रिक्त पद भरने के भी दिए निर्देश

कोर्ट ने इस दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को तीन महीने के भीतर सभी रिक्त पदों को भरने का भी निर्देश दिया। अदालत ने माना कि संस्थागत मजबूती और सख्त प्रवर्तन ही प्रदूषण नियंत्रित करने में मदद करेगा।

पराली से वैकल्पिक ईंधन बनाने पर हो विचार | Supreme Court

दिलचस्प तौर पर चीफ जस्टिस ने यह सवाल भी उठाया कि क्या जलाई जाने वाली पराली का उपयोग वैकल्पिक ईंधन बनाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में उन्होंने अखबारों में ऐसे प्रयोगों के बारे में पढ़ा है और सरकार को इस पर गंभीरता से पहल करनी चाहिए।

सर्दियों की शुरुआत में दिल्ली एनसीआर में खराब हो जाती है हवा की सेहत

दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दियों की शुरुआत में पराली जलाने से वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है। अब शीर्ष अदालत की यह सख्त टिप्पणी केंद्र और राज्यों पर दबाव बढ़ा रही है कि वे समस्या को हल करने के लिए ठोस कदम उठाएं। ध्यान रहे कि यही वह समय होता है जब मौसम बदल रहा होता है। गर्मी के समाप्ति के साथ सर्द ऋतु का आगमन होता है। जिस वजह से धरती के समीप ठंडी हवा रुकने की वजह से प्रदूषण वायुमंडल की निचली परत पर बना रहता है। Supreme Court