कपिस्थल के नाम पै पड्या था कैथल जिले का नाम, आठ गेटों के भीतर बसता था पुराणा कैथल शहर

Kaithal
Kaithal कपिस्थल के नाम पै पड्या था कैथल जिले का नाम, आठ गेटों के भीतर बसता था पुराणा कैथल शहर

कैथल सच कहूँ /कुलदीप नैन | आज एक नवम्बर है अर एक नवम्बर का हरियाणा में ख़ास महत्व है | इसी दिन 1966 में पंजाब तै अलग होके हरियाणा देश का 17वां राज्य बनया था । ठीक 23 साल बाद इसी दिन 1989 में हरियाणा में कैथल जिला अस्तित्व में आया था | 1989 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने जद कैथल जिला बनाया तो इसकी गिनती पिछड़े जिल्या में होया करदी । शुरू में आबादी कोई घणी ना थी। उन टेमा में कैथल की पिछाण सिर्फ एक बड़ी मंडी ते होए करदी। फेर सहज सहज मंडी ते एक कस्बा अर क़स्बा ते एक शहर का रूप बनता चल्या गया। यू ओए कैथल जिला है अब जो हरियाणा के कई बड़े बड़े जिल्या ते कई माम्ल्या में आगे दिखाई देवे है |

कपिस्थल नाम ते पड्या कैथल नाम

सतयुग में कैथल का नाम कपिस्थल था | कैथल राम भगत हनुमान की धरती कही जावे है क्योकि उरे हनुमान का जन्म होया था | द्वापरयुग में भी कैथल की एक अलग पिछाण रही | उरे युधिष्ठिर ने उरे कुंड स्थापित करे थे | कैथल में सिर्फ राजाओ का राज नी रह्या उरे रजिया सुल्तान जीसी रानी ने भी राज करया है | अंग्रेजा के राज ते पहला गुरुबक्श सिंह, देसु सिंह अर भाई उदय सिंह ने भी उरे राज करया | भाई उदय सिंह का किला तो आज भी कैथल शहर के बीचो बिच स्थित है |

अंग्रेजा ते लोहा लेते होए कई वीर सपूत शहीद

बात करा जे अंग्रेजा की गुलामी ते आजाद होण की तो म्हारे कई वीर सपूता ने अंग्रेजा गेल लड़ाई में अपनी जान की बाजी लाई थी | इनकी याद में पार्क रोड़ पे शहीद स्मारक बनाया होया है अर उसपे थामने उन सबके नाम लिखे मिल जागे | 15 अगस्त अर 26 जनवरी आला दिन सारे जणे कट्ठे होक इन वीर शहीदा ते श्रधान्जली भी देवे है |

आठ गेटों के भीतर बसा था पुराणा कैथल शहर

पुराणा कैथल जो होए करदा वो तो जमा एक किला बरगा होए करदा | यू सारा शहर सात तालाब अर आठ दरवाज्या (गेट) का भीतर होए करदा जिनते अब एक एक करके नया रूप दिया जाण लाग रह्या है | इन आठ दरवाज्या में सीवन गेट, माता गेट, डोगरा गेट, रेलवे गेट, चंदाना गेट, कोठी गेट, प्रताप गेट, क्योड़क गेट शामिल थे |

जिला में चार तहसील

कैथल का कुल क्षेत्रफल 2317 वर्ग किलोमीटर है। जिला में तीन उपमंडल (कैथल, कलायत और गुहला) अर चार तहसील (कैथल, गुहला, कलायत और पूंडरी) हैं। इसके अलावा राजौंद, सीवन, और ढांड जैसे कस्बे भी किसे मामले में घाट कोनी। जिले में 279 पंचायतें अर करीब 70 प्रतिशत साक्षरता दर है। उरे मौजूदा टेम में चार विधानसभा सीट है | गोल्ड मेडलिस्ट हरविंद्र सिंह और पर्वतारोही पदमश्री ममता सौदा जैसे खिलाड़ी जिले का मान बढ़ा रहे है तो दिल्ली-जम्मू-कटड़ा एक्सप्रेस वे म्हारी पहचान बढ़ा रहे है | शिक्षा के क्षेत्र में भी हम किसे टे पाछे कोनी | बड़े बड़े पद पे म्हारे बालक आज काम कर रहे है |

म्हारे किसाना ने भी कर राख्या है कमाल

म्हारे जिले के किसाना की मेहनत अर जागरूकता का ए परिणाम है के आज कैथल जिला कणक (गेहूं) उत्पादन में प्रदेश के अव्वल जिलों में गिनया जावे है। सिर्फ कनक नी धान पैदा करण में भी उरे के किसान पाछे कोनी, कैथल के चावल की मांग सिर्फ देश अर प्रदेश में ही कोनी बल्कि विदेशा तक भी रुका है उरे के चावल का | क्योकि म्हारै चावल की क्वालिटी ही इतनी एंडी है कि हर कोई इसका दीवाना है | इसे का परिणाम है के आज उरे 150-200 राइस मिल चाले हैं। उरे के किसाना ने इबके नया इतिहास कायम करदे होए पराली में आग लाण की बजाए उसका सही ढंग ते प्रबन्धन भी करया | जिसका परिणाम यूँ है के इबके पराली में आग लाण के मामले नाममात्र के आए है |