बेटा-बेटी एक समान का दिया संदेश
फतेहाबाद (सच कहूँ/विनोद शर्मा)। अक्सर देखने को मिलता है कि विवाह समारोह से पहले दुल्हे (The Bride) की घुड़चढ़ी निकाली जाती है, लेकिन जंडी मौहल्ला में नई परंपरा के तहत दुल्हन को घोड़ी पर चढ़ाकर उसका बनौरा निकाला गया। डीजे के साथ नाचते गाते उनके परिजन बनौरे में शामिल हुए। स्थानीय लोगों ने इस नई परंपरा की जमकर तारीफ की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जंडी मौहल्ला निवासी प्रेमा देवी व हंसराज की बेटी शालू का विवाह 25 अप्रैल को सादुलपुर निवासी राजेश के साथ तय हुआ है।। शालू ग्रेजुएट है और उसके विवाह को लेकर बनौरे की रस्म के तहत शालू के मौसा मदनलाल डिगवाल ने अपने घर में कार्यक्रम रखा। इससे पहले शालू को घोड़ी पर दुल्हे के वेश में बैठाया गया, तो मौहल्लावासियों व उनके रिश्तेदारों ने तालियां बजाकर इस परंपरा का स्वागत किया।
इसके बाद डीजे पर नाचते हुए लोग उसे मदनलाल डिगवाल के घर ले गए, जहां आए हुए सभी अतिथियों को भोजन दिया गया। शालू (The Bride) ने बताया कि उसके माता-पिता ने यह कदम उठाकर समाज को बड़ा संदेश दिया है कि आज बेटा व बेटियों में कोई फर्क नहीं है। उसे अपने माता-पिता पर गर्व है। शालू के पिता हंसराज व माता प्रेमा देवी ने कहा कि उन्होंने कभी भी बेटे व बेटियों में कोई फर्क नहीं समझा।
उन्होंने शालू को पढ़ाया लिखाया और शादी के समय भी यह एहसास दिलाया है कि उनकी बेटी, बेटों से कम नहीं है। दंपत्ति ने बताया कि उनकी तीन बेटियां व एक बेटा है और वह सभी को एक समान मानते हैं। रमेश जोइया ने कहा कि लोगों को कभी भी बेटा व बेटी में कोई फर्क नहीं समझना चाहिए। आज हर क्षेत्र में बेटियां बड़ा मुकाम हासिल कर रही हैं।
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