पहली बार 1950 में गुजरात में लगा था जनता कर्फ्यू

Gujarat first curfew in 1950

गुजरात को अलग राज्य बनाने की मांग पर लगा था कर्फ्यू

(Gujarat in 1950 first curfew)

  • इंदुलाल के प्रयासों से बंबई राज्य (महाराष्ट्र) से टूटकर अलग राज्य बना था गुजरात

संजय मेहरा/ सच कहूँ गुरुग्राम। अक्सर दंगे आदि होने जाने पर कर्फ्यू लगाया जाता है, ताकि जनता अपने घरों में रहे और दंगे शांत हों। लेकिन इस बार जो कर्फ्यू लगा है, वह सीधे तौर पर जनता द्वारा जनता के लिए था। जनता कर्फ्यू देश में बहुतों के लिए नई बात हो सकती है। एक-दो पीढ़ियों ने शायद जनता कर्फ्यू शब्द ही पहली बार सुना है। तो हम आपको बताते हैं कि जनता कर्फ्यू भारत देश में दूसरी बार लगा है। देश में दूसरी बार के जनता कर्फ्यू और पहली बार के जनता कर्फ्यू में यह फर्क है कि पहली बार का जनता कर्फ्यू एक शहर में लगाया गया था और यह दूसरी बार का जनता कर्फ्यू पूरे भारत देश में लगा है।

वह भी महामारी से बचाव के लिए लगा है। बता दें कि महागुजरात आंदोलन के चलते वर्ष 1950 में महाराष्ट्र से अलग गुजरात की मांग करते हुए इंदुलाल याग्निक ने जनता कर्फ्यू की शुरूआत की थी। वे महागुजरात आंदोलन के बड़े नेता थे। उस समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इंदुलाल याग्निक के आंदोलन को खत्म करने का भी प्रयास किया था, जो कि असफल रहा। यानी इंदुलाल की अहमदाबाद की जनता में इतनी लोकप्रियता थी कि जनता ने उनके आह्वान पर जनता कर्फ्यू लगा दिया।

  • अहमदाबाद में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और बंबई के मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई की रैलियां थी।
  • रैलियों का मतलब तब नहीं रह जाता, जब वहां पर नेताओं को सुनने जनता नहीं होती।
  • हुआ भी यही कि लोग घरों से बाहर ही नहीं निकले।
  • इस दबाव में सरकार ने गुजरात को बंबई से अलग राज्य बनाने की मांग को स्वीकार किया।

तब थे राजनीतिक कारण,अब महामारी

वर्ष 1950 में लगाए गए जनता कर्फ्यू के राजनीतिक कारण थे। यानी गुजरात को महाराष्ट्र से अलग राज्य बनाने की मांग पर जनता कर्फ्यू लगाया गया था, लेकिन अब जनता कर्फ्यू लगाने के पीछे कारण रही महामारी। तब का कर्फ्यू एक शहर में था और वर्ष 2020 में पूरे देश में लगा है। उस समय जनता कर्फ्यू राजनीतिक कारणों से लगाया या था और इस बार का जनता का कर्फ्यू कोरोना वायरस नामक महामारी के चलते लगाया गया है।

जनता कर्फ्यू बदलाव का बड़ा माध्यम

जिस तरह से 1950 में जनता कर्फ्यू से मजबूर होकर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू व मुख्यमंत्री मोरररजी देसाई को गुजरात अलग राज्य बनाना पड़ा। उसी तरह से अब एक महामारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू को माध्यम बनाया है। जनता कर्फ्यू का मतलब यही है कि हमें किसी से दूर रहकर उसे पास आने से रोकना है। कोरोना वायरस बीमारी से बचाव का यही तरीका है।

  • कोरोना वायरस का अभी उपचार नहीं है।
  • मोदी के आह्वान पर लगाए गए जनता कर्फ्यू में जिस तरह से जनता ने साथ दिया है, वह काबिले तारीफ है।
  • इस एक दिन के जनता कर्फ्यू से ऐसा नहीं कि बीमारी का खतरा टल गया है।
  • कम जरूर हुआ है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अपील है।
  • लॉकडाउन की स्थिति में सभी अपने घरों पर रहे हैं।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।